Hybrid फॉर्मूले पर बोले गहलोत, बीजेपी ने किया बेबुनियाद तांडव नृत्य करने का प्रयास

ऐसी परिस्थितियां आ जाए जहां पर मेयर के लिए एससी, एसटी, ओबीसी, महिला सीट आरक्षित है और उस पार्टी की महिला जीतकर ही नहीं आई है उस केस के अंदर या कोई विशेष परिस्थितियां में...

(Hybrid)
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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में होने वाले नगर निकाय चुनावों में निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए लागू किये गए फॉर्मूले को ‘हाईब्रीड’ (Hybrid) नाम दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है. सीएम गहलोत ने ‘हाइब्रिड’ शब्द पर ऐतराज जताते हुए शनिवार को मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यह हाइब्रिड क्या है? यह हाइब्रिड किसके दिमाग की उपज है, हाइब्रिड का मतलब क्या होता है?

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मुझे यह ‘हाईब्रीड’ (Hybrid) शब्द मीडिया के दिमाग की उपज लगती है. सबसे पहले मीडिया ने खुद ही हाइब्रिड की बात शुरु की. मान लो किसी ने ऐसा बोला भी है, तो यह अनावश्यक बीजेपी मुद्दा बना रही थी, इसमें कोई दम नहीं है. बीजेपी ने जो भड़काने का काम किया है उसे लेकर हम हर जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, प्रदर्शन करेंगे.

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सीएम अशोक गहलोत ने आगे पत्रकारों से कहा, ‘पक्ष और विपक्ष सभी का उद्देश्य यह होना चाहिए कि नगर पालिका में जो जनता की स्थिति मोहल्लों, गलियों या वार्ड में होती है वो बहुत ही दयनीय होती है, जहां कई जगहों पर ना तो पानी होता है ना सड़कें अच्छी होती हैं, किसी-किसी जगह पर तो ना बिजली आती है, उसकी बात होनी चाहिए, कहने का मतलब है कि नगर निकाय का बहुत महत्व है।’

(Hybrid) मुख्यमंत्री गहलोत ने आगे कहा, ‘निकाय चुनाव प्यार से, भाईचारे से लड़े जाते हैं जिससे कि चुनाव के बाद भी तमाम राजनीतिक पार्टियों के लोग मिलकर जनता की सेवा का संकल्प पूरा कर सकें और गली मोहल्ले तक शासन को पहुंचा सके. गली-मोहल्लों, गांव-ढाणी तक में जो शासन होता है उसमें पंचायती राज और स्थानीय निकाय की बहुत बड़ी भूमिका होती है. शासन जयपुर से नहीं पहुंच सकता, बल्कि शासन स्थानीय निकाय और पंचायती राज से पहुंच सकता है.

निकाय चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर मुख्यमंत्री गहलोत ने दावा किया कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस की अच्छी परफॉर्मेंस होगी. कांग्रेस की सरकार ने तय कर रखा है कि जनता की हमसे जो आशाएं और अपेक्षाएं हैं उस पर हम कैसे भी हो खरे उतरें. प्रदेश में चुनाव होते ही लोकसभा चुनाव में करीब 80 दिन की तो आचार संहिता लागू हो गई. जिससे हम ये मानते हैं कि कुछ एक क्षेत्रों में हमारा एजेंडा पूरी तरह से लागू नहीं कर पाए.

निकाय चुनावों में लिए गए निर्णयों (Hybrid) पर बीजेपी की ओर से की गई बयानबाजी के एक सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा, ‘संविधान में लिखा हुआ है, क्या नियम बने हुए हैं, किन नियमों के आधार पर चुनाव होंगे, यह सब सरकार के नोटिफिकेशन में निकलते हैं. क्या उसको पढ़े बगैर ही हम लोग किसी बात का इश्यू बना लेते हैं? और बीजेपी ने जिस प्रकार का तांडव नृत्य करने का प्रयास किया उसकी जरूरत ही नहीं थी. अगर कहीं ऐसी परिस्थितियां आ जाए जहां पर एससी, एसटी, ओबीसी, महिला सीट आरक्षित है और उस पार्टी की महिला जीतकर ही नहीं आई है और वह सीट मेयर या सभापति की महिला की है या एससी की है जिसका जीतने वालों में कोई उम्मीदवार ही नहीं है, उस केस के अंदर या कोई विशेष परिस्थितियां हो जहां तमाम मेंबर साहिबान सहमत हों, सभी नगर पार्षद सहमत हों वह तय करेंगे तब जाकर के कोई बाहर का उम्मीदवार खड़ा हो सकता है, (Hybrid) ऐसे कैसे चुनाव जीते हुए पार्षद किसी को भी मेयर या सभापति बनने देंगे. और टिकिट देने के सारे अधिकार राजनितिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष के पास होते हैं. ऐसे में बीजेपी का विरोध बेबुनियाद है.

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सीएम गहलोत ने कहा, ‘यह चुनाव टिकट के आधार पर लड़े जा रहे हैं, सभापति, मेयर, अध्यक्ष के पहली बार इनडायरेक्ट चुनाव हो और साथ में सिंबल के साथ में हो यह पहली बार होगा, जब ऐसी पूरी ताकत राजनीतिक पार्टी को दी गई है तो काहे की हाय तोबा हो रही है? यह समझ के परे है. मैं समझता हूं कि कहीं ना कहीं गलतफहमी हुई है (Hybrid) और गलतफहमी दूर होनी चाहिए.

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