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पूर्वोत्तर: नागरिकता विधेयक और एनआरसी बने बीजेपी की राह में कांटे

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आजादी के बाद पर्वोत्तर भारत देश का सबसे पिछड़ा और उपेक्षित क्षेत्र रहा है. बीते 72 सालों में पार्टियों ने यहां विकास के सपने तो दिखाए लेकिन साकार करने में सफल न हो पायी. 2014 में मोदी सरकार के कमान संभालते ही मोदी सरकार ने क्षेत्र को करोड़ों रुपये की परियोजनाओं से विकास का स्वाद तो चखाया लेकिन लोकसभा चुनाव में नागरिकता विधेयक, एनआरसी और उग्रवाद जैसे मुद्दे बीजेपी की राज में रोड़े अटकाने वाले साबित हो रहे हैं.

दअसल, पूर्वी भारत के 8 में से अधिकतर राज्य लंबे समय से उग्रवाद और अलगाववाद का शिकार रहे हैं जिससे यहां विकास की संभावनाएं आजादी के बाद से नगण्य रही. यहां सड़क, पुल और दूसरे आधारभूत ढांचों का अभाव है जिसके चलते यहां उद्योग धंधे नहीं पनप सके. प्राकृतिक सौंदर्य और जल संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद यहां पर्यटन के भी ज्यादा स्कोप नहीं हैं. बेरोजगारी के थपेड़े इतने तेज हैं कि यहां अलगाववाद और उग्रवाद तेजी से पैर पसार रहा है.

2014 के लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने इलाके पर ध्यान देना शुरू किया और हजारों करोड़ की विकास परियोजनाएं शुरू की. कई अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया. उस समय तक पूर्वोत्तर में बीजेपी की कोई खास पैठ नहीं थी लेकिन स्थानीय लोगों में विकास का सपना सच होते हुए बीजेपी की छवि धीरे-धीरे बदलने लगी. यही वजह रही कि असम सहित अन्य चार राज्यों में बीजेपी सरकार या सत्तारुढ़ मोर्चे में साझीदार है. 2014 तक इलाके में बोलने वाली कांग्रेस की तूती अब यहां से साफ होती जा रही है.

इतना करने के बाद भी बीजेपी की राह में नागरिकता (संशोधन) विधेयक और एनआरसी जैसे कई रोड़े हैं. एआरसी की वजह से क्षेत्र के 40 लाख लोगों के राष्ट्रविहीन होने का खतरा मंडरा रहा है तो नागरिकता विधेयक ने इलाके के लोगों की पहचान पर खतरा पैदा कर दिया है. उक्त विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को छह साल तक रहने के बाद भारत की नागरिकता देने का प्रवाधान है.

इस विधेयक का इन राज्यों में भारी विरोध हुआ. यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी तक को काले झंडों और विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था. हालांकि राज्यसभा में पेश न होने की वजह से फिलहाल विधेयक ठंडे बस्ते में चला गया. अब देखना यह है कि पूर्वोत्तर राज्यों में विकास के सपनों की डोर थामे बीजेपी किस तरह नागरिकता विधेयक और एनआरसी जैसे मुद्दों को पीछे छोड़ इन इलाकों को अपना बना पाती है.

मेरठ में महागठबंधन की ‘सराब’ बनाकर फंसे पीएम नरेंद्र मोदी

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पीएम नरेंद्र मोदी की भाषण देने की कला के सब मुरीद हैं. कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि मोदी खा ही बोलने की रहे हैं. धुंआधार बोलते हैं. धाराप्रवाह बोलते हैं. मंच यदि चुनावी सभा का हो तो मोदी का भाषण और धारदार हो जाता है. विपक्ष की ऐसी बखिया उधेड़ते हैं कि विपक्ष के नेता बगले झांकने लगते हैं.

नेताओं की परंपरागत शैली के इतर नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में तुकबंदी का गजब प्रयोग करते हैं. उनकी यह तुकबंदी इतनी हिट रहती है कि मीडिया इनसे सुर्खियां बनाता है और बीजेपी के छोटे-बड़े नेता इन्हें ब्रह्मवाक्य की तरह रट लेते हैं. सियासत के शब्दकोश में नित नए शब्द जोड़ने वाले मोदी ने आज मेरठ की रैली में ऐसी ही तुकबंदी की, लेकिन यह हिट होने की बजाय उनके ही गले पड़ गई.

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने आज मेरठ से लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की मेरठ से शुरुआत की . रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने महागठबंधन पर तीखा हमला बोला. मोदी ने कहा, ‘सपा का स, रालोद का रा और बसपा का ब, मतलब सराब. ये शराब यूपी की सेहत के लिए हानिकारक है. ये शराब आपको बर्बाद कर देगी.’

मोदी की इस तुकबंदी को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पकड़ लिया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘आज टेली-प्रॉम्प्टर ने यह पोल खोल दी कि सराब और शराब का अंतर वह लोग नहीं जानते जो नफरत के नशे को बढ़ावा देते हैं. सराब को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना है जो भाजपा 5 साल से दिखा रही है, लेकिन जो कभी हासिल नहीं होता. अब जब नया चुनाव आ गया तो वह नया सराब दिखा रहे हैं.’

मोदी की ‘सराब’ पर लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने भी चुटकी ली. पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘धत! 5 साल में ‘स’ और ‘श’ का अंतर नहीं सीखा. लो हम सिखाते हैं- शाह का श, राजनाथ का र और बुड़बक बीजेपी का ब. बन गया शराबबंदी में धड़ल्ले से बिकता गुजराती शराब.’

इसी मामले में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धुपचंडी ने अपने ट्वीट में एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि हिंदुस्तान को नशा मुक्त बनाना है. इस तस्वीर में नरेंद्र मोदी के ‘न’ और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के ‘शा’ को मिलाते हुए दोनों नेताओं की जोड़ी को ‘नशा’ बताया गया है.

प्रधानमंत्री की ‘सराब’ पर सोशल मीडिया पर खूब चुटकियां ली जा रही हैं. लेखक रामकुमार सिंह ने ट्विटर पर ‘सराब’ का अर्थ साझा किया है. उन्होंने लिखा है, ‘जुमलेबाजी व तुकबंदी बेवकूफियों में आप शब्दों के सही अर्थ भी नहीं जानते आदरणीय मोदी जी. जिस सपा, रालोद और बसपा के पहले अक्षर मिलाकर आपने ‘सराब’ बनाया, वो ‘शराब’ नहीं है. आपके भाषण सुनकर भक्तों की मूर्खता भी समझ में आ जाती है, यथा राजा, तथा प्रजा.’

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने ट्विटर पर लिखा, ‘आज मोदी जी: शोर नही बाबा सोर सोर सोर. शराब नही बाबा सराब सराब सराब.’

मध्यप्रदेश: मिशन ‘मोदी’ में बागी बने बाधा, कई सीटों पर बिगड़े समीकरण

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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट बीजेपी ने जारी कर दी है. इसमें 15 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है जिनमें पांच वर्तमान सासदों के टिकट कटे हैं. उज्जैन लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद चिंतामणी मालवीय का टिकट काटकर अनिल फिरोजिया को दिया गया है जबकि सीधी से रीती पाठक को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया है. लिस्ट आने के साथ ही पार्टी में अब बगावत के साथ-साथ विरोध के स्वर भी तेज हो गए हैंं.

उज्जैन में अनिल फिरोजिया का विरोध
उज्जैन-आलोट से सांसद चिंतामणि मालवीय का टिकट काट अनिल फिरोजिया को उम्मीदवार बनाए जाने का भी जमकर विरोध हो रहा है. अखिल भारतीय बलाई समाज महासंघ ने भाजपा की ओर से लिए गए इस निर्णय पर आपत्ति लेते हुए इसे बलाई समाज का अपमान बताया है. महासंघ ने कहा है कि जब मालवीय पिछली बार बड़े अंतर से जीते थे तो फिर किस आधार पर उनका टिकट काटकर विधानसभा चुनाव में हारे व्यक्ति को टिकट दे दिया गया.

बता दें कि संसदीय क्षेत्र में प्रमुख रूप से बलाई समाज, रविदास समाज, वाल्मीकि समाज व बैरवा समाज का बाहुल्य है. सालों तक भाजपा ने रविदास समाज को प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन पिछली बार बलाई समाज के चिंतामणि मालवीय को टिकट दिया.  इस बार इन जातियों में से किसी को मौका नहीं मिला. अब पार्टी देवास-शाजापुर आरक्षित सीट पर जातियों के बीच संतुलन बनाकर सभी वर्गों को साधने की जुगत में लगी हुई है.

सीधी में रीता पाठक से कार्यकर्ता नाराज
बीजेपी ने सीधी लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद रीती पाठक पर भरोसा जताया है. लेकिन स्थानीय स्तर पर उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने नाराज होकर उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पाठक को टिकट मिलने से नाराज भाजपा जिलाध्यक्ष कान्तिशीर्ष देव सिंह उर्फ राजा साहब ने पार्टी पर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफा देने के बाद जिला भाजपा के कई पदाधिकारियों ने भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. हालांकि पार्टी ने डेमैज कंट्रोल करने का प्रयास करते हुए किसी का इस्तीफा मंजूर नहीं किया और उन्हें मनाने में कामयाब हो गई.

राजस्थान: जोधपुर में मोदी के भरोसे गजेंद्र सिंह शेखावत की चुनावी गाड़ी

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राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर भरोसा जताया है. पहले यह कहा जा रहा था कि शेखावत अपनी सीट बदलना चाहते हैं, लेकिन यह चर्चा कोरा कयास ही साबित हुई. टिकट मिलने के बाद शेखावत ने तूफानी प्रचार शुरू कर दिया है. वे ज्यादातर जगह मोदी के नाम पर वोट मांगते हुए नजर आ रहे हैं. इसके अलावा उनके पास कोई चारा भी नहीं है, क्योंकि बीते पांच साल में वे जोधपुर को ऐसी कोई बड़ी सौगात नहीं दे पाए, जिसे गिनाकर वोट मांगे जा सकें.

2014 के लोकसभा चुनाव में जब गजेंद्र सिंह शेखावत को जोधपुर से उम्मीदवार घोषित किया गया तो यह नाम सभी को चौंकाने वाला था. अन्य दावेदारों के मुकाबले शेखावत की दावेदारी इतनी ज्यादा मजबूत नहीं थी, लेकिन संघनिष्ठ होने का उन्हें फायदा मिला. टिकट मिलने के बाद उनकी जीत-हार पर तरह-तरह के कयास लगाए गए मगर मोदी लहर ने उनकी नैया पार लगा दी. शेखावत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. वे बड़े अंतर से चुनाव जीते.

सांसद बनने के बाद शेखावत की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ता गया. पहली बार जीतने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया. शेखावत को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भी करीबी माना जाता है. इतना सब होने के बावजूद वे पांच साल में जोधपुर को कोई बड़ी सौगात नहीं दे पाए. इसका मलाल जोधपुर के उन मतदाताओं को भी है जो शेखावत कों पसंद करते हैं. यदि लोकसभा चुनाव में विकास के मुद्दे पर जोधपुर मुखर हुआ तो शेखावत को परेशानी हो सकती है.

कांग्रेस इस बात को कुरेदने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब भी जोधपुर आते हैं वे सांसद रहते हुए करवाए गए विकास कार्यों को गिनाते हैं. गहलोत तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से जोधपुर को एनएलयू, आईआईटी, निफ्ट और एफडीडीआई की सौगात देने का दावा करते हैं. गहलोत यह पूछने से भी नहीं चूकते कि पिछले पांच साल में यहां के सांसद से जोधपुर को क्या मिला. मुख्यमंत्री के इस सवाल का बीजेपी नेताओं के पास कोई जवाब नहीं होता.

जिस समय गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तब जोधपुर की सबसे बड़ी मांग एयरपोर्ट विस्तार की थी. हालांकि शेखावत ने एयरपोर्ट विस्तार के लिए भरसक प्रयास किए, लेकिन इसके बावजूद यह प्रोजेक्ट आकार नहीं ले पाया. शेखावत के पास अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने के नाम पर भगत की कोठी रेलवे स्टेशन का विस्तार और एम्स अस्पताल के विस्तार के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है.

जोधपुर को बड़ी सौगात के मुद्दे को किनारे कर चुनावी समीकरणों पर गौर करें तब भी गजेंद्र सिंह शेखावत की राह आसान नहीं दिखती. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राजपूत बाहुल्य माने जानी वाली शेरगढ़ ओर लोहावट सीटों के साथ-साथ जोधपुर शहर सीट पर भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यानी परंपरागत तौर पर बीजेपी के साथ रहने वाला तबकों ने भी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट नहीं दिया. यदि यही ट्रेंड लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा तो शेखावत की चुनावी गाड़ी अटकना तय समझिए.

कांग्रेस ने जिस तरह की सोशल इंजीनियरिंग विधानसभा चुनाव में दिखाई थी, उसी तरह की बिसात इस बार भी बिछा दी तो गजेंद्र शेखावत की राह काफी मुश्किल हो सकती है. शेखावत भी शायद इस सियासी सच्चाई को समझते हैं. यही वजह है कि चुनाव प्रचार के दौरान वे अपने नाम से कम बल्कि नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगते नजर आ रहे हैं. शेखावत हर सभा में इस बात को जरूर कहते हैं कि देश की सभी लोकसभा सीटों पर केवल नरेंद्र मोदी उम्मीदवार हैं. जोधपुर से मैं नहीं, मोदी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि शेखावत एक बार फिर मोदी के नाम का सहारा लेकर चुनावी वेतरणी को पार कर पाते हैं या नहीं.

आज मेरठ से प्रचार का आगाज करेंगे मोदी, रुद्रपुर और जम्मू में भी रैलियां

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लोकसभा चुनाव के रण में भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की आज से एंट्री हो रही है. वे के मेरठ शताब्दी नगर माधवकुंज मैदान से प्रचार अभियान का आगाज करेंगे. वे यहां पार्टी प्रत्याशी और मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल के पक्ष में रैली करेंगे. इसके बाद मोदी उत्तराखंड के रुद्रपुर और जम्मू में चुनावी सभाएं करेंगे. इन सभी जगहों पर पहले चरण में 11 अप्रेल को मतदान होना है.

आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रचार की शुरुआत मेरठ के शताब्दी नगर माधवकुंज मैदान से की थी, जिसमें भारी भीड़ जुटी थी. इसमें मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 10 लोकसभा सीटों से कार्यकर्ता शामिल हुए थे. बीजेपी ने इन 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2017 में हुए यूपी विधानसभा के चुनाव में भी मोदी ने इस मैदान पर रैली की थी.

मोदी मेरठ में सभा से सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरपुर, बिजनौर, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सीट को भी साधने का प्रयास करेंगे। इन सीटों पर पहले चरण में ही मतदान है. रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मेरठ पहुंच चुके हैं. उन्होंने पार्टी से नाराज नेताओं को भी मनाने की कोशिश की. शाह ने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि हर बूथ पर भाजपा के लिए कम से कम 51 फीसदी वोट सुनिश्चित करें।.

पीएम मोदी शुक्रवार को ओडिशा के कोरापुट, तेलंगाना के महबूबनगर और आंध्रप्रदेश के करनूल में रैलियां करेंगे. गौरतलब है कि चुनाव आयोग की ओर से 10 मार्च को सात चरणों में चुनाव की घोषणा करने के बाद मोदी ने प्रचार अभियान शुरू नहीं किया है. हालांकि वे पहले कई रैलियों को संबोधित कर चुके हैं.

‘धर्म युद्ध में पटनायक महाभारत के युधिष्ठिर और प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं’

करीब 30 साल तक बीजेपी के साथ रहे सुभाष चौहान ने बीजेडी का दामन थाम लिया है. बीजेडी में उनका स्वागत करते हुए नवीन पटनायक ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि पश्चिमी ओडिशा के एक वरिष्ठ नेता हमसे जुड़े। मैं चौहान का स्वागत करता हूं और उनके शामिल होने से हमारी पार्टी को आगे मजबूती मिलेगी.’ वहीं, चौहान ने मोदी सरकार के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि धर्म युद्ध में मैं नवीन पटनायक के साथ हूं. वह महाभारत के युधिष्ठिर जैसे हैं जबकि धर्मेन्द्र प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं.

‘धर्म युद्ध में मैं नवीन पटनायक के साथ हूं.वह महाभारत के युधिष्ठिर जैसे हैं जबकि धर्मेन्द्र प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं.’
— सुभाष चौहान

मिशन शक्ति से जुड़े वैज्ञानिकों से लाइव कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने यह संदेश दुनिया को दिया है कि हम किसी से कम नहीं हैं. बता दें कि आज भारत ने मिशन शक्ति के तहत अंतरिक्ष से अंतरिक्ष में मार करने वाली एंट्री मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. भारत ऐसी स्पेस पावर रखने वाली दुनिया की चौथी शक्ति बन गया है.

आपने दुनिया को संदेश दिया कि हम भी किसी से कम नहीं हैं
– नरेंद्र मोदी

देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने मिशन शक्ति के तहत अंतरिक्ष से अंतरिक्ष में मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ऐसी स्पेस पावर हासिल करने वाला भारत दुनिया की चौथी महाशक्ति बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस व चीन को यह तकनीक हासिल थी. मोदी ने कहा कि स्वदेसी यह तकनीक केवल 130 करोड़ देशवासियों की सुरक्षा के लिए लाई गई है.

यूपीए ने आगे बढ़ने नहीं दिया, पीएम मोदी ने साहस दिया
– पूर्व डीआरडीओ चीफ

मिशन शक्ति की प्रशंसा करते हुए पूर्व डीआरडीओ प्रमुख डॉ.वीके सारस्वत ने यूपीए—कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा में साथ न देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब इस तरह की चर्चाएं हुईं, हमने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में प्रस्तुतियां दीं लेकिन दुर्भाग्य से हमें यूपीए से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली इसलिए हमने नहीं किया। पीएम मोदी ने साहस दिया.

पीएम मोदी को विश्व रंगमंच दिवस की शुभकामनाएं
– राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यह बयान पूरे दिन मीडिया पर छाया रहा. एक तरफ तो राहुल गांधी ने डिफेंस रिसर्च डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के काम की तारीफ करते हुए कहा कि हमें DRDO के काम पर बेहद गर्व है. वहीं प्रधानमंत्री को विश्व रंगमंच दिवस शुभकामनाएं देते हुए तंज भी कस दिया.

मिशन शक्ति की चुनाव आयोग में शिकायत करेंगे
– ममता बनर्जी

पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने तीखे अंदाज में कहा कि चुनाव के समय मोदी को क्रेडिट लेने के लिए आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन करने की क्या जरूरत थी. क्या वह वहां काम करता है. क्या वह अंतरिक्ष जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वैज्ञानिकों को इसकी घोषणा करनी चाहिए थी. यह उनका श्रेय है। यह वैज्ञानिकों का विशेषाधिकार है. हम चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे.

हाथ के साथ हनुमान बेनीवाल

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