विधानसभा चुनाव से पहले मायावती ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए चला पुराना सियासी ‘इमोशनल दांव’

बसपा सुप्रीमो मायावती अपने 14 साल पुराने (साल 2007) फार्मूले पर 'ब्राह्मणों को साधने' की कोशिश में जुट गई हैं, मायावती 'ब्राह्मण सम्मेलन' शुरू करने जा रहीं हैं, प्रथम चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक लगातार छह जिलों में होने वाले इन ब्राह्मण सम्मेलनों का नेतृत्व सतीश चंद्र मिश्र ही करेंगे

मायावती ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए चला पुराना दांव'
मायावती ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए चला पुराना दांव'

Politalks.News/UttarPradesh. अगले साल होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के सभी पार्टीयों ने अपने सियासी घोड़े दौड़ाना शुरू कर दिया है. बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की तैयारियों के बीच बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने भी अपने चुनावी ‘पत्ते‘ खोलने शुरू कर दिए हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को एक बार फिर से 14 साल पुराने (साल 2007) फार्मूले पर ‘दांव‘ चल दिया है. यानी एक बार फिर बसपा चीफ ‘ब्राह्मणों को साधने‘ की कोशिश में जुट गई हैं. मायावती ‘ब्राह्मण सम्मेलन‘ शुरू करने जा रहीं हैं. इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और रणनीतिकार सतीश चंद्र मिश्र ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. यहां हम आपको बता दें कि बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 23 जुलाई से अयोध्या से शुरू होगा. सतीश चंद्र मिश्र अयोध्या में मंदिर दर्शन से ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद शुरू करेंगे. पहले चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक लगातार छह जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. इन ब्राह्मण सम्मेलनों का नेतृत्व सतीश चंद्र मिश्र ही करेंगे.

रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यूपी के दलित लोगों पर मुझे भरोसा है, बीजेपी और कांग्रेस वालों ने दलितों को भटकाने के बहुत प्रयास किए. बीजेपी ने दलितों को खूब खिचड़ी खिलाई, लालच दिया. दलितों के हाथों की बनी खिचड़ी इन्हे पसंद नहीं होती है, शायद खुद से ही बना कर ले गए हों, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने यही किया’. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि, ‘भारतीय जनता पार्टी फिर से हथकंडे इस्तेमाल करेगी जिससे ब्राह्मण वोट बीजेपी के पास बना रहे. उन्होंने कहा कि बसपा ने हमेशा ब्राह्मणोंं का सम्मान किया हैैैै, हमारा वोट प्रतिशत सपा से भी ज्यादा था.’

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे कहा कि, ‘ब्राह्मण बीजेपी के बहकावे में आ गए. मुझे पूरा भरोसा है कि ब्राह्मणों के साथ कितना गलत हो रहा है, अब ब्राह्मण बीजेपी को वोट नहीं देंगे, न ही बीजेपी के बहकावे में आएंगे‘. मायावती ने कहा कि दलितों की तरह ब्राह्मण अटल रहेंगे, जैसे 2007 में इन्होंने हमारा साथ दिया वैसे ही इस बार भी साथ देंगे. हमने ब्राह्मणों का हमेशा ख्याल रखा, दलित बीजेपी के भ्रम में नहीं फंसा, ब्राह्मण फंस गए. गौरतलब है कि साल 2007 में मायावती ने बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को चुनावी मैदान में टिकट देकर उतारा था. मायावती की यह रणनीति सफल भी रही और बहुजन समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी. मायावती ने 2007 में उत्तर प्रदेश में ‘सोशल इंजीनियरिंग‘ शुरू की थी. जिसके रणनीतिकार सतीश चंद ही थे. 2007 में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को 403 में से 206 सीटें मिली थी. 2007 का विधानसभा चुनाव मायावती के राजनीति करियर में सबसे अच्छा माना जाता है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने मोदी सरकार पर भी जमकर हमला बोला. मायावती ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना चाहिए और इस मानसून सत्र में केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है. ताकि केंद्र सरकार संवेदनशील होकर काम करे. केंद्र की गलत नीतियों एवं कार्यकलापों, पेट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते कीमतों से आम लोग परेशान हैं. मायावती ने कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना पीड़ितों और टीकाकरण को लेकर घोषणाएं तो बहुत की लेकिन अमल नहीं हो पाया, बीजेपी की सरकार यूपी में बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हो रहा है. मायावती के ब्राह्मण सियासी दांव ने एक बार फिर भाजपा, सपा और कांग्रेस में खलबली मचा दी है.

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गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश को करोड़ो की सौगात देकर यूपी चुनाव के लिए बीजेपी का चुनावी शंखनाद किया था. तो वहीं इसके बाद सपा, कांग्रेस और बसपा भी सक्रिय हो गई हैं. रविवार को उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी लखनऊ में बारिश के बीच सियासी तापमान ‘गर्म‘ रहा. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पिछले तीन दिनों से प्रदेश की सियासत की नब्ज टटोलने में लगी रहीं. ‌रविवार को प्रियंका गांधी ने भी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ‘गठबंधन‘ के संकेत दिए हैं. वहीं सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पार्टी कर्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. पिछले दिनों सपा कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार के खिलाफ जिला मुख्यालयों पर पंचायत चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर प्रदर्शन भी किया था. ऐसे में अब बसपा द्वारा करवाए जा रहे इन ब्राहमण सम्मेलनों बसपा का चुनावी शंखनाद माना जा रहा है.

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