बिहार: एलजेपी ने शुरू की प्रेशर पॉलिटिक्स, कांग्रेस ने किया चिराग पासवान के सम्पर्क में होने का दावा

आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में देखने को मिल सकती है चौंकाने वाली तस्वीर!, कांग्रेस का दावा ख्याली पुलाव से ज्यादा और कुछ भी नहीं- बीजेपी, नीतीश ने जताया एनडीए में दलित नेताओं की नहीं है कमी

Chirag Paswan चिराग पासवान
Chirag Paswan चिराग पासवान

Politalks.News/Bihar Election. बिहार की राजनीति में एक के बाद एक नया घमासान सामने आ रहा है. ताजा घटनाक्रम के अनुसार अब रामबिलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान की जेडीयू से चल रही कथित नाराजगी के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग पासवान एनडीए से नाता तोड़ सकते हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो एलजेपी के नए अध्यक्ष चिराग पासवान आने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी सीटें की हिस्सेदारी को बढाने को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम खेल रहे हैं. बताया जा रहा है कि जदयू एलजेपी को 15 से 20 सीटें देना चाहती है जबकि बीजेपी 25 से 30 सीटें एलजेपी को देने को तैयार है, लेकिन चिराग पासवान आने वाले विधानसभा चुनाव में 40 से 42 सीटें एलजेपी के लिए लेना चाहते हैं.

दरअसल, कांग्रेस नेताओं के चिराग से सम्पर्क होने की बात के दावे के बाद बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है. बुधवार को जिस तरह से एनडीए को अटूट बताने वाले मुंगेर जिलाध्यक्ष राघवेंद्र भारती को चिराग पासवान ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कुर्सी से बेदखल कर दिया, इससे भी ये लग रहा है कि एनडीए के भीतर सबकुछ सामान्य तो नहीं है. बता दें कि हाल में ही चिराग ने ये कहकर सबको चौंका दिया था कि गठबंधन का स्वरूप बदल रहा है. जाहिर है सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान एनडीए छोड़ भी सकते हैं?

वहीं चिराग पासवान के कांग्रेस से सम्पर्क की बातों को उस वक़्त बल मिला जब इस मामले में कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने खुलकर कहा है कि चिराग पासवान और राम बिलास पासवान कांग्रेस के नजदीक रहे हैं. पासवान कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे और आरजेडी ने अपने कोटे से सांसद भी बनाया. मिश्रा ने आगे कहा कि बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में चौंकाने वाली तस्वीर देखने को मिल सकती है. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के दावे को ख्याली पुलाव बताया है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि कांग्रेस कि अपनी कोई साख नहीं. आरजेडी के जनाधार पर पार्टी चल रही है ऐसे में उनका दावा ख्याली पुलाव से ज्यादा और कुछ भी नहीं.

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दूसरी तरफ बिहार में महागठबंधन की अगाड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने चिराग का स्वागत करते हुए कहा है कि एनडीए से चिराग पासवान का मोह भंग हो रहा है. नीतीश से नाराजगी जगजाहिर है ऐसे में गठबन्धन में आते हैं तो स्वागत होगा. बता दें कि हाल में ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि अगर चिराग पासवान महागठबंधन का हिस्सा होना चाहेंगे तो उनका स्वागत किया जाएगा. हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चिराग की नाराजगी सीएम नीतीश की उस चाल से जिसमें जीतन राम मांझी की एक बार फिर घर वापसी की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्याम रजक और अशोक चौधरी जैसे नेताओं को भी लाइमलाइट में रखकर ये जताने की कोशिश की है कि एनडीए में दलित नेताओं की कमी नहीं है. जो कि चिराग की नाराजगी में आग में घी का काम कर रही है.

बहरहाल, कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ जायज है, कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. दुश्मन का दुश्मन कब किसका दोस्त बन जाए, राजनीति में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है. सियासी दांव पेंच के बीच ये खबरें भी सामने आ रही हैं कि ये चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स भर है ताकि एनडीए में अपनी अधिक से अधिक सीटों की हिस्सेदारी पा सकें.

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