21 में शादी के विरोध में गहलोत सरकार के मंत्रियों के बयान पर बरसे राठौड़- आकाओं को खुश करने में जुटे

लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने का प्रावधान, गहलोत सरकार के मंत्रियों ने केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ की बयानबाजी तो राठौड़ ने खोला मोर्चा, मंत्री ममता भूपेश और शांति धारीवाल ने उठाए हैं सवाल, राठौड़ बोले- नंबर बढ़ाने के लिए दे रहे अनर्गल बयान, केवल राजनीतिक आधार पर ऐतिहासिक फैसले का विरोध

गहलोत सरकार के मंत्रियों पर बरसे राठौड़
गहलोत सरकार के मंत्रियों पर बरसे राठौड़

Politalks.News/Rajasthan.  केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने मंगलवार को लड़कियों की शादी की उम्र सीमा से संबंधित बाल विवाह निषेध (संशोधन) बिल, 2021 (The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया. इस बिल में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है. इस बिल को लेकर विपक्ष विरोध जता रहा है तो गहलोत सरकार में महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश (Mamata Bhupesh) और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने खुलकर विरोध किया है. अब इन दोनों दिग्गजों द्वारा विरोध जताने पर प्रदेश भाजपा की ओर से मोर्चा संभाला है उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने. राठौड़ ने मंत्रियों के बयानों की कड़े शब्दों में निंदा की है. राठौड़ ने कहा कि, गहलोत सरकार के मंत्री अपने आकाओं को खुश करने के लिए अनर्गल बयान दे रहे है’.

आकाओं के सामने नंबर बढ़ाने के लिए दे रहे हैं अनर्गल बयान- राठौड़
कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘केंद्र सरकार के हर प्रगतिशील कदम का विरोध कर राज्य सरकार के मंत्रीगण अपने आकाओं के सामने नंबर बढ़ाने के लिए अनर्गल बयान जारी कर रहे हैं. गहलोत सरकार के मंत्री आलाकमान को खुश करने के लिए बेटियों के दुश्मन बन बैठे हैं जिनका सिर्फ एक ही मकसद है, केंद्र सरकार के हर निर्णय का विरोध करना.’

‘मोदी सरकार का एक स्वागत योग्य, ऐतिहासिक और अभूतपूर्व निर्णय’
चूरू विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘जया जेटली के नेतृत्व में बनी केंद्रीय टास्क फोर्स तथा दिसंबर 2020 में नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश तथा केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय के व्यापक विचार विमर्श के पश्चात देशभर में मातृ-मृत्यु दर को कम करने, बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए, उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए, पुरुष व महिलाओं में समानता लाने के लिए तथा 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की गई घोषणा की अनुपालना में महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष किया जाना एक स्वागतयोग्य, ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व निर्णय है’.

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‘राजनीतिक आधार पर विरोध दुर्भाग्यपूर्ण’
भाजपा के दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘केंद्र सरकार अपने इस निर्णय के क्रम में हिंदू मैरिज एक्ट 1955, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एवं बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में बदलाव करने जा रही है जिसका राज्य सरकार द्वारा स्वागत किए जाने की बजाय राजनीतिक आधार पर विरोध किया जाना और लड़कियों को हतोत्साहित किया जाना, दुर्भाग्यपूर्ण है’.

‘क्या गहलोत सरकार मंत्रियों के बयानों का करती है समर्थन?’
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मंत्रिमंडल सामूहिक उत्तरदायित्व के आधार पर काम करता है. इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उनकी सरकार लड़कियों की आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के निर्णय के विरोध में है और अपने मंत्रीगणों के बयानों का पुरजोर समर्थन करती है ?’

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‘सभी वर्गों के फीडबैक के बाद लिया फैसला’
चूरू विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘टास्क फोर्स ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु को 21 वर्ष बढ़ाए जाने की सिफारिश करने से पूर्व 16 यूनिवर्सिटीज, 15 एनजीओ, हजारों युवाओं, पिछड़े तबकों और सभी धर्मों तथा शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में समान रूप से फीडबैक लिया था’.

‘बाल विवाह को प्रोत्साहन का महापाप से यूटर्न लिया था गहलोत सरकार ने’
भाजपाई दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘यह पहली बार नहीं है जब राज्य सरकार द्वारा बेटियों को लेकर विवादास्पद बयान या फैसला लिया गया हो. इस पहले सितंबर माह में विधानसभा सत्र के दौरान राजस्थान विधानसभा में ‘राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक 2021” को लाकर राज्य सरकार बाल विवाह को प्रोत्साहन देने का महापाप कर रही थी तब भी अपने इस निर्णय पर राज्य सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा था’.

इधर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में ये बिल पेश करने के दौरान कहा कि, ‘केन्द्र सरकार इस बिल को स्थाई समिति को भेजना चाहती है. साथ ही ये भी बताया कि इस बिल को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के दो साल बाद अमल में लाया जाएगा’.

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18 वोट का अधिकार तो शादी का क्यों नहीं?
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रस्तावित प्रावधान को लेकर अब राजस्थान से विरोधी स्वर उठने लगे हैं. गहलोत सरकार के मंत्री अब केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले के खिलाफ बोलने लगे हैं. महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने केंद्र सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया. महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने सीकर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, ‘केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करके जबरन लड़कियों पर अपना फैसला थोपने का काम कर रही है’. भूपेश ने आगे कहा कि, ‘जब एक 18 साल की लड़की वोट देने का अधिकार रखती है तो वह शादी क्यों नहीं कर सकती है’.

शादी की उम्र 18 साल ठीक है- धारीवाल
वहीं यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी एक बयान में कहा कि, ‘मेरी राय में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करना गलत है’. धारीवाल ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, ‘जहां हम 18 साल की उम्र के कानून की पालना नहीं करवा पा रहे वहां हम 21 साल होने के बाद कैसे पालना करवाएंगे‘. हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह उनकी पार्टी की नहीं बल्कि उनकी निजी राय है.

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