Wednesday, January 22, 2025
spot_img
Homeतहखानासियासी किस्सासुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन से जुड़ा एक अजब संयोग

सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन से जुड़ा एक अजब संयोग

Google search engineGoogle search engine

भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (67) का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. सुषमा स्वराज सभी की चहेती रहीं. साथ ही अपने तुरंत एक्शन लेने के चलते देशवासियों में भी उनकी छवि काफी अच्छी रही. उन्होंने बाहरी देशों में फंसे कई भारतीयों को वतन वापसी करायी है. सुषमा स्वराज के निधन से देश के राजनीतिक जगत में शोक की लहर है.

यह तो अधिकतर लोग जानते हैं कि 14 फरवरी, 1952 को जन्मीं सुषमा स्वराज के नाम राजनीति के कई कीर्तमान दर्ज हैं, जैसे इन्द्रा गांधी के बाद दूसरी महिला विदेश मंत्री बनीं. उनके नाम देश की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का सम्मान भी हासिल है. 1977 में जब वें कैबिनेट मंत्री बनीं तो उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी. लेकिन उनके राजनीतिक जीवन से जुड़ा एक किस्सा ऐसा भी है जिसकी जानकारी शायद ज्यादातर लोगों को नहीं होगी.

सुषमा स्वराज मूलरूप से हरियाणा की रहने वाली थीं और अंबाला शहर उनकी जन्मस्थली रही. लेकिन सात बार सांसद और तीन बार विधायक रहीं अंबाला की बेटी सुषमा स्वराज के लिए हरियाणा की राजनीति का अनुभव अच्छा नहीं रहा. सुषमा स्वराज कभी भी अपने ‘घर’ में चुनाव जीतने में सफल नहीं हुई.

सुषमा स्वराज ने अपना पहला लोकसभा चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर करनाल सीट से 1980 में लड़ा था. उनका मुकाबला कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा से था. यहां चिरंजी लाल को 1,51, 786 वोट मिले और सुषमा स्वराज के खाते में 1,29,458 वोट गिरे. ये उनकी राजनीति में पहली शिखस्त रही.

1984 में सुषमा स्वराज ने दूसरा लोकसभा लड़ा और सीट एवं विरोधी प्रत्याशी दोनों पहले वाले थे. करनाल सीट पर कांग्रेस के चिरंजी लाल यादव ने पर्चा भरा लेकिन इस बार सुषमा स्वराज तीसरे नंबर पर रही. उन्हें मात्र 77,870 वोट मिले. दूसरे स्थान पर आईसीजे के देवी सिंह रहे जिन्होंने 148,111 वोट हासिल किए. चिरंजी लाल फिर से विजयी रहे और उन्होंने एक तरफा जीत हासिल की. उन्होंने 2,47,063 वोट हासिल किए.

अगले लोकसभा चुनाव में यानि 1989 में सुषमा ने एक बार फिर करनाल से ही किस्मत आजमाई. सामने फिर से चिरंजी लाल थे लेकिन इस बार भी सुषमा के भाग्य में जीत नहीं थी. उन्हें करीबी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा. चिरंजी लाल ने जीत की और सुषमा स्वराज ने हार की हैट्रिक लगायी. सुषमा को 2,65,792 वोट जबकि चिरंजी लाल शर्मा को 2,74,465 वोट मिले. इसके बाद सुषमा ने कभी हरियाणा से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.

इस तरह स्व. सुषमा स्वराज ने करनाल संसदीय सीट से तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा और तीनों बार ही उन्हें शिकस्त हाथ लगी. ओर ये भी एक अजब संयोग ही रहा कि उन्हें तीन बार हराने वाला एक ही व्यक्ति रहा.

सुषमा स्वराज को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का सम्मान भी हासिल है. हालांकि उनका कार्यकाल केवल 52 दिन (13 अक्टूबर से 3 दिसम्बर, 1998) का रहा. फिर उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img