बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर राम मंदिर निर्माण का काम शीघ्र शुरू करवाने की अपील की है. उन्होंने लिखा है, ‘पीएम को लिखी एक चिट्ठी में मैंने बताया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की दरकरार है. उनको यह गलत कानूनी सलाह मिली है. नरसिम्हा राव ने उस जमीन का राष्ट्रीयकरण कर दिया था और अनुच्छेद 300A के तहत सुप्रीम कोर्ट कोई सवाल नहीं उठा सकता है, सिर्फ मुआवजा तय कर सकता है. इसलिए अभी से निर्माण शुरू करने में सरकार के सामने कोई बाधा नही है.’
Subramanian Swamy urges Prime Minister to handover Ayodhya land for Ram Mandir construction and declaration of Ram Setu as National Heritage Monument https://t.co/FLC4WsjOs1 via @PGurus1
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 2, 2019
पीएम को लिखे अपने चार पन्ने के पत्र में स्वामी ने रामसेतु को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत राष्ट्रीय पौराणिक स्मारक की मान्यता देने की भी अपील की है. उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट की ओर से भारत सरकार को भेजे गए उस नोटिस का भी जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आखिर रामसेतु को राष्ट्रीय पौराणिक स्मारक क्यों घोषित नहीं किया जाना चाहिए.
स्वामी ने लिखा है ‘जहां तक मुझे पता है कि संस्कृति मंत्रालय से राम सेतु राष्ट्रीय धरोहर की मान्यता देने की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन पता नहीं किस कारण से मंत्रिमंडल से स्वीकृति नहीं दी गई है.’ स्वामी ने चिट्ठी में कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा राम मंदिर निर्माण का है जिसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अविवादित जमीन लौटाने की मांग की है ताकि मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके.
स्वामी ने चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सॉलिसिटर जनरल की यह याचिका गलत है. सरकार को अपने कब्जे वाली जमीन को सुप्रीम कोर्ट से वापस मांगने की कोई दरकरार नहीं है. संविधान की धारा 300A और भूमि अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसलों के मद्देनजर केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित में किसी की भी जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार प्राप्त है.