गृहमंत्री चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे देशभर में लागू करूंगा NRC और पीएम कहते हैं मुझे पता ही नहीं: मुख्यमंत्री गहलोत

मोदी-शाह के बयानों पर जमकर बरसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों को रद्द करने की अपील, आर्थिक मंदी पर साधा निशाना

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर सीएए और एनआरसी पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयानों पर भी तंस कसा. सीएम गहलोत ने कहा कि एक तरफ तो गृहमंत्रीजी 4 महीनों से चिल्ला चिल्लाकर कहते हैं कि देशभर में एनआरसी लागू करके रहूंगा. वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि एनआरसी पर सरकार में कोई चर्चा ही नहीं हुई जैसे कि उनको कुछ मालूम ही न हो. आश्चर्य की बात है, आखिर हो क्या रहा है? प्रधानमंत्रीजी और गृहमंत्रीजी के वक्तव्य में इतना बड़ा फर्क नहीं होना चाहिए. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार के इरादों के बारे में लोगों की आशंकाओं को स्वीकार करने के बजाय मोदीजी और अमित शाहजी विरोधाभासी दावों के माध्यम से अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं. उन्हें तथ्यों और सच्चाई के साथ सामने आना चाहिए.

मीडिया से रूबरू होते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि जब देशभर में लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो सरकार को कानून को वापस लेना चाहिए लेकिन देश को गुमराह करने के लिए वे एनपीआर के साथ आ गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ कहते हैं, देश के गृहमंत्री कुछ कहते हैं, इससे लोगों में केवल डर बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने मिलकर देश को उथल-पुथल में डाल दिया है. अब उनके बीमार विचारों के साथ नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और अब एनपीआर पर अशांति फैल गई है.

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है. जनता का ध्यान वास्तविक समस्याओं से हटाने के लिए वे सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे मुद्दों को उठाकर न केवल अशांति को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आज पूरा देश चिंतित है. ऐसे में मैं आग्रह करूंगा कि केंद्र सरकार को सीएए को रद्द करना चाहिए और देश को स्पष्ट तौर पर आश्वस्त करना चाहिए कि एनआरसी को देश में लागू नहीं किया जाएगा.

सीएम ने देश में चल रही आर्थिक मंदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है. यह भारत की सबसे बड़ी मंदी है. इसके बाद भी सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है. जबकि मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन कहते हैं कि देश में आर्थिक मंदी एक सामान्य मंदी नहीं है, लेकिन कुछ ऐसा है जो पिछले 20-30 वर्षों में नहीं देखा गया है.

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