रोहतांग सुरंग का उद्घाटन कर बोले पीएम मोदी- लेह-लद्दाख की लाइफ लाइन बनेगी ‘अटल टनल’

10 साल में तैयारी हुई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग का फीटा काटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, 9.02 किमी की ये सुरंग मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी, अब हर मौसम में जारी रहेगा सफर

Atal Tunnel Lunched Ny Pm Modi
Atal Tunnel Lunched Ny Pm Modi

Politalks.News/Rajasthan. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग का उद्घाटन किया. पहले इस टनल का नाम रोहतांग टनल था लेकिन अब इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर ‘अटल टनल’ रखा गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने अटल टनल को लेह-लद्दाख की लाइफ लाइन बताया. समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनी ये सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी और 10.5 मीटर चौड़ी है. रणनीतिक रूप से भी ये टनल काफी महत्वपूर्ण है. इसके बाद से मनाली-लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी 4 से 5 घंटे कम जाएगा.

आधुनिक तकनीक से निर्मिट अटल टनल मनाली पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इससे पहले लाहौल-स्पीति घाटी हर साल 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी. कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सहित अन्य गणमान्यजन भी उपस्थित रहे.

26 मई, 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुरंग की आधारशिला रखी गई थी. उसके बाद इस काम में थोड़ा ढीलापन आया लेकिन 18 साल बाद अब ये सपना साकार होकर सामने आया है. टनल में से रोजाना 3000 कारें और 1500 ट्रक 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से निकल सकेंगे. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित भी किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं उनके संबोधन की 10 प्रमुख बातें…

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1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है. आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ, बल्कि आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है. मेरा बड़ा सौभाग्य है कि आज मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है. जैसा राजनाथ सिंह ने बताया कि मैं यहां संगठन का काम देखता था. यहां के पहाड़ों और वादियों में बहुत ही उत्तम समय बिताता था. जब अटल जी मनाली में आते थे, तो अक्सर उनके साथ बैठता और गपशप करता था.

2. अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफ लाइन बनेगी. लेह-लद्दाख के किसानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी. इस अटल टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी. पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है. हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है. लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए.

3. साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था. एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता.

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4. जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है. अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई. नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई. सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया.

5. अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का. बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था. 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया. कुछ दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है.

6. बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है. सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो, इतने बड़े स्तर पर देश में पहले कभी काम नहीं हुआ. इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्य जनों के साथ ही हमारे फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है.

7. हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं. देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं. लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया.

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8. देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, मेक इन इंडिया हथियार बनें, इसके लिए बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं. लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है. देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार Procurement और Production दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है.

9. सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है.

10. अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्वु के लिए डिजाइन किया गया है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी. मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया.

10 साल में बनकर तैयार हुई टनल, जानें खासियत

इस टनल का निर्माण कार्य वर्ष 2010 में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मार्गदर्शन में स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी ने शुरू किया था. सर्दियों के दौरान माइनस 23 डिग्री सेल्सियस तापमान में कंपनी व बीआरओ के इंजीनियर व मजदूरों ने इसके निर्माण को पूरा किया है. सुरंग के निर्माण में 3,500 करोड़ रुपये की लागत आई है. घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है.

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अटल सुरंग का डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कारों और 1500 ट्रकों के लिए तैयार किया गया है. अटल टनल के दोनों ओर आकर्षण द्वार बनाए गए हैं. मनाली की ओर कुल्लवी शैली में जबकि लाहुल की ओर बौद्ध शैली में द्वार बनाए गए हैं. अटल टनल के साथ यह प्रवेश द्वार भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनेंगे.

टनल के बाद मनाली और लेह के बीच दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी, साथ ही लाहौल स्पीति और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में आवागमन सुचारू होगा. टनल के भीतर हर 60 मीटर पर एक अग्नि शमक यंत्र लगाया गया है. हर 150 मीटर पर टेलीफोन उपलब्ध होगा. हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे, प्रसारण प्रणाली, हादसों का स्वत: पता लगाने की प्रणाली, हर 2.2 किलोमीटर की दूरी पर मोड़ और 10.5 मीटर चौड़ी सिंगल ट्यूब बाय-लेन टनल है. हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास सुविधा और प्रत्येक किलोमीटर में हवा की गुणवत्ता निगरानी यंत्र लगे हुए हैं.

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