पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हरियाणा चुनावों के बाद किंगमेकर बनकर उभरे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जजपा) में अब विरोध के सुर उठने लगे हैं. अपनी ही पार्टी के विधायक रामकुमार गौतम के बागी तेवरों को देखते हुए पार्टी के मुखिया दुष्यंत चौटाला अब डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं. दरअसल, पार्टी के वरिष्ठ नेता और नारनौंद से विधायक राम कुमार गौतम ने पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गौतम (73) ने कहा कि जजपा नेता (Jannayak Janta Party) दुष्यंत चौटाला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन से उप मुख्यमंत्री बने हैं. वहीं दुष्यंत ने इस्तीफा देने की जानकारी से इनकार करते हुए पार्टी में मतभेद की खबरों को सिरे से नकारते हुए महज़ कोरी अफवाह बताया.
गौतम के साथ पार्टी के कुछ अन्य विधायकों की भी शिकायतें चौटाला के कानों तक पहुंच रही हैं. पार्टी के सदस्यों की शिकायतों को दूर करने और बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में दुष्यंत चौटाला ने गुरुवार को ही चंड़ीगढ़ पहुंच पार्टी (Jannayak Janta Party) नेताओं से इस बारे में चर्चा की. दुष्यंत ने कहा कि वे हमारे सबसे बुजुर्ग और सीनियर नेता हैं और संगठन में अपनी बात रख सकते हैं. हम उनकी बातों का बुरा नहीं मानते. उनसे मुलाकात कर गिले-शिकवों और उनकी शिकायतों को दूर किया जाएगा.
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इससे पहले बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राम कुमार गौतम ने दुष्यंत चौटाला के अकेले सरकार में पद लेने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘दुष्यंत की पार्टी ने मुझे विधायक बनाया. जाटों का भारी वोट बैंक मुझे मिला. हम 9 विधायकों की मदद से ही दुष्यंत उप मुख्यमंत्री बना है लेकिन 11 महकमे लेकर खुद बैठा है. अरे भलेमानस और भी अच्छे विधायक हैं पार्टी में’. उन्होंने ये भी कहा कि अभी सिर्फ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. जिस दिन विधायक का पद छोडूंगा उसी दिन पार्टी (Jannayak Janta Party) भी छोड़ दूंगा. वरिष्ठ नेता ने यहां तक कहा कि दुष्यंत जाट बिरादरी में अपने से बड़ा नेता नहीं देखना चाहते.
उन्होंने कहा, ‘मुझे मंत्री न बनाए जाने का दुख नहीं बल्कि इस बात का दुख है कि इन लोगों ने गुरुग्राम के एक मामले में समझौता कर लिया. दुष्यंत की लाइन पिता और दादा वाली ही है. अगर मुझे मंत्री बनाते तो बड़ी उड़ान भरते‘. वहीं बीजेपी से समझौते पर दुष्यंत ने कहा कि गठबंधन का प्रस्ताव रामकुमार गौतम ही लेकर आए थे, ऐसे में उनका ये दावा गलत है.
दरअसल, जजपा (Jannayak Janta Party) में असंतोष की नींव मंत्रीमंडल गठन के पहले दिन से ही पड़ गई. हरियाणा में सीएम मनोहर लाल खट्टर से सरकार के साथ गठबंधन किया और पार्टी के 10 विधायकों के साथ बीजेपी को समर्थन देकर प्रदेश में सरकार बनाई. उस समय सीएम खट्टर के साथ जजपा के खेमे से दो मंत्री और एक डिप्टी सीएम बनाए जाने का समझौता हुआ था. समझौते के मुताबिक शुरुआत में पार्टी की ओर से केवल दुष्यंत चौटाला ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 11 विभाग अपने पास रखे. जब पार्टी में अंदरूनी स्तर पर विरोध के सुर उठने लगे तो जजपा प्रमुख ने पार्टी कोटे से अनूप धानक को बिना विभाग का मंत्री बना दिया. लेकिन अभी भी पार्टी का एक मंत्री पद खाली पड़ा है.
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बात करें रामकुमार गौतम की तो वे पुराने भाजपाई नेता हैं. उन्होंने साल 2000 और 2005 में नारनौंद से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. मनमुटाव के चलते उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. बाद में उन्होंने 2014 में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन जीत से दूर रहे. इस बार जजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर वे हरियाणा विधानसभा पहुंचे. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी उपाध्यक्ष होने के बाद भी मंत्री पद न मिलने से अब उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ रही है.