राजेंद्र राठौड़ ने लिखा सीएम गहलोत को पत्र, अस्थाई रूप से अन्नपूर्णा योजना को फिर से शुरु करने की मांग

लॉकडाउन में लोगों को हो रही खाने की परेशानी तो इस योजना से हो सकता है समाधान, वसुंधरा सरकार में शुरु की गई इस योजना में बेहद कम दरों पर मिलता था नाश्ता और खाना

Rajendra Rathore
Rajendra Rathore

पॉलिटॉक्स न्यूज/राजस्थान. कोरोना महामारी के ख़ौफ़ से गुजर रही प्रदेश की गरीब जनता के लिए विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे द्वारा शुरु की गई अन्नपूर्णा योजना को अस्थाई तौर पर फिर से शुरु करने की मांग की है. अन्नपूर्णा योजना में गरीब लोगों के लिए 5 रुपये में नाश्ता और 8 रुपये में भोजन की सुविधा उपलब्ध थी जिसे वाहनों के जरिए प्रदेश के अलग अलग जगहों पर पहुंचाया जाता था. कुछ समस्याओं के चलते इस योजना को फिलहाल बंद कर दिया गया है. कोरोना संकट और संपूर्ण प्रदेशभर में लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष भोजन का संकट उत्पन्न हो रहा है. ऐसे में ये योजना संकटमोचक साबित हो सकती है. योजना को फिर से शुरु करने की मांग के लिए बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र भी लिखा है.

Rajendra Rathore Letter
Rajendra Rathore Letter

उपनेता प्रतिपक्ष ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगा हुआ है. लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूरों व बड़ी संख्या में ठेला, रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले गरीबों को खाने की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे समय में अन्नपूर्णा योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो सकेगी.

कोरोना संकट में जरूरतमंदों के बीच खुद खाद्य सामग्री वितरित करने पहुंचे राजेंद्र राठौड़

राठौड़ ने सीएम गहलोत को सुझाव देते हुए कहा है कि अत्यंत गरीब वर्ग के व्यक्तियों एवं दैनिक मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वालों के लिए एक बार पुनः अन्नपूर्णा रसोई योजना प्रारंभ कर दी जाये ताकि जरूरतमंदों को बेहद सस्ती दरों पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सके. राठौड़ ने बताया कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने प्रदेश में अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की थी जिसके तहत जरूरतमंद व गरीब लोगों को 5 रु में नाश्ता एवं 8 रु में खाना उपलब्ध कराया जाता था. चूंकि इसे राज्य सरकार द्वारा अन्नपूर्णा योजना को बंद किये जाने के निर्णय के समय संबंधित एजेन्सी (संस्था) के पास संपूर्ण आधारभूत संरचनाएं यथा वाहन, भोजन तैयार की रसोई और स्टाफ उपलब्ध है जिसे तदर्थ रूप से प्रारंभ करने में एजेन्सी (संस्था) को ज्यादा समस्या भी नहीं होगी. यदि इसे अस्थाई/स्थाई रूप से पुनः शुरु कर दिया जाये तो संकट की इस घड़ी में गरीब मजदूरों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन मिलने से बड़ी राहत मिल सकेगी.

लॉकडाउन के बीच सरकार ने उठाया पलायन कर रहे श्रमिकों को बसों से अपने घर भेजने का बड़ा कदम

गौरतलब है कि इस समय देश और प्रदेश में कोरोना वायरस का संकट चल रहा है. देशभर में कोरोना पॉजिटिव के 905 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, वहीं 21 लोगों की इस महामारी की चपेट में आकर मौत हो चुकी है. प्रदेश में कोरोना के संक्रमण में आकर दो लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 52 संक्रमित हैं. केंद्र और राज्य सरकार ने लोगों से घरों में रहने और सोशल डिस्टेन्सिंग बनाने को कहा है लेकिन फिर भी लोगों ने अपने अपने गांव और गृह राज्यों की ओर पलायन करना शुरु कर दिया है. गहलोत सरकार सभी को भोजन इत्यादि की व्यवस्था कर रही है, साथ ही बाहर से आए लोगों को गन्तव्य तक पहुंचाने के लिए बसों का इंतजाम किया गया है. हालात सुधारने के सभी कोशिश की जा रही हैं.

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