‘हमसे का भूल हुई जो यह सजा हमका मिली…’ – 4 साल के जश्न में योगी का गुणगान तो त्रिवेंद्र हुए गुमनाम

चार साल पूरे होने पर योगी सरकार के कामों का खूब हुआ गुणगान, जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल हुए 'गुमनाम', रावत बहुत ही बुझे मन से अपने 4 साल के विकास कार्यों को बता रहे थे तब उन्हें सुनने वाला कोई भी नहीं था, रावत की 'कुर्सी' क्या गई उनसे उत्तराखंड के सभी भाजपाई जैसे किनारे हो गए

4 साल के जश्न में योगी का गुणगान तो त्रिवेंद्र हुए गुमनाम
4 साल के जश्न में योगी का गुणगान तो त्रिवेंद्र हुए गुमनाम

Politalks.News/Uttrakhand/UP. आज की बात शूरू करने से पहले आपको सुपरहिट गाने की कुछ पंक्तियां याद दिलाते हैं. 1979 में राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘जनता हवलदार’ का यह गाना अनवर ने गाया था और आज तक हिट है- “हमसे का भूल हुई… जो यह सजा हमका मिली, अब तो चारों ही तरफ बन्द है दुनिया की गली.” बस कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का है इन दिनों. त्रिवेंद्र सिंह रावत की ‘कुर्सी‘ क्या गई उनसे उत्तराखंड के सभी भाजपाई जैसे किनारे हो गए. सही मायने में त्रिवेंद्र सिंह के 4 साल का गुणगान करने वाला कोई भी भाजपा नेता, विधायक और कार्यकर्ता दिखाई नहीं दिया.‌ यह ठीक वैसे ही हुआ जब 14 अगस्त 1947 की रात हमारा देश भारत स्वतंत्र हो रहा था तब देश को आजाद कराने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाले महात्मा गांधी (बापू) कोलकाता के बिरला हाउस में बिजली बंद कर अंधेरे में बैठे हुए थे, वैसे ही त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अपने ही कराए गए विकास कार्यों का जनता के बीच जाकर उसका बखान भी नहीं कर पाए और अपनों के बीच में ही ‘गुमनाम‘ होकर रह गए.

दरअसल, 18 और 19 मार्च की तारीख भाजपा के दो प्रदेशों और वहां के दिग्गज नेताओं के लिए सियासी तौर पर बहुत ऐतिहासिक मानी जाती है. क्योंकि 4 साल पहले भाजपा हाईकमान ने अपने इन दो नेताओं को दो राज्यों की कमान सौंपी थी. यह हैं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वहीं योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. राज्य की सत्ता संभालने में दोनों नेताओं का एक दिन का अंतर था. आज सीएम योगी आदित्यनाथ को यूपी की कमान संभाले 4 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी सुबह से ही अपने कार्यकाल और अपनी सरकार का बखान करनेेे में लगे हुए हैं. प्रदेश में भाजपा सरकार के 4 साल का जश्न मनाने के लिए यूपी से लेकर दिल्ली तक पार्टी के दिग्गज नेता योगी आदित्यनाथ का गुणगान कर खूब जश्न मना रहे हैं.‌ ‘वहीं उत्तराखंड में 18 मार्च को भाजपा सरकार के 4 साल पूरे होने पर सन्नाटा छाया रहा‘.

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बता दें कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के 4 साल का कार्यकाल पूरा होने पर कार्यक्रम नहीं मनाने के लिए आदेश जारी किया था.‌ जिसकी वजह से उत्तराखंड में पार्टी और सरकार के स्तर पर चार साल का न तो कोई जश्न हुआ न उपलब्धियां गिनाई गईं. दूसरी ओर उत्तरप्रदेश में भाजपा की योगी सरकार के 4 साल के जश्न को मनाने के लिए पिछले कई दिनों से जोर-शोर से तैयारी चल रही थी. योगी सरकार के सभी मंत्री, नेता और भाजपा कार्यकर्ता गांव से लेकर शहर तक तैयारी में जुटे रहे. शुक्रवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सरकार की उपलब्धियां जन-जन में पहुंचाने की कोशिश की.

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मोर्चे पर यूपी नंबर वन है. चार साल में यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ है, अपराधियों के खिलाफ यूपी में जो एक्शन लिया गया वो देश में एक ‘मानक‘ बना. योगी ने कहा कि यहां कोई निवेश नहीं करना चाहता था, लेकिन आज यूपी निवेश की पहली पसंद बना है. चार साल पूरे होने पर योगी ने कई अखबारों में लेख भी लिखा है, जिसमें उन्होंने सरकार के काम का जिक्र किया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल के मैनेजमेंट, राम मंदिर के निर्माण, एक्सप्रेस-वे के जाल को अपनी उपलब्धि बताया है.

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लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के विकास कार्यों को सुनने वाला कोई नहीं था

वहीं शुक्रवार को जब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बहुत ही बुझे मन से अपने 4 साल के विकास कार्यों को बता रहे थे तब उन्हें सुनने वाला कोई भी नहीं था. मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि मेरे आसपास घूमने वाले भाजपा और अफसरों की बड़ी टीम मुझसे ही पीछा छुड़ा लेगी. बहरहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत को अकेले ही अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई पड़ी. त्रिवेंद्र ने कहा कि भाजपा सरकार में उन्हें करीब चार साल प्रदेश की जनता का सेवा का मौका मिला. उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रदेश में विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किए गए, इसकी उन्हें पूरी संतुष्टि है. उन्होंने कहा कि ‘देवस्थानम बोर्ड’ 20 सालों के इतिहास में सबसे सुधारात्मक कदम है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल चार धाम यात्रा पर लाखों श्रद्धालु देवभूमि आते हैं. श्रद्धालु और यहां आने वाले यात्रियों को पर्याप्त व्यवस्थाएं मिले, मूलभूत सुविधाओं की कमी न हो, इसके लिए इस बोर्ड का गठन किया गया.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चार साल पूरे होने से नौ दिन पहले तक प्रदेश में जितने भी विकास कार्य हुए, चाहे वह सड़क निर्माण के क्षेत्र में हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, अटल आयुष्मान योजना, गरीब जनता को एक रुपये में हर घर को नल से जल की योजना हो, शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्य हों, महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने और पहाड़ की महिलाओं के सिर से घास का बोझ खत्म करने के लिए लाई गई मुख्यमंत्री ‘घसियारी कल्याण योजना’ जैसै ऐतिहासिक कार्य किए गए.

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आपको बता दें, त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने 4 साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारियों में जुटे हुए थे. यूपी सीएम योगी जैसा ही अपने 4 साल के कार्यकाल का जश्न त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उत्तराखंड में मनाना चाहते थे, लेकिन ऐन मौके पर वे पार्टी के अंदर ही गुटबाजी का शिकार हो गए और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके हाथ से खिसक गई, इसी के साथ उनके संजोए हुए सपने भी ध्वस्त हो गए.

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