टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रभावशाली तो माना लेकिन गहरा जख्म भी दे दिया

मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में किया शामिल लेकिन नीतियों पर उठाए सवाल, भाजपा की हिंदूवादी छवि से पीएम मोदी भी संदेह के घेरे में रहे, पीएम मोदी भारत में मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई धर्मों के लोगों को विश्वास में लेकर नहीं चल पाए

टाइम मैगजीन में पीएम नरेंद्र मोदी
टाइम मैगजीन में पीएम नरेंद्र मोदी

Politalks.News/Bharat. इसे कहते हैं सम्मान देकर सम्मान छीन लेना, या कहें कि कुछ देर के लिए आसमान पर बैठा दो उसके बाद तत्काल प्रभाव से उसे गिरा भी दो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बुधवार का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुखद के साथ पीड़ादायक भी रहा. आज हम बात करेंगे दुनिया की सबसे पॉपुलर मैगजीन टाइम की. ‘आज यह मैगजीन भारतीय मीडिया में एक बार फिर सुर्खियों में है.’ इस मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया है. भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी के लिए यहां तक तो टाइम मैगजीन के द्वारा दिया गया सम्मान उत्साहवर्धक था, लेकिन जब हमने कुछ और आगे बढ़ने की कोशिश की तो इस मैगजीन ने पीएम मोदी के लिए एक कड़वा सच भी लिख कर छोड़ दिया.

टाइम मैगजीन (Time Magazine) द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया के सौ प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किए जाने की जानकारी जब भाजपा कार्यकर्ता और मोदी समर्थकों को मिली तो वह खुशियों से सराबोर हो गए लेकिन कुछ समय बाद जब उन्हें मालूम पड़ा कि इस प्रतिष्ठित पत्रिका ने पीएम मोदी के लिए तीखी टिप्पणियां भी की हैं तो उनकी खुशियों में ग्रहण लग गया.

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टाइम पत्रिका ने पीएम मोदी के बारे में लिखा कि लोकतंत्र में वही सबसे बड़ा है जिसे सबसे अधिक वोट मिले हैं. लोकतंत्र के कई पहलू हैं जिसमें जीते हुए नेता को वोट नहीं दिया, उनके हक की भी बात होती है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां हर धर्म के लोग रहते हैं. टाइम न यह भी लिखा, रोजगार के वादे के साथ भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई, लेकिन उसके बाद कई विवाद सामने आए. ‘दुनिया की मशहूर पत्रिका के द्वारा मोदी पर किए गए तीखे कमेंट के बाद आज विपक्ष जरूर गदगद होगा‘.

प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर भी मैगजीन ने उठाए सवाल-

अमेरिका की मशहूर टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं. जिसमें पत्रिका ने भारत में रहने वाले अल्पसंख्यकों को लेकर मोदी पर निशाना साधा है. मैगजीन के अनुसार पीएम मोदी ने इनके हितों की अनदेखी की है. टाइम मैगजीन के संपादक लिखते हैं कि मोदी एम्पावरमेंट के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा ने न सिर्फ एलीटिज्म, बल्कि प्लूरलिज्म को भी खारिज कर दिया. इसमें खासतौर से मुसलमानों को टारगेट किया गया. ‘विरोध को दबाने के लिए महामारी का बहाना मिल गया और इस तरह दुनिया का सबसे वाइब्रेंट लोकतंत्र अंधेरे में चला गया.’

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मैगजीन ने आरोप लगाए हुए लिखा कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने पुराने विवाद जैसे ‘एनआरसी और एनपीआर‘ को दबाने के लिए पूरे प्रयास किए. यही नहीं पीएम मोदी भारत में मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई धर्मों के लोगों को विश्वास में लेकर नहीं चल पाए. भारत दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतंत्र देश रहा है, ऐसे में पीएम मोदी से पूरा देश सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर चलने की अपेक्षा रखता है लेकिन मोदी ने इन सभी को संशय में डाल रखा है.

दूसरी ओर भाजपा सरकार के नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन में शामिल रहीं बिल्किस बानो को भी टाइम की लिस्ट में जगह दी गई है. ‘बिलकिस बानो को जगह देकर टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साफ संदेश दिया है कि यह भी हमारी मैगजीन की प्रभावशाली महिला हैं.’

भाजपा की हिंदूवादी छवि से पीएम मोदी भी संदेह के घेरे में रहे-

टाइम मैगजीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपनी हिंदूवादी विचारधारा को हटा नहीं पाई जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संदेह के घेरे में रहे. भारत के ज्‍यादातर प्रधानमंत्री करीब 80 फीसदी आबादी वाले हिंदू समुदाय से आए हैं लेकिन केवल मोदी ही ऐसे हैं जिन्‍होंने ऐसे शासन किया जैसे उनके लिए कोई और मायने नहीं रखता है. नरेंद्र मोदी सशक्तिकरण के लोकप्रिय वादे के साथ सत्‍ता में आए लेकिन उनकी हिंदू राष्‍ट्रवादी पार्टी बीजेपी ने न केवल उत्कृष्टता को बल्कि बहुलवाद खासतौर पर भारत के मुसलमानों को खारिज कर दिया.

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यहां हम आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का डिवाइडर इन चीफ’ यानी ‘प्रमुख विभाजनकारी’ बताया था. गौरतलब है कि इससे पहले टाइम मैगजीन पीएम मोदी की सराहना भी कर चुकी है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस मैगजीन ने ‘नरेंद्र मोदी फॉर पीएम‘ अभियान चलाया था. आर्टिकल में लिखा गया कि मोदी सामाजिक रूप से प्रगतिशील नीतियों ने भारतीयों को जिनमें हिंदू और धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, को गरीबी से बाहर निकाला है. यह किसी भी पिछली पीढ़ी के मुकाबले तेज गति से हुआ है.

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