पॉलिटॉक्स न्यूज/कोलकाता. पश्चिम बंगाल की ममता दीदी सरकार मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों के खिलाफ हमेशा से ही मुखर रही है. नागरिकता कानून सहित एनआरसी और एनपीआर को सीएम ममता बनर्जी पहले ही लागू करने से मना कर चुकी हैं. इससे पहले वे स्वच्छ भारत, स्मार्ट सिटी, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल इंडिया, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं को भी लागू करने से इनकार कर चुकी हैं. अब इस फेहरिस्त में केंद्र की एक और योजना का नाम जुड़ गया है. सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड‘ योजना को राज्य में लागू न करने का मन बनाया है. राज्य की ममता सरकार ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना से बाहर होने पर विचार कर रही है.
आखिर राज्य सरकार केंद्र सरकार की एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना क्यों लागू नहीं कर रही? इस सवाल का जवाब देते बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने बताया कि योजना के बाबत हमें केंद्र सरकार से कोई सूचना नहीं मिली है. इस मामले में केंद्र के साथ जुड़ने का सवाल ही नहीं है. बंगाल सरकार डिजिटल राशन कार्ड जारी करने के लिए पहले ही लगभग 200 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. अब हमें यह राशि वापस कौन देगा? हम इस योजना को क्रियान्वित नहीं करेंगे.
गौरतलब है कि केंद्र की इस योजना के तहत देश के किसी भी हिस्से में राशन की दुकानों से रियायती अनाज खरीदा जा सकता है. किसी व्यक्ति के दूसरी जगह जाने की स्थिति में इस प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी गरीब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ से वंचित न रह पाए.
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बता दें, बंगाल सरकार और खासतौर पर प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी केंद्र सरकार की नीतियों से अधिकांश समय दूर ही रहती हैं. इतना ही नहीं, ममता सरकार कई केंद्रीय योजनाओं का नाम बदलकर बंगाल में चला रही हैं. खाद्य सुरक्षा को खाद्य साथी, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को ग्रामीण बांग्ला सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना को बांग्लार गृह योजना का नाम दिया गया है. कहना का मतलब ये है कि कई केंद्र की योजनाओं को राज्य सरकार के नाम से चलाया जा रहा है.
ममता बनर्जी केंद्र के नागरिकता कानून के साथ एनआरसी और एनपीआर के भी खिलाफ हैं. तीनों के खिलाफ बंगाल मुख्यमंत्री खुद सड़कों पर उतर चुकी हैं. देखा जाए तो केंद्र सरकार के खिलाफ ममता बनर्जी अकेले मैदान में हैं. वे न तो विपक्ष के साथ गठजोड़ कर रही हैं और न ही उनकी बैठकों में जा रही हैं. हाल में हुई विपक्ष की एक बैठक में भी ममता ने जाने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वे इस लड़ाई को अकेले लड़ना चाहती हैं.