विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों ने की बड़ी चूक, बिल को विचारार्थ रखने की मांग पर ना कि जगह बोल गए हां

सभापति राजेंद्र पारीक ने बिल को विचारार्थ लेने के लिए कहा कि जो इसके पक्ष में हैं वो हां कहें और जो इसके विपक्ष में हैं वो ना कहें इस पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने ना कि जगह कह दिया हां

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पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. विधानसभा में शनिवार को अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक 2020 सरकार द्वारा पेश किया गया. इस विधेयक में गलतियां होने की बात पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा इस बिल में काफी गलतीयां है, यह बिल पारित होने लायक नहीं है. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने अपने जवाब में इसे महज टाइपिंग मिस्टेक करार दिया, जिसपर असंतुष्ट बीजेपी विधायकों ने बिल पारित होने की प्रक्रिया तक सदन से वॉकआउट कर दिया. वहीं विधेयक को पारित करने के दौरान कांग्रेस विधायक बड़ी चूक कर गए और बिल को विचारार्थ कहने पर ना की जगह हां बोल गए.

बिल पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि इस विधेयक में जो संशोधन किये जा रहे हैं उनमें बहुत सारी प्रिटिंग मिस्टेक है. इस बिल को वापस लेने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए. इस प्रकार की त्रुटी लॉ डिपार्टमेंट कर रहा है तो यह कानून सदन में आ ही नहीं सकता है. यह कानून सदन में डिस्कस ही नहीं हो सकता है. इस कानून पर लॉ डिपार्टमेंट ने जो गलती की है उसको हम सदन में इग्नोर कर दें तो यह सदन को अपमानित करने वाला काम होगा.

गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मेरी सरकार से विनम्र प्रार्थना है यह गलती डिपार्टमेंट से हुई या प्रिन्टिंग से हुई, यह कानून बिल्कुल गलत है अच्छा होगा इसमें संशोधन हो, अगर फिर भी इस बिल को सरकार पारित करती है तो हम इसका पूरजोर विरोध करेंगे. लॉ डिपार्टमेंट की गलती पर भी गहराई से विचार करना चाहिए. इस बिल को पेश करके विधानसभा की तौहीन नहीं करनी चाहिए और इस बिल को वापस ले लेना चाहिए. जिसने ने भी यह बिल प्रिंट करके दिया है उनको भी टॉस्क पर लेना चाहिए कि कानून बना रहे है या तमाशा कर रहे है. इसके साथ ही कटारिया ने कहा कि बिल को रखने की आपने जिद की तो विपक्ष इसको किसी भी किमत पर बर्दास्त नहीं करेगा.

दऱअसल इस बिल में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में वकील की आकस्मिक मृत्यु पर मिलने वाली अनुग्रह राशि का अलग अलग उल्लेख किया गया है. इस विधेयक में धारा 17 में संशोधन कर आकस्मिक मृत्यु पर अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने के प्रावधान का उल्लेख किया गया है, जबकि विधेयक के उद्श्यों और कारणों के कथन में अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख करने का उल्लेख किया गया है.

इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कई बीजेपी विधायकों और नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक में हुई इस गलती को सुधारकर बिल को फिर से पेश करने की मांग की. वहीं संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल जैसे ही इस पर जवाब देने खड़े हुए तो नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने बीच में टोकते हुए साफ चेतावनी दी कि विधेयक में अगर गलती ठीक नहीं की गई तो पूरी प्रकिया का बहिष्कार किया जाएगा. इस पर धारीवाल ने कहा कि आपकी बात हमने पूरी सुनी है और आप कह रहे हो बात नहीं सुनोगे मैं आपकी बात का जवाब दूंगा. इस बिल पर कई बार काउंसिल से भी विचार किया गया है. इसके बाद धारीवाल बिल के बारे में सदन को अवगत कराते रहे. इस पर बीजेपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.

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संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने बिल में हुई गलतियों को अपने जवाब में टाइपिंग मिस्टेक करार दिया. इसके बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में ही अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक 2020 को सदन में पारित किया गया. इस विधेयक को पारित करते समय कांग्रेस विधायक बड़ी चूक कर गए ओर बिल को विचारार्थ कहने पर ना की जगह हां बोल गए. इस बिल पर चर्चा के बाद जैसे ही सभापति राजेंद्र पारीक ने बिल को विचारार्थ लेने के लिए कहा कि जो इसके पक्ष में हैं वो हां कहें और जो इसके विपक्ष में हैं वो ना कहे इस पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने हां कह दिया. इस पर निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने आपत्ति की तो आसन ने उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए पुनः हां और ना की की प्रक्रिया शुरू की जिसके बाद सत्ता पक्ष विचारार्थ के विपक्ष में ना बोल पाए.

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