बिहार विधानसभा चुनावों को अब कुछ ही महीने शेष हैं. आगामी एक दो माह में चुनाव आयोग चुनावों की घोषणा कर सकता है. राजद के पारिवारिक मसलों के बीच एनडीए जीत के प्रति आश्वस्त चल रही है. वहीं ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मानकर हथियार डाल दिए हैं. ऐसे में बिहार में महागठबंधन अब बिखरा हुआ लग रहा है. ऐसे संकेत लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी ने अपने एक लेख में दिए हैं.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार के लेख में पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही बीजेपी ने जीत तय करने की पूरी कोशिश कर ली थी. कांग्रेस नेता ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह की धांधली करने की बात कही है.
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राहुल गांधी ने लेख में कहा, ‘भाजपा और उसके सहयोगियों ने चुनाव जीतने के लिए 5 स्टेप की प्लानिंग की थी.’ उन्होंने ये भी कहा कि महाराष्ट्र की तरह की मैच फिक्सिंग अगली बार बिहार में होगी, फिर किसी भी राज्य में जहां भाजपा हारती दिख रही हो.’ राहुल गांधी ने कथित तौर पर बीजेपी की 5 स्टेप प्लानिंग के बारे में भी बताया. उनके अनुसार, ‘बीजेपी ने चुनाव आयोग में अपने हिसाब से लोगों की नियुक्ति की. वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़े. वोटिंग का आंकड़ा जरूरत से ज्यादा दिखाया. जिन इलाकों में बीजेपी को हार का डर था, वहां फर्जी वोट डलवाए गए. मतदान के बाद सबूतों को छिपाया गया.
बीजेपी ने किया पलटवार
राहुल गांधी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का बीजेपी ने खंडन किया है. बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों को शर्मनाक भी बताया है. पार्टी प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कांग्रेस सांसद के बयान पर कहा, ‘राहुल फिर से देश की संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. चुनाव आयोग ने इन मुद्दों पर पहले भी साफ-साफ जवाब दिया है.’
क्या सच में हार मान बैठी है कांग्रेस
बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी का ये बयान कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के हौसले पस्त करने जैसा है. वैसे भी बिहार की राजनीति में कांग्रेस राजद, जदयू, बीजेपी के बाद चौथे नंबर पर है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन के चलते महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस बार लालू की पार्टी पारिवारिक मसलों के चलते विवादों में घिरी हुई है, जबकि कांग्रेस की हालत पहले से भी पतली है. ऐसे में राहुल गांधी की ओर से इस तरह के बयानों से पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं में हीन भावना पैदा हो सकती है, जिसका खामियाजा आगामी राज्य चुनावों में उठाना पड़ सकता है.