PoliTalks.news/Delhi. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कोरोना काल में विषय एक्सपर्ट से बात करना बदस्तूर जारी है. इस बार उन्होंने मुहम्मद यूनुस से बात की. यूनुस बांग्लादेश के एक प्रख्यात अर्थशास्त्री और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं. राहुल गांधी ने मोहम्मद युनूस से कोरोना संकट के कारण गरीबों पर आई मुसीबत की बात की तो एक्सपर्ट ने गांवों की अर्थव्यवस्था को खड़ा करने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को शहर नहीं बल्कि गांव में ही नौकरी दी जाए. बता दें, मु.यूनुस ने बांग्लादेश में माइक्रो क्रेडिट यानी गरीबों को बिना जमानत के छोटे-छोटे लोन देने की शुरुआत की थी. उसके बाद उन्हें बांग्लादेश के गरीबों का मसीहा माना जाता है.
मुहम्मद यूनुस को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला. मु. यूनुस तथा बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक को नोबेल शांति पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला था. नोबेल पुरस्कार के अलावा उन्हें 1987 में बांग्लादेश का प्रतिष्ठित इंडिपेन्डेंस डे अवॉर्ड, 1994 में अमेरिका का वर्ल्ड फूड प्राइज, 2009 में अमेरिका का यूस प्रेसिडेंशियल मेडल फ्रीडम अवॉर्ड और साल 2000 में जॉर्डन का किंग हुसैन ह्यूमनिटेरियन अवॉर्ड मिल चुका है. उन्होंने इकोनॉमिक्स को लेकर कई किताबे भी लिखी हैं.
राहुल गांधी से चर्चा करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि हम लोग आर्थिक मामले में पश्चिमी देशों की तरह चलते हैं, इसलिए गांव के मजदूरों और छोटे व्यवसाईयों की तरह ध्यान नहीं दिया जाता, न ही उन्हें अर्थव्यवस्था का हिस्सा माना जाता है, जबकि छोटे मजदूरों और कारोबारियों के पास काफी टैलेंट है. मु.यूनुस ने कहा कि पश्चिमों में गांव के लोगों को शहर में नौकरी के लिए भेजा जाता है, वही अब भारत में हो रहा है. हम गांव में ही अर्थव्यवस्था क्यों नहीं खड़ी कर देते हैं? पहले शहर के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर था, गांव के पास नहीं लेकिन आज सभी तकनीक है तो फिर क्यों लोगों को शहर भेजा जा रहा है. सरकार को जहां लोग हैं वहां पर ही काम लाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि ये सिर्फ एशिया नहीं बल्कि दुनिया का मंत्र होना चाहिए. जब हमने ग्रामीण बैंक शुरू किया तो वो सिर्फ बांग्लादेश की बात लगी, लेकिन धीरे-धीरे वही मॉडल ग्लोबल हो गया.
कोरोना संकट पर बात करते हुए यूनुस ने कहा कि कोरोना संकट ने आर्थिक मशीन को रोक दिया है. अब लोग सोच रहे हैं कि पहले जैसी स्थिति जल्द हो जाए लेकिन ऐसी जल्दी क्या है. अगर ऐसा होता है तो बहुत बुरा होगा. हमें उसी दुनिया में वापस क्यों जाना है जहां ग्लोबल वार्मिंग का मसला है और बाकी सभी तरह की दिक्कतें हैं. ये हानिकारक होगा, कोरोना ने आपको कुछ नया करने का मौका दिया है. आपको कुछ अलग करना होगा, ताकि समाज पूरी तरह से बदल सके.
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश में जाति का सिस्टम है तो अमेरिका में रंगभेद है. लेकिन हमें आज मानवता पर वापस लौटना होगा, कोरोना वायरस ने इन सबको पीछे छोड़ दिया है. अब नया सिस्टम बनाने का मौका है. कोरोना ने हमें नया सिस्टम बनाने का मौका दिया है.
मु.यूनुस ने राहुल गांधी की गरीबों को नकदी देने का समर्थन करते हुए कहा कि जब हमने ग्रामीण बैंक शुरू किया तो लोग हैरान थे कि हम उनके हाथ में इतना पैसे क्यों दे रहे हैं. हमने किसी से कागज नहीं मांगे, सिर्फ जरूरत के हिसाब से मदद की. उन गरीबों लिए 1000-2000 रुपया ही ज्यादा था. अब हर साल अरबों डॉलर का लोन दिया जाता है. अब नए सिस्टम की शुरुआत करना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि सरकार काफी चीजों को खत्म कर सकती है, उनके पास ताकत है. लेकिन अगर आप लोगों के लिए कुछ कर रहे हो, लेकिन आप व्यवस्था नहीं हो. इसलिए सरकार के हाथ में अधिकतर चीज़ें रहती हैं. आप जितना प्रयास करोगे उतनी अधिक शक्ति से वापस आएगा. अगर आप गरीबों की आर्थिक मदद कर रहे हैं तो उद्योगपतियों से बात भी जरूरी है.
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वार्ता के अंत में मु.यूनुस ने राहुल गांधी ने पूछा कि आप भारत की अगली पीढ़ी में क्या देखते हैं और आने वाली पीढ़ी को क्या देना चाहते हैं. आज युवा दुनियाभर में सड़कों पर आ गए हैं, चाहे नौकरी का संकट हो या फि ग्लोबल वार्मिंग का, इस पर आपका क्या विचार है?
इसका जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आज लोगों को पता है कि देश में कुछ गलत हो गया है, अमीर और गरीब में अंतर काफी अधिक है. ये गरीब के चेहरे पर नज़र आता है, ये लोगों को परेशान करता है. युवा भी अब कुछ नया चाहता है, हम विपक्ष के रूप में इसपर काम कर रहे हैं.