Pegasus हैकिंग मामले में विपक्ष ‘आगबबूला’, राहुल गांधी ने कहा- ‘हमें पता हैं वो सब पढ़ रहे हैं’

सियासी गलियारों में पेगासस स्पायवेयर की 'गूंज', विदेशी मीडिया के खुलासे के बाद विपक्ष 'आगबबूला', मानसून सत्र में 'गरजेगा' विपक्ष, जोरदार आरोपों की 'बौछार' की संभावना, राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर 'इशारों-इशारों' में साधा निशाना, भारत सरकार सभी आरोपों का पहले ही कर चुकी है 'खंडन'

सियासी गलियारों में पेगासस स्पायवेयर की 'गूंज'
सियासी गलियारों में पेगासस स्पायवेयर की 'गूंज'

Politalks.News/Delhi.  साल 2019 में राज्यसभा में तीखी बहस की वजह रहा पेगासस स्पायवेयर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. मानसून सत्र में Pegasus सॉफ्टवेयर से जासूसी का मामला जमकर गूंजेगा. मानसून सत्र से पहले ही मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास एक औऱ मुद्दा हाथ लगा है. विपक्ष के सभी दलों ने जहां इस मामले को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. वहीं राहुल गांधी ने बिना नाम लिए ही इशारों इशारों में मोदी सरकार पर निशाना साधा है. हालांकि भारत सरकार इन सभी आरोपों का खंडन किया है.

सॉफ्टवेयर से जासूसी विपक्ष ‘आगबबूला’
रविवार रात को हुए खुलासे के बाद से ही इस मसले पर विपक्ष आगबबूला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया है. जबकि अन्य राजद, टीएमसी समेत अन्य पार्टियों द्वारा इस मसले पर संसद में नोटिस दिया गया है. संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले हुए इस खुलासे की गूंज संसद के दोनों सदनों में जमकर गूंजेगी. विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में इस विषय पर चर्चा की मांग की है और स्थगन प्रस्ताव दिया गया है. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इसी मु्द्दे पर पत्र लिखा है. संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति को पत्र में लिखा है, जिसमें संजय सिंह ने लिखा है कि इस मामले में लोगों की निजता के अधिकार के हनन हो रहा है, इस मामले में सदन में चर्चा की जानी चाहिए.

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राहुल गांधी का मोदी सरकार पर जबरदस्त तंज
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने पेगासस सॉफ्टवेयर से फोन टेपिंग मामले को लेकर मोदी सरकार पर ट्वीट कर तंज कस दिया है. राहुल गांधी ने लिखा कि, ‘हम जानते हैं वो हमारे फोन में क्या पढ़ रहे हैं’, राहुल गांधी ने इस पूरे मामले को लेकर ट्वीट किया और सरकार को घेर लिया. राहुल ने बिना ज्यादा कुछ कहे अपना वार सरकार पर कर दिया.

जासूसी मामले में खुलासे से हड़कंप
रविवार को द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि दुनिया की कई सरकारें एक खास पेगासस नाम के सॉफ्टवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बड़े वकीलों समेत कई बड़ी हस्तियों की जासूसी करवा रही हैं. जिसमें भारत भी शामिल है. द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट के दावे के मुताबिक देश में 40 से ज्यादा पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकारी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख एवं अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारियों की जासूसी की गई. गार्जियन अखबार के मुताबिक जासूसी का ये सॉफ्टवेयर इजरायल की सर्विलेंस कंपनी NSO ने देशों की सरकारों को बेचा गया है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है.

कई मीडिया संस्थानों के पत्रकारों की जासूसी का दावा
इस जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर के ज़रिए इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द हिंदू, द वायर और द पायनियर जैसे मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकारों को निशाना बनाया गया था. दावा है कि एक भारतीय एजेंसी ने साल 2017 से लेकर 2019 के बीच इन संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों की निगरानी के लिए इनके फोन को टैप किया था.

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मोदी सरकार ने जांच रिपोर्ट का किया खंडन
भारत सरकार ने इस मामले पर कहा है कि, ‘सरकार पर कुछ लोगों की जासूसी का जो आरोप लगाया गया है उसका कोई मज़बूत आधार नहीं है और न ही इसमें कोई सच्चाई है. बयान में कहा गया है कि इससे पहले भी इस तरह का दावा किया गया था, जिसमें वाट्सएप के ज़रिए पेगासस के इस्तेमाल की बात कही गई थी. वो रिपोर्ट भी तथ्यों पर आधारित नहीं थी और सभी पार्टियों ने दावों को खारिज किया था. वाट्सएप ने तो सुप्रीम कोर्ट में भी इन आरोपों से इनकार कर दिया था. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आईटी मंत्री ने इस पर विस्तार से बात की थी. संसद में भी उन्होंने बयान दिया था कि अनधिकृत तरीके से सरकारी एजेंसी द्वारा किसी तरह की कोई टैपिंग नहीं की गई है. इंटरसेप्शन के लिए सरकारी एजेंसी प्रोटोकॉल के तहत ही काम करती है. टैपिंग का काम किसी बड़ी वजह और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र ही किया जाता है. ये खबर भारतीय लोकतंत्र और इसके संस्थानों को बदनाम करने के अनुमानों और अतिश्योक्ति पर आधारित है. सरकार ने अपने जवाब में साफ़ किया है कि छापी गयी रिपोर्ट बोगस है और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तथ्यहीन रिपोर्ट छापी गई है.

क्या है पेगासस (Pegasus)
Pegasus एक स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है. इससे किसी की जासूसी की जा सकती है. इसे इजरायल की एक कंपनी NSO Group ने तैयार किया है. ये कंपनी साइबर वेपन्स बनाने के लिए जानी जाती है. इजरायली कंपनी ने बताया है वो सिर्फ सरकार को ये टूल बेचती है और इसके मिसयूज के लिए जिम्मेदार नहीं है. इससे फोन हैक करने पर यूजर्स को पता भी नहीं चलता है कि उनका फोन हैक हुआ है. इस वजह से इसका यूज किया जाता है.

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इससे पहले पेगासस कब सुर्खियों में था?
पेगासस सबसे पहले 2016 में सुर्खियों में आया था. UAE के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को अनजान नंबर से कई SMS मिले थे, जिसमें कई लिंक भेजी गई थीं. अहमद को जब इन मैसेज को लेकर संदेह हुआ तो उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स से इन मैसेजेस की जांच करवाई. जांच में खुलासा हुआ कि अहमद अगर मैसेज में भेजी लिंक पर क्लिक करते तो उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो गया था. 2 अक्टूबर 2018 को सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या हो गई थी. इस हत्याकांड की जांच में भी पेगासस का नाम सामने आया था. जांच एजेंसियों ने शक जताया था कि जमाल खशोगी की हत्या से पहले उनकी जासूसी की गई थी. 2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था. तब व्हाट्सएप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से
हैक की गई थी. इस मामले को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में जोर-शोर से उठाया था और सरकार पर कई आरोप भी लगाए थे. इसके अलावा मैक्सिको सरकार पर भी इस स्पायवेयर को गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं.

 

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