सरपंच का पक्ष सुने बिना निलंबित करना पायलट की प्रशासनिक विफलता- बेनीवाल, गोगामेड़ी ने दी चेतावनी

दोनों पक्षों में राजीनामे के बाद भी दलगत राजनीति के चलते बिना पक्ष सुने पलाड़ा सरपंच लीना कंवर को निलंबित करने का आरोप, करणी सेना ने लॉक डाउन के बाद सड़कों पर बड़े विरोध प्रदर्शन की दी चेतावनी, भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखा पत्र

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. देश-प्रदेश में जारी कोरोना कहर से जंग के बीच संकट के इस दौर में राजनेताओं के राजनीतिक वर्चस्व की लडाई का दौर भी जारी है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजस्थान के परबतसर विधानसभा क्षेत्र की पलाडा ग्राम पंचायत का, जहां हाल ही में नवनिर्वाचित महिला सरपंच लीना कंवर को सूबे के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के महकमें पंचायती राज विभाग ने सरपंच पद से निलंबित कर दिया है. इस मामले को लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है और राजपूत समाज के साथ-साथ अन्य समाज के जनप्रतिनिधियों व पलाड़ा की जनता में काफी रोष व्याप्त है. राजपूत समाज के प्रमुख संगठन करणी सेना ने सरपंच के निलंबन का जबरदस्त विरोध किया है. करणी सेना के संरक्षक सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने दलगत राजनीति के तहत लीना कंवर के निलंबन के लिए परबतसर विधायक पर आरोप लगाया है और लॉक डाउन के बाद बड़े विरोध की चेतावनी दी है. वहीं इस मामले नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि बिना पक्ष सुने सरपंच निलंबन गैर-लोकतांत्रिक है. बेनीवाल ने सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए कहा कि सरपंच का निलंबन उनकी प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है.

दरअसल, प्रदेश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद कोरोना की रोकथाम के कार्यों में राज्य सरकार ने शिक्षकों की डयूटी लगाई है. इसी के चलते नागौर जिले की परबतसर विधानसभा क्षेत्र के पलाडा ग्राम पंचायत में भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु बाहर से आये हुए व्यक्तियों को होम आइसोलेट करने के लिए शिक्षकों की डयूटी लगाई गई. इस दौरान शिक्षकों के ग्राम पंचायत में उपस्थित नहीं होने पर 27 मार्च को सरपंच लीना कंवर, ग्राम विकास अधिकारी और पंचायत प्रारंभिक प्रसार अधिकारी द्वारा उच्च अधिकारियों को शिकायत की गई.

शिकायत के बाद शिक्षक जब अपनी डयूटी पर लौटे तो जानबूझ कर द्वेषपूर्ण तरीके से सरपंच पति विजयसिंह पलाड़ा जो कि लॉक डाउन के दौरान पंचायत क्षेत्र के असहाय लोगों के लिए भोजन व अन्य व्यवस्थाओं के कुछ काम से उस समय पंचायत में ही मौजूद थे, से कहासुनी हो गई और इस पूरी घटना का एक विडियो बनाकर शिक्षकों द्वारा वायरल कर दिया गया. इसके बाद विवाद इतना गहरा गया कि शिक्षकों ने सरपंच पति का विरोध कर उनपर जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और ग्राम पंचायत से बाहर निकालने सहित राजकार्य में बाधा के आरोप लगाए और एफआईआर दर्ज करवाई. शिक्षकों द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के बाद सरपंच लीना कंवर द्वारा भी शिक्षकों के खिलाफ राजकार्य में बाधा और छेडछाड का मुकदमा दर्ज करवाया गया.

इसके बाद नागौर शिक्षक संघ ने कलेक्टर को पत्र लिखकर सरपंच पति पर कार्रवाई करने की बात कही. इसी बीच शिक्षकों और सरपंच पति के बीच 6 अप्रैल को राजीनामा हो गया और दोनों ही पक्षों ने थानाधिकारी को लिखित में केस वापस लेने का प्रार्थना पत्र भी दे दिया. इससे पहले जिला कलेक्टर ने शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए ने विकास अधिकारी पंचायत समिति कुचामन के माध्यम से टीम गठित कर पूरे मामले की जांच करवाई. जांच अधिकारियों ने बिना किसी ठोस जांच पडताल किए और सिर्फ घटना के समय मौजूद कुछ लोगों के बयान लिए बिना पुख्ता जांच किए रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी.

फिर देखने को मिली वो सरकारी फुर्ती जो अमूमन कम ही देखने को मिलती है. इस मामले में बिना कोई सुनवाई करे, बिना सरपंच लीना कंवर का पक्ष जाने 10 अप्रैल को पंचायती राज विभाग के विशिष्ठ शासन सचिव व निर्देशक ने सरपंच पति विजयसिंह को पंचायत कार्यालय में अनाधिकृत प्रवेश करते हुए शिक्षकों को पंचायत कार्यालय से बाहर निकालने व धमकाने का आरोपी माना. वहीं सरपंच लीना कंवर को पलाडा पंचायत का कार्यालय अध्यक्ष होते हुए इस पूरे मामले पर कोई कार्रवाई नहीं करने का दोषी मानते हुए सरपंच पद से निलंबित कर दिया. इसके बाद 12 अप्रैल रविवार को नागौर जिला कलेक्टर ने सरपंच लीना कंवर को पंचायत के किसी भी कार्य में भाग नहीं लेने और सरपंच का पदभार किसी अन्य को दिलवाने के उपखंड अधिकारी कुचामन को निर्देश भी दे दिए.

आनन फानन में नागौर जिला कलेक्टर द्वारा उपखंड अधिकारी कुचामन को दिए आदेश में गौर करने वाली बात यह भी रही कि एक तरफ कोराना कहर के चलते जहां सरकार लोगों से घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील कर रही है, वहीं कलेक्टर ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाते हुए उपखंड अधिकारी को आदेश दिए कि आपकी अध्यक्षता में पलाडा ग्राम पंचायत के निर्वाचित वार्ड पंचों की बैठक अविलम्ब आयोजित करें. वार्डपंचों के बहुमत से महिला वार्डपंच को आगामी आदेश तक सरपंच पद का कार्यभार दिलवाना सुनिश्चित करें. कलेक्टर के आदेश के बाद उपखंड अधिकारी ने पलाडा ग्राम पंचायत के वार्ड पंचों को नोटिस देकर 15 अप्रैल को सुबह 11 बजे राजीव गांधी सेवा केंद्र पलाडा पर उपस्थित होने के निर्देश दिए. पॉलिटॉक्स को मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन की आखिरी वक्त पर नींद खुली और सोशल डिस्टेंसिंग के सरकार के आदेशों को ध्यान रखते हुए इस बैठक को निरस्त किया गया.

अब पलाडा सरपंच लीना कंवर को सरपंच पद से निबंलित करने के बाद नागौर जिले की सियासत गर्मा गई है. इसके बाद नागौर भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले नावां से पूर्व विधायक हरिश कुमावत और मसूदा से पूर्व विधायक सुशील कंवर पलाडा ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर सरपंच के निलंबन में हस्तक्षेप करने की बात कही है. इसके साथ ही अपने पत्र में लिखा कि दलगत राजनीति के चलते निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा बनाकर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाकर सरपंच का निलंबन राज्य सरकार द्वारा करवाया है जो कि निदंनीय है. इस प्रकरण में हुई लोकतंत्र की हत्या की कार्रवाई को रोका जाए एवं सरपंच लीना कंवर के निलंबन को शीघ्र निरस्त कराया जाए.

वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सरपंच लीना कंवर को ग्रामीण विकास विभाग द्वारा निलंबन कर देने के प्रकरण को गैर लोकतांत्रिक ठहराया. सांसद बेनीवाल ने कहा कि राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सरपंच के पक्ष को सुने बिना ही उसे निलम्बित कर दिया जो उनकी प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है. सांसद बेनीवाल ने आगे कहा कि जिस घटना का उल्लेख करते हुए सरकार ने सरपंच को निलम्बित किया उस घटना के समय सरपंच मौके पर मौजूद ही नहीं थी ऐसे मे सरपंच के पक्ष को सुने बिना सरपंच को तत्काल निलम्बित कर देना न्यायोचित नहीं था.

वहीं सरपंच लीना कंवर के निलंबन को लेकर राजपूत समाज में भी भारी रोष है. इस पूरे मामले को लेकर राजपूत करणी सेना के नेता सुखदेव सिंह गोगामेडी और महिपाल मकराना ने जबरदस्त आक्रोश व्यक्त किया है. सुखदेवी सिंह गोगामेडी ने इस पूरे मामले पर कहा कि इस पूरे षडयंत्र में जातिवाद का जहर घोला जा रहा है सचिन पायलट जी राजपूत समाज को आपसे यह उम्मीद नहीं थी. इसके साथ ही गोगामेडी ने कांग्रेस के राजपूत नेताओं से कहा कि सरपंच लीना कंवर को निलंबित क्यों किया गया? आपमें सचिन पायलट से पूछने की हिम्मत है क्या? गोगामेडी ने आगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस पूरे मामले में दखल देने की अपील की.

वहीं करणी सेना के नेता महिपाल मकराना ने परबतसर विधायक रामनिवास गावडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि लीना कंवर के सरपंच पद के पदभार संभालने के बाद पंचायत की एक भी बैठक नहीं हुई है तो सरपंच के पति विजय सिंह ने कौनसी बाधा पहुंचाई. सरपंच लीना कंवर को फंसाने की कोशिश की गई है और राजपूत समाज की आन बान शान का प्रतीक लीना कंवर को समाज अब नीचा नहीं झुकने देगा. मकराना ने आगे कहा कि इस पूरे मामले को लेकर हम कोर्ट जाएंगे और सडकों पर उतरेंगे.

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वहीं इस पूरे मामले पर सरपंच लीना कंवर के खेमे का आरोप है कि परबतसर विधायक रामनिवास गावडिया ने राजनैतिक द्वेष्ता के चलते निलंबन की कार्रवाई कराई है. सूत्रों की माने तो परबत विधायक रामनिवास गावडिया और विजयसिंह पलाडा के बीच राजनैतिक वर्चस्व की लडाई है. विजयसिंह की पत्नी लीना कंवर के सरपंच चुनाव के समय विधायक रामनिवास गांवडिया ने एक सभा करके विजयसिंह की पत्नी को चुनाव नहीं जीतने देने की बात कही थी, साथ ही जीत जाने पर काम नहीं करने देने की बात भी कही थी जिसका विडियों भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. विधायक रामनिवास गावडिया उपमुख्मंत्री सचिन पायलट खेमे के माने जाते है, पंचायतीराज महकमे की कमान भी पायलट के हाथों मे है.

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