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ED के बाद CBI ने जारी किया लुकआउट नोटिस, SC में सुनवाई शुक्रवार को

लगता है पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता पी. चिदम्बरम पर आया संकट टलने वाला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत की उम्मीद लगाए पी चिदंबरम को अदालत से राहत तो मिली नहीं बल्कि मुश्किल बढ़ गई है. चिदम्बरम की अग्रिम जमानत की याचिका पर शुक्रवार को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई. वहीं प्रवर्तन निदेशालय के बाद अब CBI ने भी चिदम्बरम को लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है. CBI चिदम्बरम को गिरफ्तार करने का पूरा प्रयास कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता चिदंबरम की याचिका पर तत्काल सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया, अब ये सुनवाई शुक्रवार को होगी. इस बीच प्रवर्तन निदेशालय के बाद अब सीबीआई ने भी चिदंबरम के देश छोड़ने की आशंका के मद्देनजर लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है. ऐसे में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुलकर चिदंबरम के समर्थन में उतर आए हैं. प्रियंका का कहना है कि सरकार चिदंबरम का चरित्र हनन कर रही है, वहीं राहुल गांधी ने कहा कि सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एन.वी.रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बुधवार को चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतिम राहत देने से इनकार कर दिया है. इस याचिका में चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में खामियों को अभी-अभी दुरुस्त किया गया है और इसे तत्काल सुनवाई के लिए आज सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता.

न्यायाधीश वी रमण, न्यायाधीश शांतनगौडर और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा है कि याचिका को सूचीबद्ध किए बिना मामले पर सुनवाई नहीं गो सकती है. चिदंबरम का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले पर आज ही सुनवाई करने की मांग दुबारा उठाई तो पीठ ने कहा, ‘माफ कीजिए श्रीमान सिब्बल, हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते.’ न्‍यायाधीश रमना ने कहा कि याचिका को आज लिस्टिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता, उन्हें कल सुबह तक इंतजार करना होगा. मतलब, अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए अब चिदंबरम को गुरुवार यानि कल सुबह तक इंतजार करना होगा. ऐसे में चिदंबरम के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार अभी भी लटकी हुई है.

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम की गिरफ्तारी से राहत मांगने वाली याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है. अब कोर्ट कैविएट दायर करने वालों का पक्ष सुने बिना मामले में कोई फैसला नहीं सुना सकता है. इधर, प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम के खिलाफ फ्रेश लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है. इससे चिदंबरम की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सीबीआई लगातार चिदंबरम की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है.

सीबीआइ द्वारा जारी किए गए लुकआउट नोटिस पर भी चिदम्बरम के वकील और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया. उन्‍होंने कहा, ‘मेरे क्लाइंट कहीं भाग नहीं रहे और न ही कहीं छुपे हैं. इसके बावजूद उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया. सीबीआइ ने उनके घर के बाहर नोटिस भी चस्पा किया है.’ बता दें कि ईडी की टीम मंगलवार शाम को चिदंबरम के घर पहुंची थीं, लेकिन चिदंबरम अपने घर पर नहीं मिले. इसके अलावा सीबीआई की टीम भी उनके घर पर मंगलवार शाम को गई थी, उनके घर पर नहीं मिलने पर सीबीआई ने उनके घर के बाहर दो घंटे में पेश होने का नोटिस लगा दिया था, लेकिन चिदम्बरम सामने नहीं आये. बुधवार सुबह सीबीआइ की टीम उनके घर फिर पहुंची, लेकिन बुधवार सुबह भी सीबीआई टीम को निराश ही लौटना पड़ा.

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बाद अब कांगेस नेता राहुल गांधी भी पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बचाव में उतर आए हैं. राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. राहुल ने कहा कि सरकार चिदंबरम के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. राहुल गांधी ने लिखा, ‘मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और मीडिया का गलत इस्तेमाल कर पी चिदंबरम की छवि को नुकसान पहुंचा रही है. मैं मोदी सरकार के द्वारा सत्ता के इस गलत इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता हूं.’

इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, हम पी चिदंबरम के साथ खड़े हैं और सच्चाई के लिए लड़ते रहेंगे फिर चाहे फैसला कुछ भी हो. प्रियंका गांधी ने इस दौरान पी चिदंबरम के राजनीतिक जीवन और केंद्रीय मंत्री रहते हुए उनके योगदान की तारीफ की. कांग्रेस महासचिव ने ये भी लिखा कि चिदंबरम केंद्र सरकार की असफलताओं को उजागर करते रहे हैं, इसलिए वह अब उनके निशाने पर हैं.

चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर जयपुर-अलीगढ़ वोल्वो बस शुरू

अगर कोई यह कहे कि गहलोत सरकार ठीक से काम नहीं कर रही है, तो वह गलत है. सरकार कोई सी भी हो, यह आरोप आम तौर पर लगता रहता है कि वह मांगें मंजूर नहीं करती या बहुत ही धीमी गति से उसके फैसले होते हैं. लेकिन कई बार कुछ मांगें आश्चर्यजनक रूप से विद्युत गति से पूरी की जाती है, यह उदाहरण जयपुर में मंगलवार को दिखा. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सुबह अलीगढ़ के लिए वोल्वो शुरू करने के आदेश दिए और दोपहर करीब ढाई-तीन बजे उन्होंने सिंधी कैंप पहुंचकर बस को हरी झंडी दिखा दी.

यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अलीगढ़ के लिए वोल्वो चलाने की मांग किसने की थी, लेकिन खाचरियावास ने कहा कि मांग की गई थी, इसलिए बस चलाने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि हमारी पार्टी के सह प्रभारी विवेक बंसल भी अलीगढ़ के हैं. उनके क्षेत्र से भी बस की मांग की जा रही थी. बस भरतपुर आगरा, मथुरा होते हुए अलीगढ़ पहुंचेगी. इससे यात्रियों को लाभ होगा. इस तरह तत्काल बस सेवा शुरू करते हुए खाचरियावास ने विवेक बंसल के सामने अपने नंबर बढ़वा लिए हैं. गहलोत सरकार को पायलट ने चुनौती देना शुरू कर दिया है, जिससे हो सकता है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन हो जाए. यह सब कांग्रेस हाईकमान पर निर्भर है. इस परिस्थिति में खाचरियावास ने बंसल का दिल खुश करके कोई सी भी सरकार बने, मंत्रिमंडल में अपनी सीट पक्की कर ली है.

खाचरियावास ने यह नहीं बताया कि जयपुर से अलीगढ़ से बस चलाने की मांग किसने की थी. बस चलाने की मांग अलीगढ़ के लोग कर रहे थे, यह माना जा सकता है, लेकिन जयपुर से अलीगढ़ रोजाना कितने लोगों का आना जाना है और यह वोल्वो बस सेवा शुरू होने से पहले वे किस तरह अलीगढ़ पहुंचते थे? अगर अलीगढ़ के लोगों का जयपुर बहुत आना-जाना है तो वे उत्तर प्रदेश सरकार से भी मांग कर सकते थे. बंसल ने खाचरियावास से बस चलाने को कहा होगा, उन्होंने तुरंत चला दी, क्योंकि वह राजस्थान के परिवहन मंत्री हैं.

क्या अलीगढ़ के लिए बस चलाना इतना जरूरी था कि चट मंगनी पट ब्याह की कहावत चरितार्थ करनी पड़ी. मांग की गई, पता नहीं, लेकिन परिवहन मंत्री ने मंगलवार सुबह आदेश दिए. राज्य परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया. अधिकारियों ने दोपहर एक बजे डीलक्स डिपो को सूचना दी. इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से औपचारिक रूप से बस रवाना करने के कार्यक्रम की तैयारियां शुरू हो गई. तमाम अधिकारी सब काम छोड़कर इस काम में लगे. रोडवेज एमडी शुचि शर्मा, कार्यकारी निदेशक संचालन यूडी खान सहित जयपुर में मौजूद सभी वरिष्ठ रोडवेज अधिकारी सिंधी कैंप बस स्टैंड पहुंच गए थे.

तुरंत वोल्वो बस का इंतजाम नहीं हो पाया तो खाचरियावास को देरी की सूचना दी गई. करीब सवा दो बजे खाचरियावास सिंधी कैंप पहुंचे. कार्यक्रम में खाचरियावास के साथ कांग्रेस के सह प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे. खाचरियावास के साथ उन्होंने भी बस को हरी झंडी दिखाई. कार्यक्रम में सरकार का जबर्दस्त अलीगढ़ प्रेम दिखा. बस शुरू तो कर दी, लेकिन यात्री कोई नहीं था. रोडवेज के अधिकारी सिंधी कैंप बस स्टैंड में यात्रियों को खोजने लगे कि जिसे अलीगढ़ की तरफ जाना हो, उसे बस में बैठा दें. एक यात्री ने मथुरा का टिकट लिया था. उसे बस में बैठाया गया. एक यात्री के साथ विवेक बंसल भी बस में बैठे और बस रवाना हो गई.

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जयपुर-अलीगढ़ वोल्वो बस अब नियमित रूप से चलेगी. यह बस जयपुर से रात 11 बजे रवाना होगी, सुबह पांच बजे अलीगढ़ पहुंचेगी. अलीगढ़ से दोपहर 12.30 बजे बस रवाना होगी और शाम पांच बजे जयपुर पहुंचेगी. सवाल यह भी उठ रहा है कि बस रवाना होने का जो समय तय किया गया है, उससे अलग हटकर दोपहर ढाई बजे बस रवाना क्यों की गई? रोडवेज के कार्यकारी निदेशक संचालन यूडी खान ने कहा कि बस चलाने के बारे में मंत्री ने पहले से बता रखा था. मंगलवार सुबह आदेश दिए गए थे. विवेक बंसल ने कहा कि मैं पार्टी कार्यक्रम में आया था, जहां मंत्री से मांग की गई. इससे पहले भी अलीगढ़ की जनता की जरूरत को देखते हुए बस की मांग की थी. इससे रोडवेज को फायदा होगा.

सांगानेर के भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि कांग्रेस लगातार सरकार को इस तरह चला रही है, जैसे कांग्रेस पार्टी का दफ्तर चल रहा है. यह बस कांग्रेस नेताओं को महत्व देने और उनकी छवि बनाने के लिए चलाई गई है. बस का न तो प्रचार हुआ और न ही यात्रियों को जानकारी दी गई. इससे सरकारी खजाने का नुकसान हुआ है. जयपुर के कई लोगों को ताबड़तोड़ जयपुर-अलीगढ़ बस चलाने की घोषणा और उस पर तत्काल अमल से आश्चर्य है. परिवहन विभाग के कार्यालय में ऐसे कई मांगपत्र लालफीते से बंधी फाइलों में रखे होंगे, जिनमें लोगों ने किसी न किसी मार्ग पर बस चलाने की मांग की होगी. पता नहीं खाचरियावास ने उनकी तरफ ध्यान दिया होगा या नहीं. शायद वे मांगें विवेक बंसल की तरफ से नहीं आई होंगी.

योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार, 23 मंत्रियों ने ली शपथ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल का बुधवार को विस्तार किया गया है. ये योगी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार है. कैबिनेट विस्तार में 23 नए मंत्रियों को जगह मिली है. इनमें 6 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्री ने पद व गोपनियता की शपथ ग्रहण की. विस्तार में जातिगम समीकरणों का खास ध्यान रखा गया है. 23 मंत्रियों में से 6 ब्राह्मण, तीन-तीन वैश्य व दलित, दो क्षत्रिय, दो जाट, दो कुर्मी और एक-एक गुर्जर, राजभर, गडरिया, शाक्य एवं मल्लाह शामिल हैं.

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रियों में आज ही विभागों का बंटवारा कर सकते हैं. पुराने मंत्रियों के विभागों में बदलाव की तीव्र संभावना है. सीएम योगी बुधवार शाम 4 बजे नए मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. माना जा रहा है कि नए मंत्रियों के सामने सरकार का एजेंडा रखा जाएगा. इसके बाद सीएम योगी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.

ये बने योगी सरकार में नए मंत्री

कैबिनेट मंत्री

  • महेंद्र सिंह
  • भूपेंद्र सिंह चौधरी
  • राम नरेश अग्निहोत्री
  • सुरेश राणा
  • अनिल राजभर
  • कमला रानी

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

  • नील कंठ तिवारी
  • कपिल देव अग्रवाल
  • सतीश द्विवेदी
  • अशोक कटारिया
  • श्रीराम चौहान
  • रवींद्र जायसवाल

राज्य मंत्री

  • अनिल शर्मा
  • महेश गुप्ता
  • आनंद स्वरूप शुक्ला
  • विजय कश्यप
  • गिराज सिंह धर्मेश
  • लाखन सिंह राजपूत
  • नीलिमा कटियार
  • चौधरी उदय भान सिंह
  • चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय
  • रामशंकर सिंह पटेल
  • अजीत सिंह पाल

चिदंबरम पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, जमानत याचिका खारिज

NSUI और ABVP ने उतारे प्रत्याशी, अमित कुमार और उत्तम चौधरी आमने-सामने

राजस्थान यूनिवर्सिटी से अध्यक्ष पद के लिए एनएसयूआई और एबीवीपी ने अपने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. एबीवीपी ने अमित कुमार बड़बड़वाल को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है. दीपक कुमार उपाध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित हुए हैं. वहीं एनएसयूआई ने उत्तम चौधरी को अध्यक्ष पद का दावेदार बनाया है. एबीवीपी की ओर से अरूण शर्मा को महासचिव और किरण मीणा को संयुक्त सचिव प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद को छोडकर अन्य कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया. संगठन शेष रहे तीनों पदों पर अपने दावेदारों का जल्द ऐलान करेगा. छात्रसंघ चुनाव 27 अगस्त को होने हैं.

ABVP

  • अमित कुमार बड़बड़वाल – अध्यक्ष
  • दीपक कुमार – उपाध्यक्ष
  • अरूण शर्मा – महासचिव
  • किरण मीणा – संयुक्त सचिव

NSUI

  • उत्तम चौधरी – अध्यक्ष

टिकटों की घोषणा के साथ ही संगठन में बागी सुर भी सामने आने शुरू हो गए हैं. एबीवीपी के छात्र नेता नितिन शर्मा ने निर्दलीय अध्यक्ष पद और अंकित चेंची ने निर्दलीय महासचिव पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अभी मैदान में कई और छात्र नेताओं के निर्दलीय के तौर पर उतरने की पूरी उम्मीद है.

बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले 5 सालों से अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं जीत सकी है. वहीं नेशनल स्टूडेंट यूनियन आॅफ इंडिया भी पिछले 3 सालों से हार का सामना कर रही है. चौंकाने वाला तथ्य ये है कि पिछले तीन चुनावों में दोनों संगठन के अध्यक्ष प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा. पिछले तीन सालों से अध्यक्ष पद पर निर्दलीयों का कब्जा रहा है. मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन हो चुका है.

बात करें अमित कुमार बडबडवाल की तो शाहपुरा निवासी अमित कुमार लॉ कॉलेज से अध्यक्ष रह चुके हैं. इन्होंने मात्र एक वोट से जीत दर्ज की थी. पिछले साल एबीवीपी से टिकट नहीं मिलने के कारण बागी होकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. बाद में समझाइश के बाद अपना नाम वापिस ले लिया.

इस साल राजस्थान विश्वविद्यालय में अंतिम प्रकाशन सूचियों के अनुसार, कुल 23,562 मतदाता हैं. इनके अलावा 291 शोध छात्र हैं. यह संख्या पिछले साल से 862 वोटर अधिक है. सबसे अधिक मतदाता महारानी कॉलेज में हैं जहां 6,368 वोटर्स अपने मत का प्रयोग करेंगे. महाराजा कॉलेज में 2723, कॉमर्स में 4340, राजस्थान कॉलेज में 3420, लॉ में 1716 छात्र हैं.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र का राजनैतिक कारवां

तीन बार बिहार में मुख्यमंत्री पद संभाल चुके जगन्नाथ मिश्र का सोमवार को दिल्ली में 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह ब्लड कैंसर से पीड़ित थे और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ. बिहार के सुपौल जिले में स्थित उनके गांव बलुआ बाजार में बुधवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. बिहार सरकार ने जगन्नाथ मिश्र के सम्मान में तीन दिन के शोक की घोषणा की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है.  जगन्नाथ मिश्र ललित नारायण मिश्र के छोटे भाई थे. ललित नारायण मिश्र 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री थे. उनके निधन के बाद जगन्नाथ मिश्र को बिहार में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.

जगन्नाथ मिश्र दिसंबर, 1989 से मार्च, 1990 तक बिहार के आखिरी कांग्रेस मुख्यमंत्री थे. मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले तक वह बिहार के सबसे बड़े नेता माने जाते थे. मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद बिहार की राजनीति में कांग्रेस सिमटने लगी थी. वह पीवी नरसिंहराव की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे.

राजनीति में प्रवेश करने से पहले जगन्नाथ मिश्र बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के शिक्षक थे. अपने बड़ा भाई ललित नारायण मिश्र के नक्शे कदम पर चलते हुए वे राजनीति में आए थे. ललित नारायण मिश्र की समस्तीपुर में एक बम धमाके में मौत हो गई थी. उसके कुछ समय बाद 1975 में जगन्नाथ मिश्र पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उनका पहला कार्यकाल सिर्फ दो साल रहा. जयप्रकाश नारायण का आंदोलन शुरू होने के बाद बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.

कांग्रेस के सत्ता में लौटने के बाद 1980 में जगन्नाथ मिश्र फिर मुख्यमंत्री बने. उस समय वह प्रेस पर पाबंदी लगाने वाला विधायक लाने के कारण मीडिया के निशाने पर थे. विरोध ज्यादा बढ़ने पर एक साल बाद जगन्नाथ मिश्र ने वह विधेयक राष्ट्रपति के दस्तखत होने से पहले ही वापस ले लिया था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के पास कांग्रेस बागडोर आने पर कांग्रेस हाईकमान के साथ जगन्नाथ मिश्रा की दूरी बढ़ती गई. उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पड़ा और चंद्रशेखर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद कुछ समय वह प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.

जब जगन्नाथ मिश्र के पुराने प्रतिद्वंद्वी सीताराम केसरी ने कांग्रेस की कमान संभाली, तब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1999 में भारतीय जन कांग्रेस नाम से नई पार्टी बना ली थी, जिसे कोई चुनावी सफलता नहीं नहीं मिल सकी. 2001 में उन्होंने अपनी पार्टी का शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया था. इसके बाद मिश्र का झुकाव एनडीए की तरफ बढ़ने लगा, जो कि बिहार में 2005 के बाद से सत्ता में है. जगन्नाथ मिश्र के छोटे पुत्र नितिन मिश्र नीतीश कुमार की एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

CBI के 2 घंटे के निर्देश के बाद भी नहीं पेश हुए चिदम्बरम, कांग्रेस ने साधा निशाना

आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. मंगलवार शाम चिदंबरम को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई की टीम दिल्ली में उनके घर पहुंची, लेकिन सीबीआई को यहां से खाली हाथ लौटना पड़ा. लेकिन अभी तक चिदंबरम का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. वहीं कांग्रेस ने इस कार्रवाई पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि ये बदले की भावना से कार्रवाई की गई है.

CBI और ED दोनों जांच एजेंसी मंगलवार शाम दिल्ली स्थित उनके घर पर पहुंची, लेकिन चिदंबरम नहीं मिले. जांच एजेंसियों की कोशिश थी कि देर रात या बुधवार सुबह तक चिदम्बरम की गिरफ्तारी हो जाए, ताकि सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई के औचित्य को आधारहीन बनाया जा सके. मंगलवार देर रात सीबीआई टीम दोबारा चिदंबरम के घर पहुंची और उनके घर के बाहर नोटिस चिपका दिया है. इस नोटिस में चिदंबरम से 2 घंटे के अंदर पेश होने के लिए कहा गया है, लेकिन चिदंबरम सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए. सीबीआई चिदंबरम की तलाश कर रही है.

बताया जा रहा है कि चिदंबरम ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया है. इसके बाद पी. चिदंबरम के वकील अर्शदीप सिंह खुराना ने सीबीआई को पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं यह बताना चाहता हूं कि आपका नोटिस कानून के प्रावधान का उल्लेख करने में विफल रहा है. नोटिस में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि कानून के किस प्रावधान के तहत मेरे मुवक्किल को 2 घंटे में पेश होने के लिए कहा गया. अर्शदीप ने सीबीआई को अपने पत्र में लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई के लिए 10:30 का समय तय किया है. इसलिए मैं आपसे (सीबीआई) अनुरोध करता हूं कि तबतक मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न करें और सुबह 10:30 बजे तक का इंतजार करें.

इस मामले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी आई है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने चिदंबरम के घर पर सीबीआई और ईडी की रेड को सबसे बदतर किस्म की बदले की राजनीति बताया है. रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, भारत अब तक के सबसे खराब बदले की राजनीति का गवाह बन रहा है. यह मोदी सरकार द्वारा कराया जा रहा है. जज ने फैसला 7 महीने के लिए सुनाया था और इसके पूरा होने से 72 घंटे पहले सीबीआई/ईडी को रेड के लिए पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के घर भेज दिया.

बता दें, चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से गैरकानूनी रूप से स्वीकृति दिलाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है. इस केस में अभी तक चिदंबरम को कोर्ट से करीब दो दर्जन बार अंतरिम प्रोटेक्शन यानी गिरफ्तारी पर रोक की राहत मिली हुई है. ये मामला 2007 का है, जब पी चिदंबरम वित्त मंत्री के पद पर थे. आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से गैरकानूनी रूप से स्वीकृति दिलाने के लिए रिश्वत ली. इस मामले में सीबीआई और ईडी पहले ही चिदंबरम के बेटे कार्ति को गिरफ्तार कर चुकी हैं. वो फिलहाल जमानत पर हैं. इस मामले में अहम मोड़ तब आया, जब इंद्राणी मुखर्जी 4 जुलाई को सरकारी गवाह बन गईं.

इससे पहले मंगलवार को हाई कोर्ट के जज सुनील गौर ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि केस के सबूतों से प्रथम दृष्ट्या पता चलता है कि याचिकाकर्ता चिदंबरम किंगपिन (मुख्य षड्यंत्रकारी) हैं. तथ्यों पर विचार के बाद मैं, याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से पूर्व जमानत नहीं देने के फैसले के लिए प्रेरित हुआ. यह मनी लांड्रिंग का क्लासिक केस है.

जयपुर: एसपी ने किया औचक निरीक्षण, नहीं मिला कोई भी गश्ती दल…

येदियुरप्पा सरकार के मंत्रिमंडल का गठन, निर्दलीय विधायक बने कैबिनेट मंत्री

कर्नाटक में भाजपा सरकार बनने के 25 दिन बाद मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया. मंत्रिमंडल में 17 मंत्रियों को जगह दी गयी है. राज्यपाल वजुभाई वाला ने मंगलवार को सभी को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई. येदियुरप्पा की कैबिनेट में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार के साथ दो पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा और आर. अशोका शामिल हैं. शशिकला जोली कैबिनेट में एकमात्र महिला मंत्री हैं. निर्दलीय विधायक एच. नागेश और लक्ष्मण संगप्पा को तोहफा देते हुए कैबिनेट में जगह दी गयी है. प्रदेश में जेडीएस-कांग्रेस की संयुक्त सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

येदियुरप्पा सरकार के मंत्रिमंडल में ये बने कैबिनेट मंत्री

  • बीएस येदियुरप्पा (मुख्यमंत्री)
  • गोविंद करजोल
  • अश्वत नारायण
  • लक्ष्मण संगप्पा सावदी
  • केएस.ईश्वरप्पा
  • आर. अशोका
  • जगदीश शेट्टार
  • बी.श्रीरामुलु
  • एस.सुरेश कुमार
  • वी.सोमन्ना
  • सीटी रवि
  • बासवराज बोम्मई
  • कोटा श्रीनिवास पुजारी
  • जेसी मधु स्वामी
  • चंद्रकांतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा पाटिल
  • एच.नागेश
  • प्रभु चौहान
  • जोले शशिकला अन्नासाहेब

पायलट ने मंत्री धारीवाल और मेयर लाटा पर कसा तंज

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती पर मंगलवार को एक कार्यक्रम में राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल और जयपुर मेयर विष्णु लाटा पर तंज कसते हुए वहां बैठे तमाम नेताओं को चौंका दिया. धारीवाल पर तंज कसते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि पायलट ने यूडीएच मिनिस्टर पर निशाना साधते हुए कहा, ‘धारीवालजी, आज भाषण के दौरान पूरे मूड में थे. आप इतना जोर अगर एक-डेढ साल पहले लगाते तो हाडौती में पांच से सात सीटें ज्यादा जीत लेते.’ उसके तुरंत बाद पायलट ने जयपुर शहर के महापौर विष्णु लाटा को लेकर कहा, ‘लाटाजी बहुत एक्टिव है. लाटा ने आज जोरदार और लंबा भाषण दिया है. चुनाव आ रहे है. आपका लंबा भाषण तो बनता है. परिसीमन में पता नहीं कब महिला सीट आ जाए.’

यह भी पढ़ें: गहलोत और पायलट के बीच की खींचतान एक बार फिर उजागर

डिप्टी सीएम और प्रदेशाध्यक्ष पायलट के बदले सुर देखकर वहां मौजूद सभी नेता और कार्यकर्ता एक दूसरे का मुंह ताकने लगे. दरअसल पायलट बिडला सभागार में दो दिवसीय कार्यक्रम ‘सूचना क्रांति एवं स्टार्ट अप’ में पंचायतीराज एवं स्वायत्त शासन विभाग द्वारा एक संगोष्ठी कार्यक्रम में कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. बता दें, राजस्थान सरकार ने राजीव गांधी की जयंती पूरे सालभर मनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत पूरे राज्य में विभिन्न कार्यक्रम सालभर में आयोजित कराए जाएंगे. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, यूडीएच मंत्री शांति धारिवाल, जयपुर मेयर विष्णु लाटा सहित अन्य नेता मौजूद रहे.

जनता के सुझावों के लिए द्वार हमेशा खुले
समारोह को संबोधित करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि आने वाला समय राजस्थान की जनता का है. जनता ने जो मेंडेट विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दिया, उस पर सरकार खरा उतरेगी. राजस्थान की जनता अगर कोई सुझाव हमें देना चाहती है तो हम तक पहुंचाए. हमारे दरवाजे प्रदेश की जनता के लिए हमेशा खुले हुए है.

सीएम गहलोत ने साधा पीएम मोदी पर निशाना
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू देश की आजादी के लिए कई सालों तक जेल में रहे लेकिन सत्ता में बैठे लोग आज नेहरू के लिए क्या—क्या बोल रहे है? देश में सोशियल मीडिया के माध्यम से षडयंत्र रचा जा रहा है. लोगों को गुमराह किया जा रहा है. इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकडे कर दिए. 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करवाया. वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो हमने कारगिल युद्ध जीता, इस पर हमें गर्व है. आज सैनिकों के नाम राजनीति की जा रही है जो गलत है. देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे जो कुछ देश में हुआ वो 2014 के बाद ही हुआ. पीएम मोदी ने कभी भी नहीं कहा कि नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश के लिए क्या किया लेकिन जनता सब जानती है. इतिहास गवाह है, जब जब जनता चाहती है सत्ता पलट जाती है. इस दौरान गहलोत ने राजीव गांधी को डिजिटल क्रांति का जनक बताया.

शैक्षणिक योग्यता पर वसुंधरा सरकार को घेरा
सीएम गहलोत ने पिछली सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछली सरकार ने सरपंच चुनाव के लिए जो शैक्षणिक योग्यता तय की, वो गलत थी. अगर योग्यता तय करनी ही थी तो बड़े चुनावो में करते. जब अनपढ़ विधायक बन सकता है तो सरपंच क्यों नहीं. हमने सरकार बनते ही इसको हटाया. साथ ही निकाय चुनावों के लिए एक अहम फैसला लिया जिसमें निकाय अध्यक्ष का चुनाव अब सीधे जनता करेगी.

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