पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. लॉकडाउन के बीच देशवासियों को राहत देने के लिए सरकार लगातार राहत भरे कदम उठा रही है. अब रिजर्व बैंक ने भी राहत की पोटली खोलते हुए जनता को राहत देने का प्रयास किया है. आरबीआई ने रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट (0.75 फीसदी) की कटौती है. इस कटौती के बाद रेपो रेट 5.15 से घटकर 4.45 फीसदी पर आ गई है. इसके साथ ही आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में भी 90 बेसिस प्वाइंट (0.90 फीसदी) कटौती की है जिसके बाद रिवर्स रेपो रेट 4 फीसदी हो गई है. कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके 3 प्रतिशत कर दिया गया है. यह एक साल तक की अवधि के लिए किया गया है. रिजर्व बैंक के रेपो रेट दरों में कटौती के चलते बैंक भी अपनी इंटरेस्ट रेट ब्याज दर कम कर सकती है जिसका असर निश्चित तौर पर ईएमआई पर पड़ेगा. यानि कुल मिलाकर ईएमआई कम हो सकती है.
इस मसले पर देश में सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बैंक ऋणों की किस्तों के पुनर्निर्धारण और चालू वित्त वर्ष में आयकर के भुगतान में छूट देने या इसे स्थगित करने जैसे निर्णय कर उद्योगों को संबल प्रदान करने का अनुरोध किया था. इसके बाद सोनिया गांधी ने भी ईएमआई और लोन भुगतान को छह महीने के लिए टालने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा.
रिजर्व बैंक की कई गई रेपो रेट में कटौती आरबीआई इतिहास की सबसे बड़ी कटौती है. इसके साथ ही रेपो रेट अब तक के सबसे निचले पायदान पर आ गई है. बीते दो मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को लेकर कोई फैसला नहीं लिया था लेकिन कोरोना वायरस की वजह से देशभर में चल रहे लॉकडाउन के चलते दोनों बार की कसर एक बार में ही पूरी कर दी गई है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने लोगों से डिजिटल बैंकिंग की सलाह देते हुए विश्वास दिलाया है कि डिजिटल बैंकिंग सिस्टम सुरक्षित और मजबूत है.
वहीं जनता की लगातार मांग आ रही है कि लॉकडाउन के चलते दफ्तर बंद रहेंगे जिसके चलते ईएमआई जमा कराना मुश्किल है. ऐसी स्थिति में बैंक ईएमआई पर दो से तीन महीने की राहत दें. इस पर रिजर्व बैंक ने अन्य सहयोगी बैंकों से लोन की ईएमआई दे रहे लोगों को तीन महीने तक राहत देने की सलाह दी है. हालांकि ये आदेश नहीं बल्कि केवल सलाह है. अब ये बैंकों पर निर्भर करता है कि वो इस सलाह को मानें या नहीं. कुल मिलाकर ये बैंकों को अब तय करना है कि वो आम लोगों को ईएमआई पर छूट दे या नहीं. एक खास बता बता दें कि आरबीआई गवर्नर के मुताबिक सभी कमर्शियल बैंकों को ब्याज और कर्ज अदा करने में 3 महीने की छूट दी जा रही है. ऐसे में सहयोगी बैंकों पर भी कस्टमर्स की ईएमआई पर छूट देने का दवाब बनेगा.
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ईएमआई रिबेट का तो पता नहीं लेकिन रेपो रेट कम होने से बैंकों का इंटरेस्ट रेट कम करने का दवाब निश्चित तौर पर होगा. इससे लोगों की होम लोन, वाहन लोन और अन्य तरह के लोन की ईएमआई में कटौती होगी. माना जा रहा है कि बैंक 25 बैसिस पॉइंट (0.25 फीसदी) तक ब्याज दर घटा सकते हैं. रेपो रेट के घटने का फायदा ईएमआई भरने वाले करोड़ों लोगों को होगा. नए लोन लेने वाले ग्राहकों को भी फायदा मिलेगा.
जारी नहीं हुए जीडीपी ग्रोथ रेट और महंगाई रेट
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट और महंगाई रेट को लेकर आंकड़े नहीं जारी किए हैं. ये पहली बार है जब आरबीआई ने आंकड़े पेश नहीं किए हैं. इससे पहले वित्त मंत्रालय ने कोरोना वायरस, लॉकडाउन और जनता की परेशानियों को देखते हुए रिजर्व बैंक (आरबीआई) को लेटर लिखकर ग्राहकों को राहत देने के लिए आपातकालीन उपाय करते करने का निवेदन किया था.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को एक खत लिखकर बैंक ऋणों की किस्तों के पुनर्निर्धारण और चालू वित्त वर्ष में आयकर के भुगतान में छूट देने या इसे स्थगित करने जैसे निर्णय कर उद्योगों को संबल प्रदान करने का अनुरोध किया था. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर यह मांग की थी कि कोरोना को देखते हुए लोगों की ईएमआई और लोन भुगतान को छह महीने के लिए टाल दिया जाए.
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गौरतलब है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को आमजन के लिए 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है. इस पैकेज के जरिए देश के किसान, मजदूर और महिला वर्ग के अलावा बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों को राहत देने की कोशिश की गई है. हालांकि मिडिल क्लास के लिए इस पैकेज में कुछ नहीं है. इसलिए उनकी नजर आईबीआई के रेपो रेट कम होने के बाद सहयोगी बैंकों के रिएक्शन पर टिकी हुई है.