उत्तरप्रदेश के सियासी जाम में फंसी प्रवासियों की बसें, योगी सरकार पर फूटा प्रियंका का गुस्सा

रास्ते में खड़ी रहीं बसें और पैदल चलते रहे प्रवासी मजदूर, बोलीं प्रियंका गांधी- बसों को मिलती अगर एंट्री तो घर पहुंच जाते 92 हजार लोग, इजाजत न मिलने पर लौटीं सारी बसें

Priyanka Gandhi (प्रियंका
Priyanka Gandhi (प्रियंका

पॉलिटॉक्स न्यूज/यूपी. उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और कांग्रेसी बसों पर चल रही राजनीति उबाल पर है. इसी बीच उत्तर प्रदेश में श्रमिकों के नाम पर चलने वाली बसें सियासी जाम में फंस गई हैं. 24 घंटे बाद भी कांग्रेस की बसों को राज्य में एंट्री नहीं दिए जाने पर सभी बसों को लौटाया जा रहा है. इस दौरान कई बार ऐसे भी दृश्य देखने को मिले जब आगरा बॉर्डर पर सड़क के एक किनारे 700 से अधिक बसें यूपी प्रशासन के आदेश का इंतजार करती रहीं और वहां से आंखों में एक अंतिम आस जगाए टकटकी निगाहों से बसों को देखते हुए पैदल प्रवासी मजदूरों का जथ्था वहां से निकलते रहे. बसों की वापसी पर प्रियंका का योगी सरकार पर गुस्सा फूट पड़ा. प्रियंका ने कहा कि अगर बसों को एंट्री मिलती तो 92 हजार लोग घर पहुंच जाते.

इससे पहले प्रियंका ने कहा था कि भले बसों पर बीजेपी अपने पोस्टर लगाए, या खुद कहे कि उसने बसें चलाई हैं, हमें इससे कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन मजदूरों की मदद करे. इसके बावजूद योगी सरकार ने कई आरोप लगाते हुए बसों को एंट्री नहीं दी. इस पर बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका ने कहा कि मंगलवार को गाजियाबाद बॉर्डर पर बसें खड़ी थीं, लेकिन उन्हें परमिशन नहीं दी गई. बसें आज भी वहां खड़ी हैं, सरकार को उन्हें चलाने की इजाजत देनी चाहिए ताकि श्रमिकों की मदद की जा सके.

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बसों की सूची में बसों के साथ बाइक, थ्री व्हीलर और निजी कार के नंबर देने के बीजेपी के बयान पर प्रियंका ने कहा कि उप्र सरकार का खुद का बयान है कि हमारी 1049 बसों में से 879 बसें जाँच में सही पायीं गईं. ऊँचा नागला बॉर्डर पर आपके प्रशासन ने हमारी 500 बसों से ज्यादा बसों को घंटों से रोक रखा है. इधर दिल्ली बॉर्डर पर भी 300 से ज्यादा बसें पहुंच रही हैं. ऐसे में कृपया इन 879 बसों को तो चलने दीजिए. प्रियंका ने ये भी कहा कि हम आपको कल 200 बसें की नयी सूची दिलाकर बसें उपलब्ध करा देंगे. बेशक आप इस सूची की भी जांच कीजिएगा. ऐसे में एक हजार बसों में जो सरकार को चलने लायक लगती हैं, कम से कम वही शुरू की जाएं. अगर इन दो दिनों में बसें चली होतीं तो 92 हजार लोग घर पहुंच चुके होते.

प्रियंका ने कहा कि हम मदद करना चाहते हैं. जिस तरह से हम लोगों की मदद कर रहे हैं, वो उसी तरह करते रहेंगे. हमें इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपकी बसें हैं या हमारी. हम सिर्फ सेवा भाव से मदद करना चाह रहे हैं. प्रियंका ने कहा कि हमने सकारात्मक और सेवा भाव से ही मुख्यमंत्री को एक हजार बस भेजना की बात कही थी. हमने उनके अच्छे कदमों का स्वागत भी किया. अगले दिन मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि यूपी रोडवेज की 12000 बसें हैं, आपकी बसों की जरूरत नहीं है. हमने 17 मई को गाजियाबाद में खड़ी 500 बसों को वापस भेज दिया.

अगले दिन पत्र के जरिए उन्होंने हमसे बस, ड्राइवर, कंडक्टर की सूची मांगी. हमने उनके पत्र के 4-5 घंटे के अंदर ही बसों की लिस्ट उपलब्ध करवा दी. रात को साढ़े 11 बजे पत्र के जरिए उन्होंने सुबह 10 बजे तक 1000 बसों को लखनऊ पहुंचाने के लिए कहा. प्रियंका ने कहा कि दिल्ली में खड़ी हमारी बसों का मकसद दिल्ली एनसीआर, नोएडा, गाजियाबाद से पैदल जा रहे मजदूरों को घर पहुंचाना था. ऐसे में दिल्ली से लखनऊ तक इन बसों का खाली चलना मकसद को खत्म करने जैसा था.

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प्रियंका गांधी ने कहा कि सेवा भाव से ही यूपी कांग्रेस ने लॉकडाउन के अगले दिन हर जिले में ‘कांग्रेस के सिपाही’ नाम से वॉलंटियर ग्रुप बनाए. हमने हर जिले में हेल्पलाइन नंबर जारी किए. इसके अलावा हमने “सांझी रसोइयां” खोलीं, हाइवे टास्क फोर्स बनाए. इन कार्यों के जरिए हमने 67 लाख लोगों की मदद की. इनमें से 60 लाख लोग यूपी में और 7 लाख बाहर फंसे हुए थे. हम सेंट्रल हेल्पलाइन के जरिए भी लगातार सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं.

इससे पहले यूपी सरकार ने बसों का फिटनेस प्रमाणपत्र न होने, कई बसों के फिटनेस प्रमाण पत्र पुराने होने का मुद्दा भी उठाया था. इस पर राजस्थान सरकार ने बयान जारी करते हुए प्रदेश के सभी वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र 30 जून तक के लिए वैद्य कर दिए. इसके बाद भी योगी सरकार ने इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया. यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने ये जरूर कहा कि जरूरत पड़ेगी तो राजस्थान सरकार से बसें लेंगे और उससे इस बारे में बात करेंगे.

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