होम ब्लॉग पेज 3275

राजस्थान: जोधपुर में गर्माया ‘स्थानीय’ का मुद्दा, एक-दूसरे पर बाहरी होने का तंज

देश में होने वाले आम चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों का अपना महत्व होता ही है लेकिन राजस्थान की सबसे हॉट सीट जोधपुर में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही इस बार स्थानीय होने का मुद्दा काफी गर्मा रहा है. हालांकि इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वैभव गहलोत और बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत दोनों ही प्रत्याशियों की जन्मभूमि जोधपुर नहीं है. इसके बावजूद दोनों अपने आप को स्थानीय बताने के लिए अलग-अलग दलीलें पेश कर रहे हैं. जोधपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह को फिर एक बार मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों को दरकिनार करते हुए प्रदेश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को चुनावी मैदान में उतारा है.

एक अप्रैल को जब वैभव गहलोत जोधपुर आए तो बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शेखावत ने तंज कसते हुए कहा कि प्रवासी (बाहरी) का जोधपुर में स्वागत है. शेखावत की ओर से वैभव गहलोत को बाहरी बताए जाने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता भी आक्रामक नजर आ रहे हैं. इसके बाद तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गजेंद्र सिंह को ही बाहरी प्रत्याशी बताना शुरू कर दिया है. वैसे देखा जाए तो वैभव और गजेंद्र सिंह दोनों की जन्मभूमि जोधपुर नहीं है.

बात करें गजेंद्र सिंह शेखावत की तो वह मूल रूप से सीकर जिले के मेहरोली से हैं. उनका जन्म जैसलमेर में हुआ था. उनके स्कूली शिक्षा बीकानेर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में हुई थी. कॉलेज शिक्षा जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में हुई और यही से उन्होंने छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हुए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने के बाद शेखावत ने जोधपुर संभाग के अलग-अलग जिलों में संगठनात्मक दृष्टि से काम किया और इसी को आधार बनाते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत अपने आप को जोधपुर का साबित कर रहे हैं.

बात की जाए वैभव गहलोत की तो उनका जन्म जयपुर में हुआ. स्कूल शिक्षा दिल्ली तो उच्च शिक्षा पूना में हुई. वैभव लंबे समय से जयपुर में ही रह रहे हैं लेकिन 2003 के बाद से सभी विधानसभा, लोकसभा और नगर निगम के चुनावों में वैभव गहलोत जोधपुर की राजनीति में सक्रिय नजर आए. खुद वैभव भी अपने हर संबोधन में खुद को जोधपुर का बेटा बताते हुए कहते हैं कि उनके दादा बाबू लक्ष्मणसिंह में जोधपुर की सेवा की और उसके बाद उनके पिता अशोक गहलोत पिछले 40 वर्षों से जोधपुर की जनता के बीच रहकर कार्य कर रहे हैं. गजेंद्र सिंह के तंज का जवाब देते हुए वैभव गहलोत कहते हैं कि उन्हें प्रवासी बताने वाले पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि वह स्वयं कहां से आए हैं.

खैर, कौन प्रवासी है, यह मुद्दा तो चुनावी है लेकिन इस बार जोधपुर में दोनों ही पार्टियों के बीच मुकाबला बेहद कड़ा है. यह सीट अशोक गहलोत के होने से कांग्रेसी गढ़ है और वैभव खुद अपने पिता के नाम पर वोट मांग रहे हैं. वहीं गजेंद्र सिंह को भी इस बात का अहसास है और वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों एक-एक वोट को अपने पक्ष में करने के लिए दमखम लगा रहे हैं. ज्यो-ज्यो चुनाव की तारीख नजदीक आती जाएगी, जबानी हमले तो तेज होंगे ही लेकिन प्रवासी और स्थानीय का यह मुद्दा अपनी गर्माहट बनाए रखेगा.

सुमित्रा महाजन नहीं लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, पार्टी को पत्र लिखकर किया मना

PoliTalks news

लोकसभा स्पीकर और आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन ने बीेजेपी के एक पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया। उनके अनुसार, बीजेपी उनके टिकट को लेकर असमंजस में है और उन्हें निर्णय लेने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया है कि अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि अब असमंजता की स्थिति समाप्त हो गई है और पार्टी को इंदौर सीट पर जल्द नाम तय करना चाहिए.

अपने पत्र की शुरूआत करते हु सुमित्रा महाजन ने लिखा है, ‘भारतीय जनता पार्टी ने आज दिनांक तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. संभव है कि पार्टी को​ निर्णय लेने में संकोच हो रहा है. हालांकि मैंने पार्टी में वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा थी और निर्णय उन्हीं पर छोड़ा था. लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजसता है. इसलिए मैं घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना है. अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करें, नि:संकोच होकर करे.

PoliTalks news

बता दें, 75 वर्षीय सुमित्रा इंदौर से 1989 से लगातार जीत रही हैं. वह यहां से 8 बार सांसद रह चुकी हैं और ताई के नाम से पॉपुलर हैं. इंदौर में बीजेपी 30 साल से अजेय रही है. अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस सिर्फ चार बार जीत सकी है. इंदौर लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने 4-4 सीटें जीती थीं।

महाजन के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद टिकट पाने वाले दावेदारों में भाजपा के बंगाल प्रभारी व पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और तीन बार से विधायक मालिनी गौड़ का नाम सबसे आगे है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी लोकसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा जा​हिर की थी. उमा भारती के इनकार करने के बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है.

अगले हफ्ते आएगा BJP का घोषणा पत्र, तीन बड़ी घोषणाओं पर रहेगा फोकस

PoliTalks news

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तो अपना चुनावी घोषणा पत्र ‘जन आवाज पत्र’ घोषित कर दिया है लेकिन बीजेपी के घोषणा पत्र का फिलहाल इंतजार है. चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया है कि राजनीतिक दलों को चुनाव के कम से कम 48 घंटे पहले अपना घोषणा पत्र जारी करना होगा. ऐसे में बीजेपी सोमवार या फिर मंगलवार तक हर हाल में घोषणा पत्र जारी कर देगी. 11 अप्रैल से देश के 20 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में पहले चरण के मतदान होंगे.

बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र ‘संकल्प पत्र’ के लिए केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है. घोषणा पत्र तैयार करने वाली इस समिति में कुल 20 सदस्य हैं. समिति के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा पार्टी के और भी कई दिग्गज हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्यूनतम आय गारंटी योजना और किसानों के लिए अलग बजट की घोषणा के बाद बीजेपी अपने चुनावी मसौदे के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. सूत्रों के अनुसार, भाजपा अपने घोषणापत्र में कुछ बड़े वादे करने वाली है. इन वादों में तीन प्रमुख घोषणाओं पर बीजेपी का फोकस रहेगा.

न्यूनतम आय गारंटी इनकम योजना

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के घोषणा पत्र में न्यूनतम आय गारंटी यानि ‘न्याय’ योजना को शामिल किया है. इसके तहत प्रतिवर्ष 72 हजार रुपये गरीब लोगों के खाते में जमा कराए जाएंगे. जनता के गरीब तबके के हिसाब से यह एक बड़ी योजना मानी जा रही है. चुनावी ही सही लेकिन यह वादा गरीबों की एक अधुरी इच्छा को पूरी करने जैसा है. ऐसे में बीजेपी के चुनावी मसौदे में ऐसी ही कोई योजना को शामिल किया जाएगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है. पिछली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के खातों में 15 लाख रुपये जमा कराने का वादा किया था. हालांकि इस बात पर किस तरह लागू किया जाएगा, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण अब तक नहीं हुआ है.

किसानों की आर्थिक सहायता में बढोतरी

कांग्रेस के घोषणा पत्र में किसानों के लिए अलग बजट और ऋण न चुकाने वाले किसानों को अपराधिक केस दर्ज न कराए जाने जैसे कई बातों को शामिल किया गया है. 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कृषि ऋण माफी के बारे में भी कहा था और राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनते ही ऋण माफी पर कार्य किया. राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे ने भी किसानों का 50 हजार रुपये तक का फसली ऋण माफी की घोषणा की थी. अब बीजेपी को भी किसानों पर फोकस करने वाली कोई चुनावी स्कीम लानी पड़ेगी. हालांकि अंतरिम बजट में घोषित प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये की सालाना मदद का प्रावधान रखा गया था लेकिन विपक्ष ने यह कहकर योजना पर निशाना साध दिया कि यह रकम संकट में फंसे किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है.संभावना यही है कि बीजेपी के घोषणा पत्र में किसानों को पूरी तरह से संतुष्ठ करने की कोशिश रहेगी.

रोजगार सृजन और युवाओं पर रहेगा ध्यान

पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने देश में लाखों की संख्या में रोजगार लाने का वादा किया था लेकिन आंकड़े नहीं रख पाए. यहां तक की युवा रोजगार से पर्दा उठ नहीं पाया. विपक्ष लगातार इस पर निशाना साध रहा है. नोटबंदी के बाद रोजगार तो नहीं लेकिन बेरोजगारी जरूर बढ़ गई. ऐसे में युवा तबका केंद्र सरकार से खासा नाराज है. कांग्रेस ने घोषणा पत्र में अगले दो सालों में 22 लाख सरकारी पद भरने और 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायत में रोजगार उपलब्ध कराने के अलावा मनरेगा के तहत 150 दिन की रोजगार गारंटी की पेशकश की है. युवाओं के नजरिए से यह रोजगार से भरी घोषणा है. अब नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी को भी ऐसी ही कुछ बड़ी रोजगारोन्मुख योजना लानी होगी. बीजेपी किसी भी तरह से युवाओं की बड़ी तादात की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहेगी.

राजस्थान: गुर्जर व अन्य जातियों के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का रोक से इनकार

PoliTalks news

प्रदेश में गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण का मामले में सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली है. राजस्थान में गुर्जरों सहित अन्य 5 जातियों को पांच फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश है और कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा. बता दें, राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गुर्जर आरक्षण मामले में नोटिस तो जारी किया लेकिन आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम-2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों गाड़िया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के बारे में याचिकाकर्ता ने दलील दी कि राज्य सरकार द्वारा गुर्जर सहित अन्य जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य में आपात परिस्थितियों को हवाला दिया है जबकि राज्य में ऐसी कोई विषम परिस्थितियां ही नहीं थीं. गुर्जर आंदोलन कर रहे थे और राज्य सरकार ने मजबूरी में उन्हें आरक्षण दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत की सीलिंग से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा रखी थी. ऐसे में एक प्रतिशत आरक्षण ही देय था और वह दिया भी जा रहा था लेकिन राज्य सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 में गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात का हवाला देकर दिया है. संविधान के अनुसार जनगणना के आधार पर आरक्षण देय नहीं है.

 

 

मध्यप्रदेश: मतदान से पहले ही इन पांच सीटों पर हार मान चुकी है कांग्रेस

Politalks News

मध्य प्रदेश में 29 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने मतदान से पहले ही हार मान ली है. इसकी बड़ी वजह इन सीटों पर सपा-बसपा का जनाधार है. पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर सपा और बसपा ने कांग्रेस का खेल खराब कर दिया था. इस बार यह नुकसान और ज्यादा होने की के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि सपा-बसपा एक साथ मैदान में हैं. कांग्रेस के नेता दबे हुए स्वर में यह स्वीकार करते हैं कि मायावती और अखिलेश यादव के गठबंधन को मध्यप्रदेश में जितने भी वोट मिलेंगे यह उनके वोट बैंक में सेंधमारी होगी.

2014 के चुनाव नतीजों को आधार बनाएं तो मध्यप्रदेश की मुरैना, रीवा, सतना, बालाघाट और ग्वालियर सीट पर कांग्रेस को सपा-बसपा के गठबंधन से खतरा है. ये पांचों सीटें उत्तर प्रदेश से सटी हुई हैं और यहां बसपा और सपा समर्थकों की कमी नहीं है. विशेष तौर पर मायावती के समर्थक इन सीटों पर काफी संख्या में हैं. हालांकि बसपा का मध्य प्रदेश में लोकसभा सीटें जीतने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. 2009 में बसपा ने एक सीट जीती थी जबकि 1996 में 2 और 1991 में एक सीट पर फतह हासिल की. सपा ने अभी तक मध्यप्रदेश में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं की है.

2014 के लोकसभा चुनाव में सूबे की मुरैना सीट पर बसपा के प्रत्याशी वृंदावन सिंह सिकरवार दूसरे नंबर पर रहे. बीजेपी प्रत्याशी अनूप मिश्रा इस सीट से महज 1,32,981 वोट से जीते जबकि कांग्रेस के गोविंद सिंह को 1,84,253 वोट मिले. रीवा सीट पर बसपा ने कांग्रेस का खेल खराब किया. बसपा के प्रत्याशी देशराज सिंह पटेल को 1,75,567 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सुंदरलाल तिवारी 1,68,726 वोटों से हारे.

सतना सीट पर कांग्रेस 2014 के चुनाव में सबसे कम अंतर से हारी थी. पार्टी के उम्मीदवार अजय सिंह को बीजेपी के गणेश सिंह ने 8,688 वोट से हराया जबकि इस सीट पर बसपा के प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह तिवारी ने 1,24,602 वोट हासिल किए. बालाघाट सीट की बात करें तो 2014 के चुनाव में कांग्रेस की हिना कावरे यहां से 96,041 वोट से हारीं जबकि सपा प्रत्याशी अनुभा मुंजारे को 99,395 वोट मिले. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह को बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर के मुकाबले 29,700 वोट कम प्राप्त हुए जबकि बसपा के आलोक शर्मा को 68,196 वोट मिले.

हालांकि कांग्रेस इससे इंकार करती आ रही है प्रदेश में सपा और बसपा का गठजोड़ उसे कोई नुकसान पहुंचाएगा. इसके पीछे वे यह तर्क देते हैं विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बसपा और सपा के साथ गठबंधन नहीं किया फिर भी पार्टी का जीत हासिल हुई. कांग्रेस नेताओं का दावा है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की जीत होगी.

 

कमलनाथ के मंत्री का लालच ऑफर! ‘बूथ जिताओ, नौकरी पाओ’

लोकसभा चुनावों में कार्यकर्ताओं को चुनाव और प्रत्याशियों से जोड़ने के लिए मंत्री क्या कुछ नहीं करते. यह बात मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के एक मंत्री पर सटीक बैठती है. मंत्री महोदय ने भोपाल में आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को ‘बूथ जिताओ नौकरी पाओ’ लालच भरा ऑफर देते हुए चुनाव में जुट जाने का आव्हान किया. मंत्री पीसी शर्मा सरकार में जनसंपर्क मंत्री हैं.

शर्मा नर्मदीय भवन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं सम्मेलन में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल से कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. असल में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 22 लाख नौकरियां देने का वादा किया है. लगता है, पीसी शर्मा इसी वादे को लोकसभा चुनाव में भुनाने का प्रयास कर रहे हैं. बता दें, पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेा में केवल दो सीटों पर सिमट गई थी.

दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर दक्षिण पश्चिम विधान सभा के कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई गई थी. यहां पर कांग्रेस के भोपाल लोकसभा प्रत्याशी दिग्विजय सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा, कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल समेत भोपाल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष कैलाश मिश्रा शामिल हुए थे. कमलनाथ के मंत्री के इस नारे पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बीजेपी ने इस पर आपत्ति जताई है. भाजपा नेताओं के अनुसार कांग्रेस नेता का इस तरह के नारे लगाना या लालच देना आचार संहिता का उल्लंघन है.

‘किस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं पंडित जवाहर लाल नेहरू, उन्हीं को वोट दूंगी’

PoliTalks news

वैसे तो सोशल मीडिया पर केवल ट्रोलिंग का फंडा ही चलता है लेकिन कई बार जान-बूझकर दिया गया बयान भी जमकर सुर्खियां बटोर लेता है. सोशल मीडिया पर अपनी बात बेबाकी से रखने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने आज कुछ ऐसा ही किया जिसके चलते वह ​मीडिया में छायी रहीं. दरअसल उन्होंने अपने बयान से मौजूदा राजनीतिक हालातों पर करारा तंज कसा है. लोकसभा चुनाव को लेकर दिया गया उनका यह बयान खूब वायरल हो रहा है. वहीं एक्टर केआरके ने प्रधानमंत्री मोदी पर सोशल मीडिया के जरिए वार किया.

@ReallySwara

@kamaalrkhan

@kunalkamra88

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat