अचानक प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंची वसुंधरा राजे, मैडम समर्थक नेताओं में एक बार फिर जगी आस

भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही अपना नेता मानते हैं, मैडम कैम्प के नेताओं में प्रदेश कार्यसमिति सहित अन्य नियुक्तियों को लेकर जगी आस, राजस्थान में तो वसुंधरा राजे ही भाजपा है

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में एक महीने से ज्यादा चले सियासी घटनाक्रम के बाद बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश की राजनीति में अचानक से बहुत सक्रिय हो गईं हैं. जयपुर लौटने के बाद से वसुंधरा राजे लगातार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहीं हैं और पार्टी गतिविधियों पर फीडबैक ले रही हैं. इसी कड़ी में पूर्व सीएम राजे मंगलवार को अचानक भाजपा मुख्यालय पहुंच गईं और एक घंटे तक पार्टी की आगामी रणनीति पर चर्चा की. वसुंधरा राजे के इस तरह अचानक पार्टी कार्यालय पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया.

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पार्टी कार्यालय में लगभग एक घण्टे तक रुकीं, लेकिन थोड़ा अटपटा तब लगा जब वसुंधरा राजे वापस रवाना हुई तो केवल राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश उन्हें छोड़ने के लिए गाड़ी तक आए. जबकि मैडम राजे ने वी. सतीश के अलावा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां के साथ पार्टी गतिविधियों को लेकर काफी देर तक चर्चा की. यहां तक कि मैडम राजे के जाने के बाद भी तीनों नेताओं के बीच लंबी वार्ता हुई.

जानकारों की मानें तो वसुंधरा राजे और पार्टी नेताओं के बीच हाल ही में गहलोत सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान सदन से गायब हुए चार विधायकों को लेकर चर्चा हुई है. दरअसल, सदन से गायब होने वाले चारों विधायकों जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा, गढ़ी विधायक कैलाश मीणा, घाटोल विधायक हरेंद्र निनामा और धरियावाद विधायक गौतम लाल मीणा ने संगठन के समक्ष अपना पक्ष रखने के बाद वसुंधरा राजे से भी मुलाकात की थी. वहीं सतीश पूनियां ने साफ कहा था कि हमारे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद ही विधायकों पर कार्रवाई के संबंध में निर्णय किया जाएगा.

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इसके अलावा तीनों नेताओं के बीच बहुप्रतीक्षित प्रदेश कार्यसमिति और विभिन्न मौर्चों पर प्रदेशाध्यक्ष जैसी संगठनात्मक नियुक्तियों की घोषणा को लेकर भी चर्चा हुई. बता दें, प्रदेश में लंबे समय बाद हाल ही में प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा की गई थी, जिसके बाद पार्टी की अंदरूनी राजनीति गरमा गई थी. सियासी गलियारों में अटकलों का बाज़ार इस बात को लेकर गरमा गया था कि राजे कैम्प के नेताओं को घोषित कार्यकारिणी में नज़रअंदाज़ किया गया है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश कार्यसमिति सहित अन्य नियुक्तियों में राजे कैम्प से जुड़े नेताओं को कितनी तरजीह मिल पाती है.

मैडम के सक्रिय होने के बाद जगी आस

ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही अपना नेता मानते हैं. पिछले दिनों प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा के समय मैडम राजे धौलपुर में सावन की पूजा में व्यस्त थीं. लेकिन अब मैडम पूरी तरह से सक्रीय हो गईं हैं ऐसे में मैडम कैम्प के नेताओं में पार्टी में तरजीह मिलने की एक बार फिर आस जगी है. और शायद यही वजह है कि पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी भी अपने चरम पर है. पिछले दिनों जयपुर में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक के दौरान भी वरिष्ठ विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, नरेन्द्र नागर और कालूराम सरीखे नेताओं ने मीडिया के सामने खुलकर राजे को ही अपना नेता बताया था. इन नेताओं ने बहुत साफ शब्दों में कहा था कि भले ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हैं, पर वे मैडम राजे को ही अपना नेता मानते हैं.

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राजस्थान में तो वसुंधरा राजे ही भाजपा है

प्रदेश में एक दौर आया जब केंद्रीय नेतृत्व ने मैडम राजे से अदावत रखने वाले गजेन्द्र सिंह शेखावत को केंद्रीय केबिनेट मंत्री और मैडम के कार्यकाल के दौरान मंत्री नहीं बनाए गए विधायक ओम बिडला को लोकसभा अध्यक्ष बनाकर भले ही इस बात का संकेत देने की कोशिश की हो कि संगठन ही सर्वोपरि है. लेकिन वसुंधरा राजे जो पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ ही पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं और प्रदेश भाजपा में उनकी पकड़ और दबदबे से हर कोई वाकिफ है. हाल ही में प्रदेश में इतना लंबा चले सियासी घटनाक्रम के दौरान पहले मैडम की चुप्पी ने और बाद में चुप्पी के टूटते ही दो से तीन दिन में जो घटनाक्रम समाप्त हुआ उसके बाद से मैडम कैम्प के नेताओं ने फिर से कहना शुरू कर दिया है कि राजस्थान में तो मैडम वसुंधरा राजे ही भाजपा हैं.

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