कुर्सी मिलते ही ‘खिलाड़ी’ ने ‘कैप्टन’ को घेरा, अमरिंदर सरकार के खिलाफ सिद्धू के जोरदार ‘विपक्षी’ तेवर

कुर्सी पर बैठते हुई एक्टिव हुआ 'खिलाड़ी', हर मुद्दे पर 'सिंह' सरकार को घेरने की कोशिश, चुनावी वादों को पूरा करवाने में जुटे सिद्धू, अब 'कैप्टन' के सामने दोहरी मुसीबत, विपक्ष के साथ ही सिद्धू भी विपक्षी तेवरों में, कैप्टन ने भी कार्यकर्ताओं को दिया हिंट, 'पार्टी अपना और सरकार करेगी अपना काम'

अमरिंदर सिंह को सिद्धू के रूप में मिला नया 'विपक्ष'
अमरिंदर सिंह को सिद्धू के रूप में मिला नया 'विपक्ष'

Politalks.News/Punjab. 
‘खिलाड़ी’ नवजोत सिद्धू पंजाब कांग्रेस ‘प्रधान’ बनने के बाद से ही आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. ताजपोशी के बाद से ही सिद्धू लगातार पंजाब में अपनी ही पार्टी की सरकार को घेर रहे हैं. पंजाब में वर्ष 2017 के दौरान हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब हाथ में लेकर नशा तस्करों के खिलाफ एक माह में कार्रवाई करने समेत कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी. सत्ता में आने के बाद इस मामले में किसी भी घोषणा पर ठोस काम नहीं हुआ. जिसके कारण अमरिंदर विपक्षी आम आदमी पार्टी के साथ अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए. अब हाल ही में कांग्रेस द्वारा पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन करने के बाद फिर से चुनावी मुद्दे हावी हो गए हैं. पंजाब में विपक्षी दल आम आदमी पार्टी लंबे समय से बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही है. पंजाब में महंगी बिजली और इसकी उपलब्धता को लेकर अमरिंदर घिरे हुए थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमो ने पंजाब में चुनावी पारी शुरू करते हुए पहली गारंटी दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त व सस्ती बिजली देने की दी है.

बिजली का मुद्दा आप-अकालियों से छीना
दूसरी तरफ अकाली दल का दावा है कि उसके शासन में पंजाब बिजली उत्पादन भरपूर था. इस बीच कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने भी अमरिंदर सिंह पर अकाली सरकार के समय हुए बिजली खरीद समझौते रद्द करने को लेकर दबाव बनाया. जिसके कारण दबाव में आए अमरिंदर ने मजबूरन पिछली अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए बिजली खरीद समझौतों को रद्द करने और नए सिरे से समीक्षा करने के आदेश जारी कर दिए हैं. बिजली समझौते रद्द किए जाने के बाद अमरिंदर सिंह तो चुप हैं लेकिन आम आदमी पार्टी और नवजोत सिद्धू इसे अपनी जीत करार दे रहे हैं. सिद्धू के दबाव में किए गए इस फैसले ने विपक्षी दलों से बड़ा मुद्दा छीन लिया है.

कर्मचारियों की मांगों पर बनानी पड़ी कैबिनेट कमेटी
पंजाब में सरकारी कर्मचारी जहां अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं कच्चे कर्मचारी अमरिंदर को चुनाव के समय पक्का किए जाने का वादा याद दिलाते हुए धरने दे रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू ने कर्मचारियों का समर्थन करते हुए अमरिंदर को लिखे पत्र में उन्हें पक्का करने की मांग उठाई. अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की इस मांग को पूरा करते हुए कैबिनेट कमेटी का गठन कर दिया है. जिसकी बैठक में सभी विभागों के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के बाद में फैसला किया जाएगा.

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18 सूत्रीय एजेंडे को लागू करवाने पर सिद्धू का फोकस
अपनी ही सरकार को मुश्किल में डाल रहे कांग्रेस ‘प्रधान’ नवजोत सिद्धू जहां कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिए गए 18 सूत्रीय एजेंडे को लागू करवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं वहीं सिद्धू अमरिंदर सरकार दलितों के हित में बड़ा फैसला करने, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य स्तर पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर चुके हैं. जिसके कारण अमरिंदर को मजबूरी में आगामी सत्र के दौरान दलित कल्याण बिल पास करने का ऐलान करना पड़ गया है.

दलितों को रिझाने में जुटे सिद्धू
पंजाब कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष बने सिद्धू ने पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के साथ एक बैठक की. बताया जा रहा है कि इस बैठक में दलितों को लुभाने पर रणनीति बनाई गई. पंजाब कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में दलितों को लेकर खास रणनीति बनाई गई. दलितों के कल्याण को लेकर योजना बनाने और उसे अमलीजामा पहनाने पर चर्चा की गई. इसमें राज्य में दलितों की सभी मांगों को लेकर चर्चा हुई और इस समुदाय के लोगों को लुभाने पर रणनीति बनी. इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी द्वारा दलितों के उत्थान को लेकर पूर्व में बनाए गए 18 सूत्री एजेंडे को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया. पिछले सप्ताह सिद्धू ने कहा था कि, ‘कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें अठारह सूत्रीय एजेंडे को जल्द से जल्द राज्य में लागू करवाने के लिए कहा है’

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सिद्धू एक्टिव, अमरिंदर करें तो क्या करें!
अब पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने, मादक पदार्थ तस्करी के मामले में एसटीएफ की पहली रिपोर्ट में आरोपी करार दिए गए नशा कारोबार के सरगना के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. सिद्धू की इस मांग को लेकर अमरिंदर सिंह दुविधा में फंसे हुए हैं. जिस पर आने वाले दिनों में फैसला लिया जाएगा. बहरहाल नवजोत सिद्धू जिन मुद्दों को उठा रहे हैं उन मुद्दों पर अमरिंदर सिंह बुरी तरह से घिर गए हैं. अमरिंदर सिंह अगर सकारात्मक कार्रवाई करते हैं तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पंजाब की जनता के सामने नवजोत सिद्धू मजबूत हो जाएंगे और विपक्ष के हाथों से मुद्दे निकलने से सिद्धू को मजबूती मिल रही है. अमरिंदर अगर कार्रवाई नहीं करते हैं तो विपक्ष के साथ उन्हें अपनी ही पार्टी के प्रधान के निशाने पर आना पड़ सकता है. पांच साल पहले चुनाव के समय किए गए वादों को साढ़े चार साल तक पूरा नहीं करने और अब कांग्रेस प्रधान के दबाव में पूरा करने को लेकर अमरिंदर सिंह दबाव में हैं.

अमरिंदर का कार्यकर्ताओं को मैसेज, ‘सरकार अपना, पार्टी अपना काम करेगी’
इधर, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि, ‘सत्ता के दो केंद्र बिंदु को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए. पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी चला रहे हैं और मैं सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं. दोनों की अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं’. कैप्टन ने कहा कि, ‘मुझे नहीं पता कि मीडिया इस तरह के सवाल क्यों पूछ रहा है. कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. पार्टी और सरकार दोनों दो अलग चीजें हैं. आज हम अच्छी स्थिति में हैं और हमें विधानसभा चुनाव के लिए अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए काम करने की जरूरत है’. पिछले महीने सिद्धू के पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के दौरान उनके और सिद्धू के  बीच कथित अनबन के बारे में पूछे गए सवालों को लेकर कहा कि, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है’.

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