पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संकट के बीच भारत और अमेरिका के संबंधों में थोड़ी कड़वाहट देखी गई. कोरोना के इलाज में काम आने वाली एक दवाई को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ सम्बन्धों को लेकर एक विवादित बयान दे दिया. इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट करते हुए पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के मित्रों वाले रिश्ते पर तंज कसते हुए कहा कि भारत को हर किसी की मदद करनी चाहिए, लेकिन पहले भारतीयों का ख्याल रखा जाना चाहिए.
दरअसल कोरोना के विकराल रूप से जूझ रहे अमेरिका ने महासंकट के बीच भारत से मदद मांगी है और मलेरिया में काम आने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवाई भेजने की बात कही. वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि अगर मोदी ये दवाएं भेजते हैं तो अच्छा रहेगा, अगर नहीं भेजते तो जवाबी कार्रवाई हो सकती है. ट्रंप की धमकी भरे इस बयान पर राहुल गांधी ने ट्वीट केते हुए लिखा, ‘‘मित्रों’ में प्रतिशोध की भावना? भारत को सभी देशों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन सबसे पहले जान बचाने की सभी दवाइयाँ और उपकरण अपने देश के कोने-कोने तक पहुंचना अनिवार्य है’.
‘मित्रों’ में प्रतिशोध की भावना? भारत को सभी देशों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन सबसे पहले जान बचाने की सभी दवाइयाँ और उपकरण अपने देश के कोने-कोने तक पहुँचना अनिवार्य है। pic.twitter.com/RMk8lHHsO1
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 7, 2020
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वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विश्व मामलों में मेरे दशकों के अनुभव में मैंने कभी किसी राज्य प्रमुख या सरकार को इस तरह से खुलेआम धमकी देते नहीं सुना. भारतीय हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन ‘हमारी आपूर्ति’, राष्ट्रपति क्या बनाता है? यह सप्लाई तब होगी जब भारत आपको इसे बेचने का फैसला करता है.
Never in my decades of experience in world affairs have I heard a Head of State or Govt openly threatening another like this. What makes Indian hydroxychloroquine "our supply", Mr President? It only becomes your supply when India decides to sell it to you. @USAndIndia https://t.co/zvSPEysTNf
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 7, 2020
अब इस विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपना जवाब देते हुए कहा है कि पहले भारत में इसकी जरूरतों और स्टॉक को परखा गया है और उसी के बाद सर्वाधिक प्रभावित देशों को मदद पहुंचाने का फैसला लिया है. विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की ओर से बयान जारी किया गया. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता ये है कि जरूरत की दवाइयों का देश में भरपूर स्टॉक हो, ताकि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसी के चलते कई दवाइयों पर कुछ समय के लिए निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन लगातार नए हालात को देखते हुए सरकार ने कुछ दवाओं पर लगी निर्यात की रोक हटा दी है’.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर लगातार हालात का जायजा लिया जा रहा है, जब एक बार भारत में इनका भरपूर स्टॉक होगा तब कंपनियों की ओर से उस आधार पर फैसला लिया जा सकता है.
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दुनिया भर के देशों से लगातार की जा रही अपील पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस महासंकट के समय में हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया एक साथ होकर लड़ेगी. हमने भी लगातार इस ओर कदम बढ़ाए हैं, जिसका उदाहरण ये है कि कई देशों से हमने विभिन्न देशों के नागरिकों को बचाया है. मंत्रालय ने भी कहा कि भारत को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ध्यान इसलिए भी रखना है क्योंकि कुछ पड़ोसी देश पूरी तरह से हमारे पर निर्भर हैं. ऐसे में उन्हें इन दवाई की इजाजत दी गई है. साथ ही जरूरत की दवाइयों की सप्लाई उन देशों को जरूर की जाएगी, जहां कोरोना वायरस की वजह से हालात ज्यादा खराब हैं. ऐसे में इस स्थिति को किसी भी तरह से राजनीतिक रूप ना दें.