राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश के पूर्व गृहमंत्री और वित्तमंत्री पी.चिदंबरम पर हो रही कार्यवाही को गलत बताते हुए उनका सपोर्ट किया है. सीएम गहलोत ने मीडिया को बताया कि इस देश के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वो अपने बचाव के जो भी ऑप्शन है उसके अंतर्गत प्रयास करे लेकिन मुझे बहुत आश्चर्य है कि पूर्व वित्तमंत्री की जिस तरीके से छापेमारी हो रही है, उसकी आवश्यकता नहीं थी. चिदंबरमजी की देश के लिए कई विभिन्न पदों पर रहकर. दशकों की सेवाएं हैं. ऐसे व्यक्ति के लिए जिस प्रकार से Vendetta को आधार बना करके जो कार्रवाई की जा रही है. एजेंसी के ऊपर दबाव है चाहे वह सीबीआई हो या ED हो वो साफ नजर आता है. जिस तरफ जांच एजेंसियां रात भर घर में घूस रही है, नोटिस चस्पा कर रही थी, उसकी आवश्यकता नहीं थी. मैं समझता हूं कि यह देश के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
बाहुबली विधायक गायब, पूर्व आईपीएस ने डीजीपी को पत्र लिखकर मांगी सुरक्षा
बिहार के विधायक अनंत सिंह के लापता होने के बाद समय पूर्व सेवानिवृत्त पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है. अनंत सिंह मोकामा के निर्दलीय विधायक हैं. 16 अगस्त को मधेपुरा जिले में लदना स्थित अनंत कुमार के पैतृक घर से एके-47 राइफल, 26 कारतूस और दो बम बरामद होने के बाद वह फरार हो गए.
अनंत सिंह बिहार के बाहुबली विधायक हैं. अमिताभ कुमार दास ने डीजीपी को लिखे पत्र में बताया है कि मार्च 2009 में उन्हें अनंत सिंह के पैतृक निवास में एके-56, एके-47 और अन्य खतरनाक हथियारों की मौजूदगी की गोपनीय सूचना मिली थी. अब 10 साल बाद उनके घर से एके-47 की बरामदगी से वह सूचना सही साबित हो रही है. उन्हें सूचना मिली है कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है और इसके लिए सुपारी दे दी गई है. इसलिए उन्हें तत्काल पुलिस सुरक्षा की जरूरत है. उन्होंने मांग की है कि उनकी सुरक्षा में बीएमपी-1 (बिहार मिलिटरी पुलिस) के दो जवान तैनात किए जाएं.
अमिताभ कुमार दास 1994 बैच, बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. उन्हें अगस्त 2018 में समयपूर्व सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. वह दरभंगा जिले के निवासी हैं और विवादों से उनका नाता रहा है. उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री सहित कुछ भाजपा नेताओं पर रणवीर सेना से घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया था जो कि सवर्णों का एक सशस्त्र संगठन है और दलितों के हत्याकांड के कई मामलों में उसकी भूमिका रही है.
दास ने ऐसे कई लोगों के बारे में खुलासे किए हैं, जो पहले क्षेत्र के बाहुबली हुआ करते थे और बाद में रेलवे के ठेकेदार बन गए. दास को 2018 में पदोन्नत कर आईजी बनाया गया था. उनको केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के दखल के बाद आईजी पद पर प्रमोशन मिला था. पांच मार्च 2009 को उन्होंने बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त सुधीर कुमार राकेश को पत्र लिखा था कि विधायक के घर में अवैध हथियार होने की सूचना मिली है. उस समय अनंत सिंह जनता दल-यू के विधायक थे.
अनंत सिंह के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) कानून और हथियार एवं विस्फोटक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. शनिवार को पुलिस ने उनके पटना स्थित निवास पर छापा मारा था, लेकिन मामला दर्ज होने के बाद से वह लापता हैं. सूत्रों के मुताबिक विधायक अनंत सिंह गुरुवार या शुक्रवार को समर्पण कर सकते हैं.
चिदंबरम की गिरफ्तारी दिन-दहाड़े लोकतंत्र की हत्या – सुरजेवाला
यूपीए सरकार में वित्त मंत्री और गृहमंत्री रहे पी.चिदंबरम की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पर हुई कार्रवाई को कांग्रेस ने दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या करार दिया. कांग्रेस की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘पिछले 2 दिन से भारत इस बात का गवाह बना कि किस तरह से दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या की गई और सरकार ने सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक बदला लेने की कोशिश की. चिदंबरम के खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई की गई वो राजनीतिक बदले को दिखाता है.’
सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं और इंडस्ट्रीज बंद हो रहे हैं. अब मोदी सरकार जनता का इन सभी मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश में लगी हुयी है. चिदंबरम पर हो रही कार्रवाई इसी का परिणाम है.
सुरजेवाला ने चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा, ‘पी.चिदंबरम देश के सम्मानित राजनीतिज्ञ, उच्च कोटि के अर्थशास्त्री और सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे. उन्होंने जांच के दौरान कुछ नहीं छुपाया. उसके खिलाफ सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के कोई सबूत नहीं हैं. बेटी की हत्या की आरोपी को सरकारी गवाह बनाकर केस बनाया गया है और एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. वहीं जिन लोगों पर अपराध करने के आरोप लगे हैं, वे सभी स्वतंत्र घूम रहे हैं. जिस शख्स ने 40 साल देश की सेवा की, केंद्र सरकार द्वारा उसे कानून से भागने वाला साबित करने की कोशिश हो रही है.’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे सुरजेवाला ने बताया कि सीबीआई ने कीर्ति चिदंबरम के घर पर भी चार बार छापा मारा और जेल भेज दिया. इसे बाद भी उन्होंने जांच एजेसिंयों के साथ 20 बार सहयोग किया. जब भी उन्हें हाजिर होने का समन मिला, वे पेश हुए. तब कहीं जाकर उन्हें जमानत मिली. चिदंबरम पर की गयी कार्यवाही को राजनैतिक बदला बताते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कांग्रेस के खिलाफ दुश्मनी का माहौल तैयार कर रही है. चिदंबरम पर हो रही कार्रवाई राजनीति प्रतिशोध के अलावा कुछ नहीं है. सुरजेवाला ने कांग्रेस के साथ चिदंबरम के साथ हमेशा खड़े होने की बात कही.
उछलकूद और लुका छिपी के बाद आखिर ‘चिदंबरम’ पिंजरे में
चिदंबरम के पकड़े जाने के बाद कइयों के नीचे की जमीन खिसकने लगी, कई नेता बचने रास्ते ढ़ूंढ़ रहे है. कुछ लोगों ने नागपुर के संघ कार्यालय के फोन नंबर भी ढ़ूढ़ने शुरू कर दिए. यह भी चर्चा चल पड़ी है बड़ी संख्या में अपनी जान बचाने के लिए कई नेता पंजे को बंद करके उसकी मुटठी में कमल पकड़ने जा रहे है .
(यह लेख आलोक कुमार सिन्हा ने लिखा है. वैज्ञानिक डॉ. राम श्रीवास्तव ने फेसबुक पर साभार उद्धृत किया है. वहां से उठाकर कुछ त्रुटियां सुधारने के बाद यह पॉलिटॉक्स पर प्रकाशित किया जा रहा है)
कांग्रेस नेता चिदम्बरम ने सिर्फ चोरी ही नहीं देश के साथ धोखा भी किया है. 15 जून, 2004 को लश्कर की आतंकी इसरत जहां अपने तीन साथियों के साथ मोदी को उड़ाने के लिए गुजरात पहुंचती है इशरत सारी रिपोर्ट कश्मीरी लश्कर आतंकी मुजम्मिल भट्ट को देती है. देश की खुफिया एजेंसी गुजरात पुलिस को जानकारी देती है कि इसरत जहां नामक लश्करे तोयबा की आत्मघाती आतंकी अपने तीन साथियों के साथ गुजरात पहुंच चुकी है. उसका टारगेट नरेंद्र मोदी (तत्कालीन मुख्यमंत्री) है.
खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर गुजरात पुलिस जांच करती है और इन तीनों आत्मघाती हमलावरों को तलाश कर ढेर कर देती है. इनके एनकाउंटर की खबर सुनते ही लश्करे तोयबा खुद अपनी साइट पर लिखता है कि हमारे तीन बंदे शहीद हुए. लश्कर खुद कबूल कर चुका था कि ये तीनों उसके आतंकी हैं पर,,,,,यहीं से कांग्रेस का पाप शुरु होता है. केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उसके गृहमंत्री चिदंबरम ने इन तीनों को आतंकी नहीं मानते हुए और इसे मासूम मुस्लिमों का एनकाउंटर बताया और जांच की दिशा पलट दी. खुफिया रिपोर्ट को भी नकार दिया.
अमित शाह और नरेन्द्र मोदी सहित कई लोगों के खिलाफ चिदंबरम ने जांच बैठा दी. आतंकी इसरत के घर आर्थिक सहायता का चेक खुद कांग्रेस ने पहुंचाया. लंबी जांच चली. 10 वर्ष तक कांग्रेस सरकार ने आतंकियों को निर्दोष और गुजरात पुलिस सहित अन्य बेगुनाहों को जेल में रखा,प्रताड़ित किया. सिर्फ इसलिए कि किसी तरह मोदी शाह को जेल हो जाए. आतंकियों के एनकाउंटर करने के आरोप से लंबे संघर्ष के बाद सभी अदालत से निर्दोष साबित हुए पर कांग्रेस और चिदंबरम देश को यह घाव दे गए कि आतंकी को बचाने के लिए देश की सुरक्षा एजेंसियों तक को आपस मे लड़ा दिया और उन्हें झुठला दिया. इस तरह कांग्रेस ने देश की और उन्हें झुठला दिया.
इस तरह कांग्रेस ने अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा में भी सेंध लगाई. लेकिन कहावत है-
पुरुष बली नहीं होत हैं
समय होत बलवान
अमित शाह गृह मंत्री हैं
चिदंबरम को फोन बंद करके फरार होना पड़ा
याद कीजिए नौ वर्ष पहले अमित शाह जेल में थे और चिदंबरम गृहमंत्री थे. समय का पहिया घूम गया. आज अगर अमित शाह की जगह कोई दूसरा गृहमंत्री होता तो चिदंबरम भी अपने घर पर मिलते. वे डरे हुए नहीं होते. उन्हें लापता नहीं होना पड़ता. वाकई बहुत ही दिलचस्प राजनीतिक लड़ाई है. संयोग देखिए. पी. चिदंबरम आज आरोपी हैं और देश का गृह मंत्रालय अमित शाह के हाथ में है. कभी तस्वीर एकदम उलटी थी. तब चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे और अमित शाह साबरमती की जेल में थे. तब चिदंबरम नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृहमंत्री कार्यालय में बैठकर “भगवा आतंकवाद” की फाइल तैयार करवा रहे थे और अमित शाह अपने बचाव की फ़ाइल में रोज़ ही नए पन्ने जोड़ रहे थे. अमित शाह इस मामले में हिसाब किताब पूरा रखने के आदी हैं. मुरव्वत करना उनकी आदत में नही है. यह अमित शाह के गृहमंत्री होने का खौफ ही है कि चिदंबरम को रातोंरात लापता होना पड़ा.
यही अमित शाह के काम करने की शैली है. किसी ने कभी उम्मीद नही की थी कि एक रोज़ कश्मीर में इस तरह बाजी पलट दी जाएगी. उम्मीद तो यह भी नही थी कि कभी देश के सबसे ताकतवर मंत्री रहे चिदंबरम का यह हस्र भी होगा. पर यही अमित शाह हैं. उनकी किताब में “रियायत” नाम का शब्द नही हैं. सही-गलत क्या है, यह फैसला वक़्त और कोर्ट पर छोड़ते हैं. आज सिर्फ राजनीति की नई इबारत को पढ़ने की कोशिश है.
चिदंबरम मार्च 2018 से लगातार अपनी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश हासिल कर रहे थे. लेकिन आखिरकार किस्मत जवाब दे गई. उनके खिलाफ ठोस सबूत हैं. एक भी आरोप हवाई नहीं हैं. विदेशों में परिवार के नाम हजारों करोड़ों की संपत्ति के कागज हैं. आईएनएक्स मीडिया और फिर एयरसेल-मैक्सिस के मामले में एफआईपीबी नियमों को तोड़ मरोड़ कर सैकड़ों करोड़ का फायदा पहुंचाने और उसका एक बड़ा परसेंटेज अपने बेटे की कंपनी तक पहुंचाने के पक्के सबूत हैं. यह सब तब हो रहा था जब चिदंबरम देश के वित्तमंत्री थे.
यकीन मानिए कि इस देश की राजनीति वक़्त के एक निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है. परिवार, खानदान, प्रभावशाली लोग, बड़े नेताओं से मीठे रिश्ते जैसे सियासत के खानदानी शब्द राजनीति की इस नई डिक्शनरी से साफ हो चुके हैं. अब ये आर-पार की लड़ाई है. आज चिदंबरम की बारी आई है. नोट कर लीजिए, कल दस जनपथ का बुलावा आएगा. इन पांच सालों में बहुत कुछ ऐसा होगा जो इतिहास में कभी नहीं हुआ.
नोट कर लीजिए कि भारत की राजनीति के ये पांच साल अगले 100 सालों तक राजनीति के पंडितों के लिए शोध का विषय रहेंगे.
कानून के शिकंजे से कैसे बच सकते थे चिदंबरम?
अपने देश में मान्यता है कि अगर कोई संन्यासी किसी को श्राप दे दे तो वह लगता जरूर है. चिदंबरम के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. वह बहुत बड़े वकील हैं. करोड़ों रुपए हर साल कमाते हैं. देश के वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस के समर्पित सिपाही माने जाते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वस्त लोगों में से एक हैं. जब वह सत्ता चलाने में मगरूर थे, मनमोहन सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों में मदद कर रहे थे, तब उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिनका फल तो उन्होंने भुगतना ही था. चिदंबरम ने अमित शाह को गिरफ्तार करवा दिया था और दिल्ली में बाबा रामदेव के सत्याग्रहियों से जंतर मंतर खाली करवाने के लिए आधी रात को पुलिस का हमला करवा दिया था. उनकी गिरफ्तारी कैसे टल सकती थी?
आखरिकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 27 घंटे के बाद सीबीआई ने पहले हिरासत में लिया बाद में गिरफ्तार कर ही लिया. गुरुवार को उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा. पी चिदंबरम को उनके दिल्ली के जोरबाग स्थित घर से हिरासत में लिया गया. इससे पहले बुधवार रात 8 बजकर 10 मिनट पर पी चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे आईएनएक्स मीडिया केस में निर्दोष हैं.
जिस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह आईएनएक्स मीडिया से जुड़ा मामला है. जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे, उस समय आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए का निवेश विदेश से जुटाने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की तरफ से मंजूरी देने में धांधली हुई थी. यह 2007 का मामला है. जब जांच एजेंसियों ने आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी से पूछताछ की, तब चिदंबरम की भूमिका सामने आई. इस संबंध में सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज की थी. इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि विदेशी निवेश दिलाने के बदले चिदंबरम ने अपने पुत्र कार्ति चिदंबरम की मदद करने के लिए कहा था.
फरवरी 2018 में चेन्नई एयरपोर्ट से कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई थी, बाद में वह अदालत से जमानत पर रिहा हो गए थे. उन पर आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ जांच रुकवाने के लिए उन्होंने 10 लाख डॉलर मांगे थे. यह सौदा दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में हुआ था. उस समय इंद्राणी मुखर्जी आईएनएस मीडिया की निदेशक थी. फिलहाल वह अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में है. आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम से करीब पचास घंटे पूछताछ हो चुकी है. इसी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम को प्रमुख अभियुक्त माना है और उनकी जमानत अर्जी रद्द कर दी गई, जिसके आधार पर सीबीआई और आईडी जैसी एजेंसियां उन्हें गिरफ्तार करने के लिए खोज रही थी.
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चिदंबरम के खिलाफ और भी मामले हैं
एयरसेल-मैक्सिस के 3500 करोड़ रु. के सौदे में भी चिदंबरम की भूमिका की जांच हो रही है. यह मामला 2006 का है. तब मलेशिया की कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. वित्त मंत्री 600 करोड़ रुपए तक के विदेशी निवेश की मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन इस सौदे में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के बगैर 3500 करोड़ रु. के एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी मिल गई. यह मामला 2-जी स्पेक्ट्रम से जुड़ा हुआ है. इसमें चिदंबरम और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ हवाला मामले में रिपोर्ट दर्ज है.
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया गया था. गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने कई हैरतअंगेज कार्य किए. उन्होंने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा. हिंदू आतंकवाद की जांच के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) का गठन किया. पद का उपयोग करते हुए उन्हें भाजपा नेताओं को कानूनी शिकंजे में घेरने की भरसक कोशिशें की. उस समय अमित शाह के खिलाफ सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने कार्रवाई की. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. शाह तीन माह जेल में रहे. 29 अक्टूबर 2010 को उन्हें गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा दिया. बाद में उन्हें दो साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया.
अमित शाह 2012 तक गुजरात से बाहर रहे. 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें गुजरात जाने की अनुमति मिली. सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर मुंबई में करने के आदेश दिए. लंबी सुनवाई के बाद 2015 में विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया. अब अमित शाह गृह मंत्री हैं और चिदंबरम के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस चुका है. अमित शाह की गिरफ्तारी के समय भाजपा ने चिदंबरम पर सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए थे. बिलकुल वैसे ही आरोप अब कांग्रेस अमित शाह पर लगा रही है.
पी. चिदंबरम ने काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे बाबा रामदेव के सत्याग्रह को कुचलने के लिए जून 2011 के पहले हफ्ते में आधी रात को पुलिस भेजी थी. तब रामदेव को महिलाओं के बीच छिपकर रात गुजारनी पड़ी थी और भोर होने पर एक महिला की सलवार कुर्ती पहनकर वह पुलिस से बचकर निकल पाए थे. लोग कहते हैं कि अगर उस रात रामदेव पुलिस के हाथ लग जाते तो पुलिस उन्हें योगाभ्यास करने लायक नहीं छोड़ती. उस समय गुस्से में भरे बाबा रामदेव ने कहा था कि कांग्रेस सरकार का नाश हो जाएगा.
चिदंबरम के खिलाफ गृह मंत्री रहते हुए कोई मामला नहीं है. लेकिन बददुआएं बहुत हैं. एक तो उन्होंने हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उछालकर कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति को नए आयाम दिए, वहीं बाबा रामदेव के निहत्थे सत्याग्रहियों पर पुलिस कार्रवाई करवाकर जनरल डायर का खिताब हासिल किया. हालांकि उस घटना के बाद रामदेव ने आंदोलनों से किनारा कर लिया और स्वदेशी का परचम लहराते हुए पतंजलि ब्रांड को स्थापित करने में लग गए. अब वह काले धन और भ्रष्टाचार की बात नहीं करते हैं.
चिदंबरम उन प्रतिभाशाली वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं, जो पूरी ताकत से कांग्रेस को रसातल में पहुंचाने में लगे हुए हैं. अगर मनमोहन सरकार के दौरान इतना भ्रष्टाचार हुआ, जिसकी वजह से लोगों ने कांग्रेस की सरकार को बुरी तरह नकार दिया तो उसमें चिदंबरम का प्रमुख योगदान इसलिए है कि वह वित्त मंत्री थे. सारा आर्थिक भ्रष्टाचार उनकी नाक के नीचे हो रहा था और आईएनएक्स, एयरसेल-मैक्सिस जैसे मामलों में उनकी खुद की भूमिका भी स्पष्ट हो चुकी है. इसीलिए कानून के इस विशेषज्ञ को अब कानून के शिकंजे से बचने की जुगत भिड़ानी पड़ रही है.
कांग्रेस के नेता और भाजपा के विरोधी इसे बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई बता रहे हैं, जिस पर लोगों को हंसी आती है. कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाई. कई नेताओं को गिरफ्तार किया. उसके बाद भी कांग्रेस के काम ऐसे ही तुष्टिकरण वाले और विरोधियों को सीबीआई से परेशान करवाने वाले रहे. अब कांग्रेस सत्ता से पूरी तरह बाहर हो चुकी है. पिछली मोदी सरकार के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह थे और वित्त मंत्री अरुण जेटली. अरुण जेटली के साथ चिदंबरम की मित्रता है, इसलिए वे कानूनी शिकंजे से बचे रहे. इस बार अरुण जेटली सरकार में नहीं है और गृह मंत्री अमित शाह बन गए हैं. अमित शाह धारा 370 हटाने का पराक्रम कर ही चुके हैं. वह कभी नहीं भूल सकते कि चिदंबरम के कारण उन्हें तीन महीने जेल में रहना पड़ा था और दो साल गुजरात बदर होना पड़ा था. इन तथ्यों को देखते हुए क्या चिदंबरम बच सकते थे? चिदंबरम जो चला रहे थे वह भी कानून का राज था और अमित शाह जो चला रहे हैं, वह भी कानून का राज है. तब अमित शाह गिरफ्तार हुए थे और अब चिदंबरम गिरफ्तार हुए हैं. यही तो समय का फेर है.
आखिरकार, 27 घन्टे बाद चिदम्बरम गिरफ्तार, गुरुवार को CBI कोर्ट होंगे पेश
आखरिकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 27 घंटे के बाद सीबीआई ने पहले हिरासत में लिया बाद में गिरफ्तार कर ही लिया. कल चिदम्बरम को सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा. पी चिदंबरम को उनके दिल्ली के जोरबाग स्थित घर से हिरासत में लिया गया.
इससे पहले बुधवार रात 8 बजकर 10 मिनट पर पी चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे आईएनएक्स मीडिया केस में निर्दोष हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की नींव स्वतंत्रता है, संविधान का सबसे कीमती लेख अनुच्छेद 21 है जो जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी देता है. अगर मुझे जीवन और स्वतंत्रता के बीच चयन करने के लिए कहा जाए, तो मैं स्वतंत्रता का चयन करूंगा.
कांग्रेस मुख्यालय से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पी चिदंबरम ने कहा कि मैं आरोपी नहीं हूं. मेरे खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है. आज सुनवाई के लिए मेरे केस की लिस्टिंग नहीं हुई है. मुझे और मेरे बेटे कार्ति को फंसाया जा रहा है. रात भर से लापता रहने की बात पर पी चिदंबरम ने कहा- रात से वकीलों के साथ दस्तावेज तैयार कर रहे थे. चिदंबरम ने कहा कि पिछले 24 घंटों में बहुत कुछ हुआ है, जिससे कुछ लोगों को चिंता हुई है और कई को भ्रम हुआ है सक्षम अदालत के समक्ष ईडी या सीबीआई द्वारा कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है.
चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ही रहे थे कि उन्हें गिरफ्तार करने सीबीआई टीम वहां पहुंच गई. सीबीआई टीम जब तक कांग्रेस मुख्यालय पहुंची पी चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय से निकलकर जोरबाग स्थित अपने घर पहुंच गए थे.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस नेता चिदंबरम की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, अब ये सुनवाई शुक्रवार को होगी. इस बीच प्रवर्तन निदेशालय के बाद अब सीबीआई ने भी चिदंबरम के देश छोड़ने की आशंका के मद्देनजर लुकआउट नोटिस जारी कर दिया था. ऐसे में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुलकर चिदंबरम के समर्थन में उतर आए हैं. प्रियंका का कहना है कि सरकार चिदंबरम का चरित्र हनन कर रही है, वहीं राहुल गांधी ने कहा कि सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है.