‘पार्टी विद् डिफरेंस’ के ये कैसे सिपहसालार? संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पर चुप क्यों है हाईकमान?

एक तरफ दुनिया के सभ्य देश हैं, जिन्होंने भारत में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और श्मशान में अंतिम संस्कार के लगी कतारों और जलती चिताओं से उठती लपटों की तस्वीरें देख कर सच्ची संवेदना दिखाई और मदद का हाथ आगे बढ़ाया, तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं, जिनको लग रहा है कि जिनकी उम्र हो गई वो तो मर ही जाएंगे या जो मर गए सो मर गए उनको जिंदा तो नहीं किया जा सकता है इसलिए आंसू बहाने से क्या फायदा!.

'पार्टी विद् डिफरेंस' के ये कैसे सिपहसालार?
'पार्टी विद् डिफरेंस' के ये कैसे सिपहसालार?

Politalks.News/Rajasthan. प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा जो हर बार ये दंभ भरते हैं कि बीजेपी पार्टी “विद् डिफरेंस” है. संस्कारों की बात करने वाली पार्टी की सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री क्या अपने संस्कार भूल चुके हैं? केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर, एमपी के मंत्री प्रेम सिंह पटेल और सांसद कैलाश चौधरी के ताजा बयानों से तो ऐसा ही लगता है कि बात बात में संस्कारों की बात करने वाली पार्टी के ये नेता इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं?

कोरोना महामारी के इस दौर में भाजपा नेताओं के इन बयानों ने पार्टी के संस्कार और संवेदना दोनों की पोल खोल दी है. एक तरफ दुनिया के सभ्य देश हैं, जिन्होंने भारत में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और श्मशान में अंतिम संस्कार के लगी कतारों और जलती चिताओं से उठती लपटों की तस्वीरें देख कर सच्ची संवेदना दिखाई और मदद का हाथ आगे बढ़ाया, तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं, जिनको लग रहा है कि जिनकी उम्र हो गई वो तो मर ही जाएंगे या जो मर गए सो मर गए उनको जिंदा तो नहीं किया जा सकता है इसलिए आंसू बहाने से क्या फायदा!.

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आपको बता दें, अमेरिका में कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा दो लाख पहुंचा था, तो एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई थी, जिसमें 20 हजार खाली कुर्सियां रखी गईं. हर एक कुर्सी 10 मृतक का प्रतिनिधित्व करने वाली थी और इस तरह से राष्ट्रीय आयोजन में उनको श्रद्धांजलि दी गई. न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबार ने अपने पहले पन्ने पर 20 हजार मृतकों के नाम छाप कर उनको श्रद्धांजलि दी थी.

वहीं दूसरी ओर विश्व गुरु बनने के लिए आगे बढ़ रहे भारत के एक राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा- कि मरने वाले तो मर गए अब उनके आंकड़ों पर बहस करने से क्या फायदा !. खट्टर साहब ने आगे कहा कि बहस करने से मरने वाले जिंदा तो नहीं हो जाएंगे? दरअसल देश में कोरोना से मौतों के आंकड़ों को छिपाने के मामले को लेकर पत्रकारों ने सीएम खट्टर से सवाल किया था. इस पर सीएम खट्टर ने कहा- ‘यह समय आंकड़ों पर ध्यान देने का नहीं है, हमारे शोर मचाने से मरे हुए लोग वापस नहीं आएंगे, कोविड-19 के इस संकट में हमको डेटा के साथ नहीं खेलना है, इस विवाद में पड़ने का कोई अर्थ नहीं है, कोरोना महामारी है इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था, ना आपको पता था और ना हमें पता था.’ जब ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने कहा यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है! क्या यही बात मुख्यमंत्री खट्टर किसी अपने के मरने पर कह सकते हैं?

इससे कुछ ही दिन पहले मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने कोरोना से हो रही मौतों पर कहा था कि वायरस से मरने वालों की संख्या को रोका नहीं जा सकता है क्योंकि जिसकी उम्र हो गई है उसको तो मरना ही पड़ता है, यानी ऊपर से बुलावा आ गया है तो क्या किया जा सकता है.

राजस्थान में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया. जोधपुर में एक महिला अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए मदद मांगने पहुंची तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उस महिला से कहा कि बालाजी को नारियल चढ़ाए उससे लाभ मिलेगा. सोचें, भारत सरकार के मंत्री इलाज की सुविधा दिलाने की बजाय मंदिर में नारियल चढ़ाने की सलाह दे रहे हैं ! हालांकि इस मामले में शेखावत अपनी सफाई भी दे चुके हैं.

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वहीं, बाड़मेर से सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने विधायक हमीर सिंह के साथ सिणधरी में अस्पताल का दौरा किया. इस दौरान कैलाश चौधरी को डॉक्टरों की शिकायतें मिली की ओपीडी के समय में यहां के डॉक्टर अपने आवास पर मरीज़ों को देखते हैं. इसके बदले बाकायदा पैसे भी लेते हैं. केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी डॉक्टर के आवास पहुंचे और भीड़ के बीच में इस डॉक्टर को जमकर फटकारा, और महामारी के दौर में मरीजों को लूटने की बात भी कही. केन्द्रीय मंत्री की फटकार का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इधर, डॉक्टरों से बात करने पर उनका कहना था कि ओपीडी समय में घरों में मरीज़ों को नहीं देखते हैं.

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को समझदार और संवेदनशील इंसान माना जाता है, लेकिन वे अपने को धीरे-धीरे उन नेताओं की जमात में शामिल कराते जा रहे हैं, जिनको बोलने से पहले सोचने की आदत नहीं है. जैसे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और किसी ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी है तो उस पर रासुका लगा देंगे. यह अलग बात है कि उस राज्य में हर दिन ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं. बहरहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से मुकाबले के लिए भारत की तैयारी पहली लहर के मुकाबले बेहतर है. सोचें, इस बयान का क्या मतलब है? पूरे देश में हाहाकार मचा है, अस्पतालों में बेड्स नहीं हैं, ऑक्सीजन के सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं, वेंटिलेटर मिलना तो परम सौभाग्य की बात है,
दवाएं और इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है और अब वैक्सीन की भी कमी हो गई है और स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि तैयारी पहले से बेहतर है.

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