अजमेर में जरूरतमंदों को भोजन वितरण पर रोक के बाद पार्षद और प्रशासन हुए आमने-सामने

कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने सामूहिक रूप से प्रशासन के खिलाफ लगाए नारे, पुलिस ने एतिहात के तौर पर लिया हिरासत में, प्रदर्शन के बाद कलेक्टर ने पूर्व के भांति भोजन वितरण की दी अनुमति तो पार्षदोें ने अपने विकास बजट से किया जनता को भोजन देने का प्रस्ताव पारित

Mer
Mer

पाॅलिटाॅक्स न्यूज/राजस्थान. कोरोना संकट काल में जनता के लिए अक्षय पात्र योजना और विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं द्वारा बांटे जा रहे भोजन विरतण पर अजमेर कलेक्टर विश्व मोहन के द्वारा अचानक रोक लगाने से अजमेर के सभी पार्षदों में रोष उपज गया. गुरूवार को कलेक्टर से नाराज कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने कलेक्ट्रेट पर डेरा डाल दिया. पार्षदों द्वारा सामूहिक रूप से जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन एक घंटे से भी अधिक समय तक चला. इस दौरान पार्षद और पुलिस आमने-सामने भी हुए. पुलिस ने पार्षदों को धारा 144 का उल्लघंन करने पर कार्रवाई के चेतावनी दी तो पार्षदों ने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी.

पार्षदों के समर्थन में उतरे विधायक

पार्षदों के धरना-प्रदर्शन के दौरान विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल और पुश्कर विधायक सुरेश रावत, अजमेर नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत भी कलेक्ट्रेट पहुंचे. दोनों विधायक कलेक्टर से मिलने उनके आॅफिस पहुंचे तो पीछे से पुलिस सभी पार्षदों को एक वाहन में बैठा कर सिविल लाइंन थाने ले गई. इससे पहले महिला पार्षदों को महिला पुलिस थाने ले जा चुकी थी.

अक्षय पात्र योजना के तहत बांटे जा रहे थे 6500 भोजन पैकेट

कोरोना महामारी के चलते देश-प्रदेश में जारी लाॅकडाउन के बाद से अजमेर प्रशासन द्वारा नगर निगम के माध्यम से अक्षय पात्र योजना के तहत 6500 भोजन पैकेट सभी वार्डों के जरूरत मंदों को पार्षदों के माध्यम से बांटे जा रहे थे. इसके अलावा पार्षदों एव अन्य समाज सेवी संस्थाओं की ओर से भी विभिन्न स्थानों पर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन बनवाकर पैकेट बांटे जा रहे थे. ऐसे में बुधवार की शाम जिला कलेक्टर ने अचानक एक आदेश जारी कर भोजन वितरण को बंद कर दिया. आदेश में बताया गया कि सभी वार्डों में लगाए गए बीएलओ द्वारा जरूरतमंद लोगों को चिहिन्त कर उन्हें सूखी राशन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, इसलिए अब भोजन पैकेट वितरण की कोई आव्श्यकता नहीं है.

जिला प्रशासन के इसी निर्णय के कारण पिछले कई दिनों से आम लोगों के घरों में भोजन पैकेट पहुंचा रहे पार्षदों में रोष व्याप्त हो गया. गुरुवार को सभी 60 वार्डों के पार्षद एकत्रित होकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए और प्रदर्शन किया. पुलिस की समझाइश के बाद भी पार्षद भोजन पैकेट वितरण शुरू करने की मांग पर अड़े रहे.

कलेक्टर ने निर्णय को किया स्थगित

जनप्रतिनिधियों में व्याप्त रोष को देखते हुए कलेक्टर ने फिलहाल भोजन वितरण समाप्त करने के अपने निर्णय को वापस ले लिया. बता दें, अक्षय पात्र योजना के तहत बनवाए जा रहे भोजन पर प्रशासन की ओर से प्रतिदिन सवा लाख रूपए का खर्च किए जा रहे हैं.

पार्षद अपने विकास फंड से बनवाएंगे भोजन

नगर निगम के कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने सामूहिक रूप से निर्णय करते हुए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जजिस्के तहत पार्षदों को मिलने वाले विकास फंड में से एक लाख रूपए आम लोगों तक भोजन पहुंचाने पर खर्च करने का निर्णय लिया गया. पार्षदों का कहना है कि यदि प्रशासन अक्षय पात्र योजना के तहत भोजन वितरित नहीं कराएगा तो फिर नगर निगम की ओर से पार्षद फंड के माध्यम से भोजन बनवाकर वार्डों के जरूरतमंद परिवारों तक भोजन पहुंचाया जाएगा.

यह भी पढ़ें: कैसे इटली से तुलना किए जाने वाले भीलवाड़ा ने पेश की मिशाल और बना कोरोना पर देश का रोल मॉडल?

बीएलओ ने बिना सर्वे किए घर में बैठकर ही बना दी सूची

पार्षदों का आरोप है कि प्रत्येक वार्ड में राशन सामग्री की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकांश बीएलओ ने बिना वार्ड पार्षदों से संपर्क किए अपने स्तर पर ही वार्ड के जरूरतमंदों की सूची बना दी. बीएलओ ने वार्डों के जरूरतमंदों का बिना सर्वे किए ही अपने स्तर पर ही राशन सामग्री का वितरण करना शुरू कर दिया. इसमें कई बीएलओ पर उनके मिलने वालों को अनुचित लाभ पहुंचाने के प्रमाण सहित आरोप लगाए गए.

पार्षदों का कहना है कि वार्ड में कई ऐसे परिवार भी हैं जिनके पास पक्के मकान है, लेकिन छोटे रोजगारों से जुडे हैं, लाॅकडाउन के कारण काम धंधे सब बंद पड़े हैं, ऐसे में इन परिवारों तक भी सहयोग पहुंचाया जाना जरूरी है. लाॅकडाउन की मार केवल गरीबों तक ही सीमित नहीं है बल्कि मध्यम वर्ग का वो तबका जो छोटे रोजागर से जुड़ा है वो भी इसकी चपेट में पूरी तरह से आया है.

Leave a Reply