पॉलिटॉक्स न्यूज/राजस्थान. आज से केवल 18 से 20 दिन पहले की बात है जब भीलवाड़ा प्रदेश में कोरोना का पहला एपीसेन्टर के तौर पर सामने आया था. दो से तीन दिन में ही यहां 27 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ गए जो पूरे प्रदेशभर में सबसे अधिक थे. यही नहीं देश के 16 कोरोना हॉट स्पॉट में भी भीलवाड़ा का नाम शामिल था. यहां तक कि कोरोना संक्रमण की दृष्टि से भीलवाड़ा को कभी वुहान तो कभी इटली की संज्ञा दी जाने लग़ी, लेकिन जिस तरह स्थानीय प्रशासन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशन में सरकारी मशीनरी का बेहतर इस्तेमाल कर कोरोना पर काबू पाया है, अब भीलवाड़ा प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए भी एक रोल मॉडल के तौर पर तब्दील हो गया है.
आज भीलवाड़ा सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी इस संबंध में जमकर तारीफ हो रही है. अभी तक भीलवाड़ा में 27 राेगी पाॅजिटिव मिले हैं. इनमें से 22 मरीज ठीक हाेकर घर जा चुके हैं और दाे की माैत हाे चुकी है. अब भीलवाड़ा में तीन पाॅजिटिव मरीज ही बचे हैं, इनकी भी तबीयत में सुधार है और डाॅक्टर्स का कहना है कि 14 दिन पूरे हाेने तक ये भी ठीक हाे जाएंगे. पिछले 5 दिनाें से यहां कोई नया पॉजिटिव नहीं मिला है. भीलवाड़ा के प्रशासन ने 20 मार्च को पहला पॉजिटिव केस मिलने के बाद जो प्लान बनाया, उसकी केंद्र ने भी तारीफ की है.
गौरतलब है कि रविवार को हुई वीडियाे कांफ्रेसिंग में केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने भी भीलवाड़ा को आइडियल बताया और स्थानीय प्रशासन की भूरी भूरी तारीफ करते हुए कहा कि कोरोना देश के 223 जिलों में फैल चुका है. ऐसे में सभी को भीलवाड़ा से सीखना चाहिए कि इसे काबू कैसे किया जाता है. उन्होंने वीसी में मौजूद सभी प्रदेशाें के मुख्य सचिवाें को भीलवाड़ा से सीखने की बात कही. बता दें, भीलवाड़ा देश का ऐसा पहला शहर है जहां 14 दिन से कर्फ्यू के बावजूद और सख्ती करने के लिए 3 से 13 अप्रैल तक महाकर्फ्यू लगाया गया. महाकर्फ्यू शब्द का ईजाद भीलवाड़ा से ही हुआ है.
भीलवाड़ा कैसे संक्रमित मुक्त हुआ, इसकी कहानी ज्यादा लंबी तो नहीं लेकिन दिलचस्प जरूर है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की आहट हुई ही थी कि भीलवाड़ा के निजी अस्पताल के डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने की पुष्टि हुई. देखते ही देखते दो चार दिनों में ये संख्या 27 हो गई. ऐसी नाजुक घड़ी में जिला कलेक्टर ने ग्राम स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राकेश कुमार को कमान सौंपी जिन्होंने उम्मीद से अधिक बेहतर नतीजे दिए. इसको इस प्रकार समझते हैं: –
- जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने प्रदेश सरकार के किसी सरकारी आदेश का इंतजार किए बगैर ही जिले की सभी को 20 चेकपोस्ट बनाकर सील कर दिया. राशन सामग्री की सप्लाई सरकारी स्तर पर करने व जिले के हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग का फैसला किया.
- चूंकि शहर में संक्रमण सबसे पहले बांगड़ हाॅस्पिटल से फैला इसलिए पहले यह पता किया यहां कहां-कहां के मरीज आए. सूची निकलवाई ताे पता चला कि 4 राज्यों के 36 और राजस्थान के 15 जिलाें के 498 मरीज थे. इन सभी जिलाें के कलेक्टर काे एक-एक मरीज की सूचना दी गई.
- इसके बाद शहर में छह पाॅजिटिव केस मिलते ही भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगा दिया ताकि लोग घरों में रहें. बांगड़ अस्पताल में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग शुरू की. जिले में आने वाले सभी 20 रास्ताें पर चेक पाेस्ट बनाकर सीमाएं सील कर दीं ताकि काेई बाहर न जा सके.
- छह हजार टीमें बना 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग शुरू करा दी गई जिसमें करीब 18 हजार लोग सर्दी-जुखाम से पीड़ित मिले. 1215 लाेगाें काे हाेम आइसाेलेट कर वहां कर्मचारी तैनात किए. करीब एक हजार संदिग्धों काे 20 हाेटलों में क्वारेंटाइन किया गया.
- नगर परिषद काे शहर के 55 ही वार्डाें में दाे-दाे बार हाईपाे क्लाराेड 1 प्रतिशत के छिड़काव की जिम्मेदारी दी गई, ताकि संक्रमण फैल न सके. इसके साथ ही लाेगाें काे परेशानी नहीं हाे इसलिए सहकारी उपभाेक्ता भंडार से खाद्य सामग्री की सप्लाई शुरू कर दी.
- राेडवेज बस बंद करवा दी गई. दूध सप्लाई के लिए डेयरी काे सुबह-सुबह दाे घंटे खाेला गया. हर वार्ड में हाेम डिलीवरी के लिए दाे-तीन किराना की दुकानाें काे लाइसेंस दिए. कृषि मंडी काे शहर में हर वार्ड के अनुसार सब्जियां और फल सप्लाई के लिए लगाया और यूआईटी काे कच्ची बस्तियाें में सूखी खाद्य सामग्री सप्लाई की जिम्मेदारी दी.
- सबसे बड़ी सफलता: भीलवाड़ा को पूरे देश का रॉल मॉडल बनाने वाले असली हीरो यानी डाॅक्टर्स की हर 7 दिन में ड्यूटी बदली, 69 में एक भी पाॅजिटिव नहीं हुआ. मतलब कि इलाज करने वाले डाॅक्टर्स व मेडिकल स्टाफ के लिए हर 7-7 दिन का वर्कआउट प्लान बनाया गया. 7-7 दिन पूरे हाेने के बाद इन डॉक्सटर्स भी 14-14 दिन क्वारेंटाइन किया. अब तक 69 के सैंपल लिए हैं, इनमें कोई भी पॉजिटिव नहीं मिला.
- कुल मिलाकर भीलवाड़ा को कोरोना मुक्त करने के लिए प्रशासन ने 6 प्रमुख बिन्दुओं पर पूरा फोकस रखा जो हैं सीमा सील करना, लिस्टिंग, कर्फ्यू और महाकर्फ्यू, स्क्रीनिंग, हाईपाे क्लाराेड के दो दो बार छिड़काव से संक्रमण रोकना और राशन की व्यवस्था करना क्योंकि महाकर्फ्यू में जरूरी सामान की दुकानों को खोलने पर पाबंदी थी.
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इन सबके बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पूरी जिम्मेदारी, एक सुस्पष्ट दूरदृष्टि और संवेदनशीलता से पूरे कार्य पर अपनी नजर बनाए रखी और बिना समय खोए त्वरित निर्णय लिए. 6 पाॅजिटिव केस मिलते ही भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगा दिया ताकि लोग घरों में रहें. 3 से 13 अप्रैल तक जिले में महाकर्फ्यू लगा दिया गया और जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया. सफलता मिलती देख 25 मार्च को मीडिया तक को अंदर आने या बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई. मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए एक से बढ़कर एक सफल फैसलों के चलते अब यहां हालात बिलकुल अलग हैं और भीलवाड़ा देश में 0 कोरोना मरीजों की ओर कदम बढ़ा रहा है. प्रशासन के त्वरित और दूरगामी सोच वाले फैसलों ने भीलवाड़ा को देश में एक मिसाल के रूप में स्थापित किया है.