पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC) के खिलाफ देश भर में लोग सड़कों पर हैं. दिल्ली, यूपी, बिहार, बंगाल, गुजरात, कर्नाटक में इनके विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. देश भर में मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को एक बार फिर से धरातल पर उतारने में जुटी है. मोदी कैबिनेट की होने वाली अगली बैठक में NPR के नवीनीकरण को हरी झंडी मिलने की संभावना है. इसकी अधिसूचना भी जारी हो चुकी है और कुछ महीने बाद इसका सर्वे भी शुरू हो जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है.
एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना करवाई गई. प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अब तक 7 बार करवाई जा चुकी है. अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं और 2021 की जनगणना पर काम जारी है. ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है, इसे तैयार करने में करीब तीन साल का समय लगता है. इसकी प्रक्रिया तीन चरणों में होगी. पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे. जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा. 1 मार्च से 5 मार्च के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी.
CAA और NRC की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य NRP का भी विरोध कर रहे हैं और इसमें केरल सरकार के अलावा सबसे आगे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. CAA और NRC को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोलने वालीं ममता बनर्जी ने तो बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है. इसके अलावा केरल की लेफ्ट सरकार ने भी एनपीआर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी. हालांकि यह एनआरसी से पूरी तरह अलग है.
क्या अंतर है NPR और NRC में-
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC) से एकदम अलग है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR), एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालने का मकसद छिपा है, वहीं एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है. 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की. इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था. एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है.