भारत-नेपाल विवाद के मुद्दे पर ओली को मिला पाकिस्तान का साथ लेकिन खतरे में पड़ गई कुर्सी

पड़ौसी देश पर बिना सुबूत बेबुनियाद आरोप लगाना सत्ताधारी पक्ष के नेताओं को भी नहीं आ रहा रास, इमरान ने पीएम ओली से मांगा वार्ता का समय तो उखड़ा आलाकमान, ओली की शह में चीन के नेपाली जमीन हथियाने के लगे आरोप

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PoliTalks.News/देश-दुनिया. भारत से शत्रुता और चीन से दोस्ती गांठना शायद नेपाली सरकार के नेताओं को भी रास नहीं आ रहा और यही बात प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ जा रही है. भारत पर देश में कोरोना फैलाने और सरकार गिराने की साजिश के आरोप लगाने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी खतरे में है. मंगलवार को स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग के दौरान सत्तारूढ़ एनसीपी के तमाम सीनियर लीडर्स ने प्रधानमंत्री से फौरन इस्तीफा देने को कहा. यहां ओली अकेले पड़ गए. ओली ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन इसका असर हुई हुआ. नेपाली सरकार के अधिकांश नेता भारत से दोस्ती के पक्ष में है लेकिन ओली चीन से दोस्ती गांठने के चक्कर में भारत से दुश्मनी ले रहे हैं. इसके चलते ही उन्होंने संसद में नए नक्शे का प्रस्ताव पेश किया था.

ओली पर ये भी आरोप हैं कि उनकी सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण चीन ने नेपाल की कई हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया. इधर, संकट में घिरे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अब पाकिस्तान का साथ मिला है. इस्लामाबाद से नेपाल के विदेश मंत्रालय को संदेश भेजा गया है. इसमें नेपाल पीएम से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से फोन पर बात करने का समय मांगा गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन के बीच तनाव के दौरान पाकिस्तान नेपाल के प्रधानमंत्री का साथ देना चाहता है ताकि भारत पर दबाव बढ़ाया जा सके. पाकिस्तान यह कूटनीतिक कदम उस वक्त उठा रहा है, जब ओली अपनी ही पार्टी में अकेले पड़ गए हैं. देखा जाए तो दोनों देश के प्रधानमंत्रियों की सोच करीब करीब एक जैसी है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कराची स्टॉक एक्सचेंज में हुए हमले के लिए भारत को दोषी ठहराया था जबकि न नेपाल में और न पाकिस्तान में भारत का ऐसा कोई मंसूबा था.

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जहां तक बात है भारत और नेपाल की तो दोनों देशों के रिश्तों में खटास उस समय शुरू हुई जब नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पीयाधुरा को अपनी सीमा में दिखाया. नेपाल की संसद ने इसे मंजूरी भी दे दी और तभी से इसके बाद से ही भारत और नेपाल में तनातनी का दौर शुरू हुआ. भारत इस समय चीन से सीमा विवाद में उलछा हुआ है, नहीं तो संभव था कि ये मुद्दा अब तक खत्म् हो चुका होता

वहीं नेपाल के अखबार ‘द हिमालयन टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में पार्टी उपाध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि ओली सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई. ओली एक बार फिर भारत विरोधी कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि ओली नाकामी छिपाने के लिए गलत हथकंडे अपना रहे हैं और ध्यान बांटने की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक की ओली ने नेपाली संसद में हिन्दी के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया था जिस पर अन्य सांसदों ने साफ तौर पर इसे भी चीन की भाषा करार दिया.

एनसीपी के तमाम बड़े नेता इस मीटिंग में मौजूद थे. इस दौरान माधवी कुमार नेपाल, झालानाथ खनाल और बामदेव गौतम जैसे सीनियर लीडर्स ने पुष्प कमल दहल की मांग का समर्थन करते हुए ओली से इस्तीफा देने को कहा. इन नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा होती है और ओली ने जिस तरह के आरोप (भारत पर) लगाए हैं, उसके बाद उन्हें पद पर रहने का नैतिक अधिकार नहीं है. ओली बिना सबूतों के आरोप लगा रहे हैं. इस तरह का आचरण यह संसद के सम्मान के भी खिलाफ है और यह सहन नहीं किया जा सकता.

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इधर ओली बार बार स्टैंडिंग कमेटी को चीन से दोस्ती गांठने से होने वाले फायदों और सीमा पर चीनी सहयोग से मिल रही सहायता के बारे में बताकर पक्ष में लेने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं लेकिन पार्टी नेता इतना सब होने के बाद भी भारत की ओर से लगातार भेजी जा रही सहायता और दरियादिली को भी नहीं भूल पा रहे. यही वजह है कि ओली चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे. वैसे भी विपक्ष पहले ही ओली पर सैनिक शासन चलाने की कोशिश करने के आरोप लगा चुका है.

यहां ये भी बताना जरूरी है कि ओली सरकार को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं है. केंद्र सरकार कुछ अन्य समर्थक पार्टियों के सहयोग से सत्ता पर आसीन है. भारत-नेपाल विवाद और देश में कोरोना के बिगड़ते हालातों के बावजूद ओली की उदासीनता के चलते सभी सहयोगी पार्टियां समर्थन वापिस लेने की बात कह चुकी हैं. अगर ऐसा होता है तो ओली को 5 से 6 सांसदों की कमी खलेगी जिसकी पूर्ति होते नहीं दिख रही. ऐसे में ओली पूरी तरह बैकफुट पर है. वहीं इमरान खान के मदद की बात सामने आने के बाद सत्ताधारी और विपक्ष दोनों की राय भी एक मत जैसी हो गई है. ऐसे में ओली को नया नक्शा विवाद भारी पड़ता दिख रहा है जिसके बाद उनकी कुर्सी भी जाते नजर आ रही है.

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