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हरियाणा: गनौर विधानसभा क्षेत्र से कौन मारेगा बाजी?

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग की तरफ से जल्द की जा सकती है. संभावना जताई जा रही है कि चुनाव आयोग सितंबर और अक्टूबर के महीने में हरियाणा में विधानसभा चुनाव करवा सकता है. पॉलिटॉक्स न्यूज ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एक विशेष कार्यक्रम शुरु किया है. जिसमें हम आपको रोज एक नए विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिर्पोट से अवगत करवाते है. आज हम बात करेंगे हरियाणा की गनौर विधानसभा सीट की.

गनौर विधानसभा क्षेत्र सोनीपत जिले के अन्तर्गत आता है. भारत के गौरवशाली इतिहास में इस इलाके काफी योगदान है. दिलचस्‍प बात यह है कि पानीपत की तीनों लड़ाई में सेना युद्ध में भाग लेने के लिए गनौर से गुजरती थी. साथ ही यहां का सतकुंबा मंदिर काफी प्रसिद्ध है. दूरदराज के इलाकों से यहां लाखों भक्‍त मंदिर में पूजा- अर्चना करने आते हैं. इसके अलावा गनौर में इंटरनेशनल सब्‍जी मंडी भी है. गनौर में मौजूद बाबा जिंदा का मंदिर काफी मशहूर है.

राजनीतिक इतिहासः

गनौर विधानसभा सीट 2009 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. पहले यह क्षेत्र कैलना विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता था. गनौर सीट से पहला चुनाव कांग्रेस के कुलदीप शर्मा ने जीता. उन्होंने चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल के कृष्ण गोपाल त्यागी को मात दी. गनौर सीट से चुनाव जीते कुलदीप शर्मा को 2009 की विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया था.

2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर कुलदीप शर्मा पर दांव खेला. इस बार इनेलो की तरफ से निर्मल रानी को चुनाव मैदान में उतारा गया. बता दें कि 2009 के विधानसभा चुनाव में निर्मल रानी ने हरियाणा जनहित कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ा था. कुलदीप शर्मा एक बार फिर चुनाव जीतने में कामयाब हुए. उन्होंने इनेलो की निर्मल रानी को लगभग आठ हजार मतों से मात दी थी. बीजेपी प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह मलिक तीसरे नंबर पर रहे.

सामाजिक समीकरणः

गनौर विधानसभा सीट सोनीपत जिले के अन्तर्गत आती है. गनौर विधानसभा सीट में जाट समाज बहुतायात में है. वहीं ब्राह्मण समाज की भी इस क्षेत्र में अच्छी-खासी तादाद है. कुलदीप शर्मा की जीत के पीछे कारण जाट-ब्राह्मण समुदाय का उनके पक्ष में होना है.

कुलदीप शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा के काफी नजदीकी माने जाते है. हुड्डा का प्रभाव हरियाणा के रोहतक और सोनीपत जिले में बहुत ज्यादा है. हालांकि हुड्डा का प्रभाव तो पूरे हरियाणा में ही है, लेकिन इन दो जिलों में हुड्डा की पकड़ दूर से ही नजर आती है. यह हुड्डा की पकड़ का ही असर था कि जब पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पुरे राज्य में बुरी तरह हारी, लेकिन रोहतक और सोनीपत जिले में उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था.

2019 विधानसभा चुनावः

विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियों ने प्रत्याशी चयन की प्रकिया शुरु कर दी है. पार्टियों के वरिष्ठ नेता इलाकों में अपने मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में लग गए है. कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन में कोई समस्या नहीं है. पार्टी एक बार फिर कुलदीप शर्मा पर दांव खेलगी. कुलदीप, हुड्डा के करीबी है, तो इसलिए भी उनके टिकट पर कोई संशय नहीं है.

बीजेपी की तरफ से पिछले चुनाव में सोनीपत के पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह मलिक को चुनावी मैदान में उतारा गया था. लेकिन मलिक राज्य में बीजेपी की लहर होने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये थे. बीजेपी यहां पिछले चुनाव में मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ पाई थी. पिछले चुनाव में प्रत्याशी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बीजेपी आलाकमान आगामी विधानसभा चुनाव में किसी नए प्रत्याशी पर दांव लगाने का मन बना रहा है.

बीजेपी के नए प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह कादयान हो सकते है. कादयान हरियाणा के बड़े कारोबारी है. उनकी छवि इलाके में एक मेहनती नेता की है. बता दें कि कादयान पहले कांग्रेस में थे और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद पर कार्यरत थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पूर्व कादयान ने प्रधानमंत्री मोदी में आस्था जताते हुए कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. अब गनौर इलाके में कादयान की पकड़ काफी मजबूत है. बीजेपी चाहेगी कि कादयान की इस मजबूत पकड़ का फायदा वो भी विधानसभा चुनाव में उठाये.

इनेलो अपने अस्तितव को बचाने में जुटी है. पार्टी के विधायक लगातार उसका साथ छोड़कर जा रहे है. इसलिए इनेलो 2014 में प्रत्याशी रही निर्मल रानी को फिर से चुनाव लड़ाने के लिए तैयार नजर आ रही है.

जीत की संभावनाः

गनौर विधानसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य क्षेत्र है, हालांकि यहां ब्राह्मण समुदाय की तादाद भी काफी है. कुलदीप शर्मा इसी समीकरण के कारण पिछले दोनों चुनाव जीतने मे कामयाब हुए है, लेकिन कुलदीप शर्मा के लिए इस बार का चुनाव आसान नहीं होने वाला है. पहला कारण तो यह कि सामने जाट प्रत्याशी होगा.

इस कारण जाट वोट उनको पिछले चुनाव की तरह नहीं मिल पायेंगे. नॉन जॉट वोट तो पहले ही जाट आंदोलन में हुई हिंसा के बाद बीजेपी के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है. लोकसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. सोनीपत लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेन्द्र हुड्डा यहां से लगभग 16000 मतों से बीजेपी प्रत्याशी से पिछड़े थे. इन्हीं सभी कारणों को देखते हुए इस बार कुलदीप शर्मा की राह काफी मुश्किल नजर आ रही है.

मोदी सरकार ने तीन बड़े अखबारों को विज्ञापन देना किया बंद

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मोदी सरकार ने तीन बड़े अखबारी समूहों के लिए अपने विज्ञापनों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक द टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे कई बड़े प्रकाशन चलाने वाला टाइम्स ग्रुप, द टेलीग्राफ का प्रकाशक एबीपी ग्रुप और द हिंदू अखबार को अब केंद्र सरकार के विज्ञापन नहीं मिलेंगे. टाइम्स ग्रुप का स्वामित्व रखने वाली बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी के एक अधिकारी ने कहा है कि ऐसा सरकार के कुछ रिपोर्टों के चलते नाराज होने की वजह से हो सकता है. आपको बता दें कि टाइम्स ग्रुप के कुल विज्ञापनों का 15 फीसदी हिस्सा सरकारी विज्ञापनों से आता है.

एबीपी ग्रुप के दो अधिकारियों ने भी कहा है कि पिछले छह महीने से उनको मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों में 15 फीसदी की गिरावट आई है. नाम न छापने की शर्त पर उसके एक अधिकारी का कहना था, ‘जब आप सरकार के हिसाब से नहीं चलते और कुछ भी उसके खिलाफ लगते हैं तो जाहिर है कि वे आपको विज्ञापन बंद करके ही इसकी सजा दे सकते हैं.’ एक दूसरे अधिकारी का कहना था कि प्रेस की आजादी बनाए रखना जरूरी है और इन चीजों के बावजूद वह बनाए रखी जाएगी.

द हिंदू अखबार को भी बीते कुछ महीनों के दौरान सरकार से मिलने वाले विज्ञापनों की संख्या में गिरावट आई है. बताया जाता है कि बीते फरवरी से हुआ जब इसने रफाल सौदे पर कथित भ्रष्टाचार की खबरें छापीं. कांग्रेस ने सरकारी विज्ञापनों पर रोक की आलोचना की है. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया. उनका कहना था, ‘सरकार इससे मीडिया को यह संदेश देना चाहती है कि वो उसके हिसाब से चले.’

वहीं, केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है कि वह सरकारी विज्ञापनों को बंद करके मीडिया पर नकेल कसना चाहती है. पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि अखबारों और टीवी चैनलों पर सरकार की खूब आलोचना होती है और यही प्रेस की आजादी का सबूत है. उन्होंने बीजेपी पर प्रेस का गला घोंटने के आरोप को बेतुका बताया.

जम्मु-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध, कांग्रेस ने किया हंगामा

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में जम्मु कश्मीर से संबधित आरक्षण विधेयक पेश किया. शाह ने आरक्षण विधेयक पेश करने से पूर्व सदन में जम्मू.कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा. शाह ने कहा कि दिसंबर, 2018 में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. अब इसकी मियाद दो जुलाई को खत्म हो रही है. शाह ने सदन से आग्रह किया कि जम्मु-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह के लिए और बढ़ाया जाए.

अमित शाह ने सदन को बताया कि रमजान और अमरनाथ यात्रा के कारण चुनाव आयोग अभी चुनाव कराने में असमर्थ है. आयोग ने जम्मु-कश्मीर में साल के अंत में चुनाव करवाने का फैसला किया है. शाह ने बताया कि चुनाव आयोग की तरफ से इन महीनों में पिछले कई दशकों से चुनाव नहीं कराए गए हैं.

अमित शाह के जम्मु-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने के अमित शाह के प्रस्ताव का कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया. कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पीडीपी और बीजेपी की मिलीभगत के कारण ही हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ आपकी कड़ी नीति है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे. हालांकि यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि आतंकवाद के खिलाफ तभी लड़ाई जीती जा सकती है जब उस जगह की आवाम आप के साथ हो.

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राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले पर शिवराज सिंह ने कसा तंज

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले पर तंज कसा है. मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिवराज ने कहा, ‘क्या आप लोग जानते है कि वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष कौन है? हमने हमेशा सुना है कि जब जहाज डूबता है तो कप्तान इसे बचाने के लिए पूरे प्रयास करता है, वह अंत तक उस पर बना रहता है. लेकिन कांग्रेस के कप्तान डूबते जहाज से कूदने वाले पहले व्यक्ति हैं.’ शिवराज सिंह चौहान ने इससे पहले हैदराबाद में भी राहुल गांधी पर ऐसा ही तंज कसा था.

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी सदस्यता अभियान का प्रमुख बनाया गया है. शिवराज इसी कार्यक्रम को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र दौरे पर है. शिवराज ने इस दौरान जानकारी दी कि बीजेपी देश में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जुलाई के महीने में विशेष सदस्यता अभियान चलाएगी. सदस्यता अभियान 6 जुलाई को शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा.

बीजेपी के सदस्यता अभियान में पार्टी का मुख्य ध्यान उन राज्यों पर रहेगा जहां पर पार्टी सत्ता में नहीं है. पार्टी ने इस अभियान को संगठन पर्व का नाम दिया गया है. यह अभियान मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुद्दुचेरी, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम पर केन्द्रित होगा.

जापान में मोदी-ट्रंप के बीच हुई मुलाकात, कई मुद्दों पर हुई बात

जापान के ओसाका में जी-20 सम्मेलन के आगाज से पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात हुई. इसमें मोदी और ट्रंप के बीच अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारत के हाई टैरिफ समेत ईरान, 5-जी, दिपक्षीय संबंध और रक्षा संबंधों पर चर्चा हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद डोनल्ड ट्रंप की बधाई का धन्यवाद दिया. मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध आगे बढ़ते रहें, इसके लिए हम प्रयास करते रहेंगे.

मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने ट्रंप से कहा, ‘ये खुशी की बात है कि आपने लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचंड बहुमत मिलने पर मुझे फोन करके बधाई दी. मैं फिर एक बार आपको धन्यवाद देता हूं. कल आपकी एक चिट्ठी मिली. इससे साफ जाहिर होता है कि भारत के प्रति जो आपका प्यार है, उसको आपने अभिव्यक्त किया है.’ पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘हाल ही में भारत आए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ कई विषयों पर चर्चा हुई. भारत अमेरिका से ईरान, 5जी, दिपक्षीय संबंध और रक्षा संबंध जैसे चार मुद्दों पर बात करना चाहेगा.’

पीएम मोदी के बाद अपने भाषण में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की तरफ से अमेरिका के प्रोडक्टस पर बढ़ाए गए टैरिफ का मुद्दा छेड़ा. ट्रंप ने कहा कि भारत हमारे प्रोडक्ट्स पर बढ़ाए गए टैरिफ वापस ले. ट्रंप ने कहा, ‘हम महान दोस्त बन गए हैं और हमारे देश कभी भी करीब नहीं रहे हैं. मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि हम मिलिट्री सहित कई क्षेत्रों में साथ काम करेंगे. हम आज व्यापार पर चर्चा करेंगे.’ वहीं, ट्रंप ने लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत पर कहा, ‘मुझे याद है जब आपने पहली बार सत्ता संभाली थी, तब कई गुट थे और वे एक-दूसरे से लड़ रहे थे और अब वे साथ हैं. यह आपकी और आपकी क्षमताओं के प्रति सम्मान है.’

नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष बोले- अन्याय के लिए माफी मांगें सोनिया-राहुल

पीवी नरसिम्हा राव के पोते ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोपों को लेकर गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पर पलटवार किया और उनके साथ किए गए ‘अन्याय’ के लिए गांधी परिवार से माफी की मांग की. राव के पौत्र एनवी सुभाष ने कहा कि एआईसीसी के सचिव जी चिन्नारेड्डी का यह बयान कि राव ने अपने कार्यकाल के दौरान नेहरू-गांधी परिवार को ‘दरकिनार’ करने की कोशिश की थी, सच नहीं है.

एनवी सुभाष ने दावा किया कि हर मौके पर सोनिया गांधी को पार्टी की गतिविधियों, सरकार के कदमों, मंत्रिमंडल विस्तार, चुनावी प्रक्रिया, अभियान और विधानसभा चुनावों में टिकटों के आवंटन के बारे में बताया जाता था. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि कई मौकों पर राव व्यक्तिगत रूप से सोनिया गांधी से मिले और उन्हें अवगत कराया.’ सुभाष ने कहा, ‘लेकिन वह न तो राजनीति में दिलचस्पी रखती थीं और न ही चाहती थीं कि उनके बच्चे राजनीति में आएं. ऐसे में परिवार को दबाने का सवाल कहां से उठता है.’

राहुल गांधी के दर्द बयां करने के बाद कमलनाथ ने ली एमपी में हार की जिम्मेदारी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के यूथ कांग्रेस के नेताओं के सामने अपना दर्द बयां करने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि वो इस हार के लिए जिम्मेदार है.

कमलनाथ ने कहा, ‘राहुल गांधी सही है. मैं नहीं जानता कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. लेकिन मैंने पहले इस्तीफे की पेशकश की थी. हां, मैं हार का जिम्मेदार हूं. मुझे दूसरे नेताओं के बारे में पता नहीं है.’ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफा देने पर अड़े रहने के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी सही व्यक्ति हैं. जब उनसे पूछा गया कि राहुल गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष कौन बनेगा, तो उन्होंने कहा कि उनको किसी दूसरे नेता के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की जानकारी नहीं है.

दरअसल, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं राहुल गांधी ने कहा कि मुझे इसी बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दिया. बुधवार को यूथ कांग्रेस के लोग राहुल गांधी के घर के बाहर एकत्रित हुए थे. मकसद था राहुल गांधी इस्तीफा न दें और कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहें. राहुल गांधी के समर्थन में उनके घर के बाहर जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बैठे तो राहुल ने सभी को अपने घर पर आमंत्रित किया और उनसे अपने मन की बात की.

दरअसल बैठक में राहुल गांधी से बातचीत के दौरान यूथ कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि ये सामूहिक हार है सबकी जिम्मेदारी बनती है तो सिर्फ इस्तीफा आपका ही क्यों? राहुल गांधी ने बड़ा मार्मिक जवाब देते हुए कहा, मुझे इसी बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दिया.

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