कांग्रेस नहीं धरने के काबिल, गहलोत सरकार पहले अपनी गिरेबां में झांक ले- पूनियां और राठौड़ ने साधा निशाना

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने कहा- कांग्रेस का आचरण ऐसा जैसे कभी महंगाई बढ़ी ही न हो, वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने कांग्रेस के धरना प्रदर्शन को बताया नौटंकी

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पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. देश में पिछले लगभग 22 दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढोतरी को लेकर सोमवार को देशभर में कांग्रेस ने जिला मुख्यालयों पर धरना दिया. राजस्थान में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राजधानी जयपुर में पीसीसी चीफ व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने धरना दिया गया. इस धरने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने पलटवार करते हुए कहा कि राजस्थान में तो कांग्रेस धरने देने के काबिल नहीं है तो वरिष्ठ भाजपा नेता व राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने धरने को नौटंकी करार देते हुए कहा कि गहलोत सरकार को केंद्र सरकार को कोसने से पहले अपनी गिरेबान में झांक लेना चाहिए.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि कांग्रेस इस तरह आचरण कर रही है जैसे इनके राज में कभी महंगाई बढी ही नहीं. कांग्रेस के राज में जब महंगाई बढी थी तो फिल्में और गाने बन गए थे. देश में कांग्रेस का सत्ता से बाहर जाने का कारण महंगाई, अराजकता और भ्रष्टाचार था. मैं मानता हूं की डीजल के दामों में वृद्धि से लोगों में निराशा का भाव है. कांग्रेस राजस्थान में तो इस काबिल नहीं है कि धरने पर बैठे क्योंकि राजस्थान में वैट में विसंगतियां है, अगर इतना वैट नहीं होता तो यहां पेट्रोल-डीजल की कीमत काफी कम होती. इसका जवाब गहलोत सरकार नहीं दे रही है लेकिन केंद्र सरकार से जवाब मांग रहे है. कांग्रेस की कथनी ओर करनी में फर्क है.

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वरिष्ठ भाजपा नेता व राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने कांग्रेस के धरने प्रदर्शन को नौटंकी करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार को कोसने से पूर्व अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए. पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय राजस्थान में पेट्रोल पर वैट 26 प्रतिशत व डीजल पर 18 प्रतिशत था, जिसको राज्य सरकार द्वारा 5 जुलाई 2019 को पेट्रोल व डीजल पर 4 प्रतिशत बढ़ाते हुए 30 व 22 प्रतिशत किया गया. इसके बाद 21 मार्च 2020 को वैश्विक महामारी कोरोना की आड़ में एक बार पुनः वैट बढ़ाकर पेट्रोल पर 34 प्रतिशत व डीजल पर 26 प्रतिशत किया गया.

राठौड़ ने कहा कि 15 अप्रैल को एक बार पुनः पेट्रोल पर 2 प्रतिशत वैट बढ़ाकर 36 प्रतिशत तथा डीजल पर 1 प्रतिशत वैट बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया. इसके बाद 7 मई 2020 को अपने शासनकाल में चौथी बार पेट्रोल पर वैट 2 प्रतिशत बढ़ाकर 38 प्रतिशत व डीजल पर वैट 1 प्रतिशत बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया गया. कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल के 1 वर्ष 7 माह के समय पेट्रोल पर वैट 12 प्रतिशत व डीजल पर 10 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी की.

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राठौड़ ने आगे कहा कि पेट्रोल व डीजल पर पूर्व में राज्य सरकार द्वारा लगाए गए सेस को वैट के दायरे में भाजपा शासनकाल में नहीं लिया गया था जबकि कांग्रेसी शासन काल में पेट्रोल पर लगे 1 रुपये 50 पैसे व डीजल पर 1 रुपये 75 पैसे पर भी आज की तिथि में क्रमश 38 प्रतिशत व 28 प्रतिशत अतिरिक्त वैट भी लिया जा रहा है. जिससे सेस की राशि भी बढ़कर पेट्रोल पर प्रति लीटर 2 पैसे व डीजल पर प्रति लीटर 2 रुपये 25 पैसे हो गई है. इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल पर प्रति लीटर वैट व सेस की राशि मिलाकर लगभग 30 रूपये प्रति लीटर व डीजल पर 21 रूपये प्रति लीटर की राशि तो सिर्फ राज्य सरकार उपभोक्ताओं से वसूल रही है.

राठौड़ ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर धरना प्रदर्शन करने से पहले गहलोत सरकार अपने कार्यकाल में बढ़ाए गए पेट्रोल पर 12 प्रतिशत वैट व डीजल पर 10 प्रतिशत वैट व सेस की राशि पर पेट्रोल प्रति लीटर 57 पैसे व डीजल 49 पैसे प्रति लीटर की गई बढ़ोतरी को वापस लेती तो जनता को राहत मिलती. कांग्रेस का मूल्य वृद्धि को लेकर किया गया प्रदर्शन औचित्यपूर्ण प्रतीत होता.

राठौड़ ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लेने की नीतिगत घोषणा की थी. अब तक हुई चार जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार द्वारा एक बार भी पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव नहीं रखना यह सिद्ध करता है कि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के कुछ और है.

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