जयपुर: राजस्थान की सियासत में बदलाव ऐसे ही नहीं आते, यहां सत्ता बदलती है तो सिर्फ सरकार नहीं बदलती, पूरे संवाद की भाषा बदल जाती है. 15 दिसंबर 2023 को अपने 57वें जन्मदिन के दिन जब भजनलाल शर्मा प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री बने, तब यह फैसला जितना राजनीतिक गलियारों में चौंकाने वाला था… उतना ही जनता के लिए उम्मीद भरा हुआ भी था. एक ऐसा चहेरा…जो सत्ता का चेहरा कम और संगठन कर प्रतिनिधि ज्यादा लगता था, और यही वजह थी कि शुरुआती दिनों में भजनलाल सरकार पर सवाल भी उठे और आम और ख़ास से लेकर हर किसी निगाहें सरकार के हर फ़ैसले पर ही टिकी रहीं.
प्रारंभिक जीवन परिचय:
राजनीति में बिना किसी गॉडफ़ादर के एक साधारण कार्यकर्ता से राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने तक का सफ़र तय करने वाले भजनलाल शर्मा का जन्म 15 दिसंबर 1966 को भरतपुर जिले के नदबई क़स्बे के पास स्थित अटारी गांव में किसान किशन स्वरूप शर्मा और गोमती देवी के घर हुआ था. भजनलाल शर्मा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अटारी और आसपास के गांवों में पूरी की और माध्यमिक शिक्षा के लिए नदबई चले गए. 1989 में, शर्मा ने भरतपुर के एमएसजे कॉलेज BA और फिर 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में MA की उपाधि प्राप्त की. भजनलाल शर्मा का विवाह गीता शर्मा से हुआ है और उनके दो बेटे हैं. बड़ा बेटा, अभिषेक शर्मा, जिसका अपना निजी व्यवसाय है, जबकि उनका छोटा बेटा, कुणाल शर्मा, एक डॉक्टर है.
राजनीतिक कैरियर:
* 1980 के दशक: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने.
* 2000: अटारी गांव के सरपंच (ग्राम प्रधान) बने.
* 2003: राजस्थान सामाजिक न्याय मंच का प्रतिनिधित्व करते हुए विधानसभा चुनाव हारे.
* 2009: राजस्थान में भाजपा की ओर से भरतपुर जिले के जिला अध्यक्ष बने.
* 2010: अटारी ग्राम पंचायत समिति के सदस्य बने.
* 2014: राजस्थान राज्य में भाजपा के उप-अध्यक्ष बने.
* 2016: राजस्थान में भाजपा के राज्य मंत्री बने.
* 2023: पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और राजस्थान के 14वें मुख्यमंत्री बने.
चुपचान काम…लेकिन संदेश साफ़
आगामी 15 दिसम्बर 2025 को अपने कार्यकाल का दूसरा साल पूरा करने जा रही भजनलाल सरकार ने यह साफ कर दिया कि यह सरकार पोस्टर्स और नारेबाजी से नहीं…बल्कि फैसलों से अपनी पहचान बनाएगी. पिछले दो सालों में बिना ज्यादा शोर किए प्रशासन में अनुशासन लाया गया… अफसरशाही को यह संदेश दिया गया कि अब कुर्सी नहीं… जिम्मेदारी निभानी होगी. हालांकि विपक्ष ने दो वर्षों में सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन सरकार ने टकराव से ज्यादा संगठनात्मक मजबूती और नतीजों की राजनीति को तरजीह दी. आज, जब भजनलाल सरकार अपने दो साल लगभग पूरे कर चुकी है, यह सिर्फ कार्यकाल का आंकड़ा नहीं है… यह उस राजनीतिक मॉडल का आईना है, जिसमें सत्ता का मतलब सिर्फ शासन नहीं, बल्कि स्थिरता भी है. आने वाले वर्ष इसी बात का जवाब देंगे कि यह मॉडल कितना गहरा उतरता है.
विश्वास की सबसे मजबूत वापसी :
भजनलाल सरकार की सबसे बड़ी पहचान कानून-व्यवस्था को लेकर रही है. पुलिस को खुला समर्थन मिला, अपराध के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई. बजरी माफिया, साइबर ठगी, संगठित अपराध हर मोर्च पर भजनलाल सरकार ने यह संदेश दिया कि अब कानून सिर्फ किताबों में नहीं चलेगा. सबसे बड़ा असर यह दिखा कि आम आदमी का भरोसा धीरे-धीरे वापस लौटने लगा. थानों में सुनवाई का माहौल बना, शिकायते सिर्फ दर्ज नहीं हुईं, उन पर कारवाई भी दिखी.
प्रशासन में अनुशासन….
दो वर्षों में सरकारी मशीनरी में वह सुस्ती कम हुई, जिसकी शिकायत वर्षों से होती रही थी। तबादलों, सख्त निगरानी और जवाबदेही के चलते अफसरशाही को यह समझ आ गया कि अब काम की रफतार भी देखी जाएगी और परिणाम भी. कई अटकी योजनाएं भी दुबारी प्रारंभ हो गईं. सडक, बिजली, पानी और शहरी विकास के प्रोजेक्टस ने गति पकड़ी. यह बदलाव धीरे आया, लेकिन धरातल पर दिखने लगा है.
युवाओं का टूटा भरोसा फिर जुड़ रहा
भजनलाल सरकार ने पिछले दो सालों में सबसे बड़ी अगर उपलब्धि हासिल की तो वह हैं प्रदेश के युवाओं का भरोसा जीतना. पिछली सरकार में ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक से निराश और परेशान हो चुके युवाओं के मन में विश्वास जगाने के लिए भजनलाल सरकार ने सख्त कानून बनाया, जांच एजेंसियों को खुली छूट दी. कई मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए पेपर माफियाओं को सलाखों के पीछे धकेला. तो वहीं भजनलाल सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का कोई पेपर लीक नहीं होने से आज पढ़े लिखे युवाओं के दिल में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा है. भले ही भर्तियों की रफतार पर भी सवाल उठते हों, लेकिन पारदर्शिता की दिशा में उठाए गए कदमों ने युवाओं और आमजन में यह भरोसा पैदा किया कि सिस्टम अब पहले जैसा नहीं रहेगा.
गांव, कृषि और किसानों को मिली राहत
एक किसान के घर में जन्में और गांव में रहकर पले-बढ़े भजनलाल शर्मा से ज़्यादा गाँव, कृषि और किसानों की स्थिति को कौन समझ सकता है. पिछले 2 वर्षों में भजनलाल सरकार ने किसानों के हित को हमेशा से आगे रखा है. एक तरफ जहां किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने का क्रम जारी है तो वहीं युवाओं को कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही है. वहीं उद्यानिकी विभाग के माध्यम से नई तकनीकों, नई फसलों को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा पिछले 2 वर्षों में किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया और डीएपी की सप्लाई करने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य में किसानों को 45.58 लाख मैट्रिक टन यूरिया और 13.36 लाख मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध करवाया गया है. 66.22 लाख कृषकों को बीज मिनीकिट का निःशुल्क वितरण किया गया. जिस पर 63.33 करोड़ रुपए व्यय किए गए.
कृषि और किसान के लिए उठाए गए बड़े कदम:-
* 1.02 लाख कृषि यंत्रों के लिए किसानों को 229.75 करोड़ रुपए का अनुदान
* 50 हजार कृषकों को गोवंश से जैविक खाद बनाने के लिए गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना, जिसके तहत प्रति कृषक 10 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है
* 9205 पीएम किसान समृद्धि केन्द्र स्थापित किए गए
* 9481 कृषकों को शैक्षिक भ्रमण पर भेजा गया, 40 किसान विदेश भी भेजे गए
* प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 6206.61 करोड़ रुपए के बीमा क्लेम दिए गए
* 2.19 करोड़ (पूरे देश की 26 प्रतिशत) बीमा पॉलिसियां हुई, जो देश में सर्वाधिक
* किसानों द्वारा 7959 डिग्गियों का निर्माण कराया गया, 158 करोड़ रुपए का अनुदान
* जल संरक्षण हेतु 35368 फार्म पौण्ड का निर्माण, 213 करोड़ रुपए का अनुदान
* कुओं से खेत तक पानी बर्बादी रोकने के लिए 32918 किमी सिंचाई पाइप लाइन डाली
* पाइप लाइन के लिए किसानों को 78 करोड़ रुपए अनुदान दिया गया
* किसानों की फसल को नुकसान से बचाने के लिए 29926 किमी लम्बाई में तारबंदी
* तारबंदी के लिए किसानों को 330.39 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया
* किसानों को नवीन तकनीकी ज्ञान के लिए 7.28 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया
* 2.50 लाख किसानों के जरिए 1 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती गतिविधियां सुचारू
भजनलाल सरकार द्वारा किसानों के लिए बिजली, बीमा और मुआवजे से जुड़े फैसलों ने ग्रामीण इलाकों में भरोसा बनाए रखा. सिंचाई परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ, नहरों की हालत में सुधार हुआ. ग्रामीण इलाकों में में सड़क, पानी सहित स्वास्थ्य सेवाओं पर जो काम हुआ, वह चुनावी मंच से भले छोटा लगे, लेकिन जमीन पर इसका असर सबसे गहरा दिखता है.
पहले साल राइजिंग राजस्थान तो वृषगाँठ पर प्रवासी राजस्थानी दिवस – करोड़ों का हुआ निवेश:-
भजनलाल सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले ही साल में ऐतिहासिक राइजिंग राजस्थान इंवेस्टमेंट समिट का सफल आयोजन कर अपने सियासी और प्रशासनिक कौशल का लोहा मनवा लिया था. दिसम्बर 2024 में हुए राइजिंग राजस्थान समिट के दौरान 35 लाख करोड़ रुपये के MoU साइन हुए. इसी की पहली वर्षगांठ पर बीते बुधवार यानी 10 दिसंबर 2025 को राजधानी के सीतापुरा स्थित JECC में प्रवासी राजस्थान दिवस का भव्य आयोजन हुआ. दरअसल, प्रवासी राजस्थानियों के योगदान और उनके सम्मान के उत्सव के रूप में भजनलाल सरकार ने हर वर्ष 10 दिसंबर को प्रवासी राजस्थानी दिवस मनाने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई में हुए इस भव्य आयोजन में राज्यपाल के अलावा केंद्र के कई मंत्री शामिल हुए. खुद पीएम नरेन्द्र मोदी ने राज्य सरकार को संदेश के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी दिवस के आयोजन के लिए बधाई दी. इस दौरान 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों की ग्राउंड ब्रेकिंग की गई, जिससे राइजिंग राजस्थान समिट के बाद से धरातल पर उतरी परियोजनाओं की कुल राशि बढ़कर अब 8 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो गई है.
गौरतलब है कि पीएम मोदी के विकसित भारत-2047 के संकल्प में राजस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है. प्रदेश में गत वर्ष राइजिंग राजस्थान समिट के दौरान 35 लाख करोड़ रुपये के समझौते के बाद प्रवासी राजस्थानी दिवस के दिन एक लाख करोड़ रूपये के एमओयू की ग्राउंड ब्रेकिंग के साथ 8 लाख करोड़ रुपये के एमओयू अभी तक धरातल पर उतर चुके हैं. आज राजस्थान 24 से अधिक नई नीतियों के साथ निवेश के लिए देश के सबसे पसंदीदा राज्य के रूप में उभरा है. प्रदेश में 23 हजार करोड़ रुपये के नए ट्रांसमिशन नेटवर्क, सौर ऊर्जा में 22,860 मेगावाट क्षमता तथा माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना जैसे बड़े कदम प्रदेश को तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
घर के भीतर बदला माहौल:-
स्वास्थ्य बीमा, स्वयं सहायता समूह और महिला सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाओं का असर सिर्फ आंकड़ों में नहीं, घरों के भीतर दिखने लगा है. महिलाएं अब केवल लाभार्थी नहीं, कई परिवारों की आर्थिक रीढ़ भी बन रही हैं.
तालमेल ही असली ताकत:-
जहाँ पिछली सरकार में आंतरिक कलह और सगंठन से परस्पर तालमेल की कमी के चलते जनता का काफ़ी समय सरकार की आपसी गुटबाज़ी से निपटने में व्यतीत हो गया तो वहीं पिछले दो सालों में भजनलाल सरकार की एक बड़ी ताकत यह रही कि सरकार और भाजपा संगठन के बीच तालमेल लगातार बना रहा. जिसके चलते केंद्र के साथ समन्वय ने योजनाओं को गति दी और यही वजह रही कि कई अहम फैसले बिना राजनीतिक टकराव के जमीन पर उतर सके.
अब भरोसे की राजनीति आगे बढ़ रही:-
भजनलाल सरकार के ये दो साल यह संकेत देते हैं कि राजस्थान अब स्थिरता और संतुलन के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. सिस्टम में अनुशासन आया है, विकास की दिशा तय हुई है और जनता के मन में यह विश्वास पैदा हुआ है कि सरकार काम कर रही है. अब आने वाले साल इस भरोसे को और गहरा करने की परीक्षा होंगे. लेकिन इतना साफ है….राजस्थान की सियासत अब सिर्फ बयानबाज़ी की नहीं, असर और भरोसे की राजनीति की ओर बढ़ चुकी है.



























