NRC पर बोले प्रशांत किशोर- ‘मैं भारत का नागरिक हूं, मुझे इसे साबित करने की क्या जरूरत है, ये मैं समझ नहीं पा रहा हूं..’

देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस और नागरिकता संशोधन कानून तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य सरकारें सहयोग न करें

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर देश भर में सुलग रही आग के बीच पेशेवर राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा है कि एनआरसी या नागरिकता संशोधन कानून बिना राज्य सरकार की मशीनरी के लागू हो ही नहीं सकती. PK ने कहा कि देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस और नागरिकता संशोधन कानून तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य सरकारें सहयोग न करें.

एक निजी चैनल द्वारा किए गए एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि अगर राज्य सरकार कहती है कि हम एनआरसी को लागू करने की इजाजत नहीं देंगे तो फिर केंद्र सरकार के कहने का क्या मतलब. प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों पर कानूनी कार्रवाई कर सकती है, इसका मतलब यह है कि केंद्र राज्यों को अदालत में ले जाएगा? कुछ कह रहे हैं कि वे राज्य सरकार को बरखास्त करने के लिए धारा 356 का उपयोग करेंगे. चलो एक मिनट के लिए मान लें कि केंद्र सरकार इतनी दृढ़ है, मगर छह महीने बाद फिर क्या होगा जब फिर से चुनाव होंगे? अगर एक ही सरकार चुनी जाती है, तो क्या हम बार-बार सरकारों को खारिज करते चले जाएंगे? इसलिए, व्यावहारिक रूप से यह तब तक संभव नहीं है जब तक कि राज्य सरकार अपनी सहमति न दे.

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जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक अन्य निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मैं इसकी मंशा के पीछे नहीं जा रहा हूं, हकीकत में जब इस तरह के कानून लागू होते हैं तो वह गरीब ही होते हैं, जो सबसे ज्यादा इससे प्रताड़ित होते हैं. जैसे नोटबंदी, इसे लागू करने का मकसद था कि जिन लोगों के पास कालाधन है, उन लोगों पर चोट की जाए. अमीरों के पास ही कालाधन होता है. आखिरकार किसने इसकी कीमत चुकाई, गरीब आदमी ने इसकी कीमत चुकाई जिसके पास कालाधन था भी नहीं. उन्हें लाइन में लगना पड़ा.

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने आगे कहा, ‘NRC की बात करें तो अपनी नागरिकता साबित करने के लिए हर किसी को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे. बहुत से लोगों के पास दस्तावेज नहीं होंगे या उन्हें वो हासिल नहीं कर पाएंगे. अगर दस्तावेज हैं भी तो इसके लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे. इससे वो प्रताड़ित होंगे, भ्रष्टाचार बढ़ेगा व अन्य कई तकलीफें पैदा होंगी. 20 करोड़ लोगों के पास अपना घर नहीं है, वो लोग अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे.

PK ने आगे कहा, ‘NRC के लिए आधार या वोटर आईडी कार्ड की बात होनी चाहिए, या तो सरकार ऐसा कह दे कि जिनके पास आधार और वोटर कार्ड हैं वो लोग भारत के नागरिक हैं, लेकिन वो (सरकार) ऐसा नहीं कह रहे हैं. इसका मतलब है कि NRC के लिए हमें आधार और वोटर कार्ड से आगे के दस्तावेज दिखाने होंगे. हम ऐसा क्यों कर रहे हैं. मान लेते हैं कि देश में तीन प्रतिशत लोग अवैध तरीके से रह रहे हैं तो उनका पता लगाने के लिए आप कोई दूसरा तरीका अपनाएं और उन्हें बाहर करें, उसमें कोई हर्ज नहीं

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प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने आगे कहा, ‘मैं भारत का नागरिक हूं और मुझे इसे साबित करने की क्या जरूरत है. मैं सरकार के इस फैसले को समझ नहीं पा रहा हूं. अगर सरकार देश में NRC लागू करने का जिक्र नहीं करती तो नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा हो सकती है, इसमें कोई बुराई नहीं है.

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