दिल्ली में टूटेगा अरविंद केजरीवाल का तिलिस्म या फिर इतिहास रचेगा झाडू के सर’ताज’!

पिछले चुनावों में विपक्ष को केवल तीन सीटों पर समेट दिया था आम आदमी पार्टी ने, दिल्ली में सत्ता पर पांच साल पूरे करने वाले दूसरे सीएम बने केजरीवाल

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश की राजधानी दिल्ली में आगामी दो महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के अलावा भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, जदयू, एनसीपी के साथ कई अन्य पार्टियां दिल्ली के जंगी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. लोकसभा में प्रदेश की सभी सातों सीटों पर बीजेपी का कब्जा हुआ है. इस हिसाब से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी के नेतृत्व में भाजपा की स्थिति काफी मजबूत है. वहीं हरियाणा, महाराष्ट्र और हाल ही के झारखंड चुनाव परिणामों से उत्साहित और दिल्ली की गद्दी पर लगातार 15 साल सत्ता पर आसीन रही कांग्रेस कमतर तो नहीं कही जा सकती लेकिन आम आदमी पार्टी के मुखिया और वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की चुनौती से पार पाना नाकों चने चबाना जैसा साबित हो सकता है.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जिन्होंने सत्ता के पांच साल पूरे किए हैं. इससे पहले केवल कांग्रेस की शीला दीक्षित ही एकमात्र मुख्यमंत्री रही हैं जो दिल्ली की सत्ता पर पूरे पांच साल काबिज रहीं. इतना ही नहीं, उनके नाम लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. दिल्ली में कांग्रेस के 15 सालों के तिलिस्म को तोड़ने का सेहरा अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सिर पर बंधा. साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप पार्टी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी. राजनीति में अनाड़ी अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी में अधिकांश खिलाड़ी अनुभवहीन ही थे. इसके बावजूद उनकी पार्टी ने पहले ही चुनाव में 70 में से 28 सीटों पर अपना कब्जा जमाया जिसने दिल्ली की जनता को ही नहीं बल्कि भाजपा और कांग्रेस दोनों को भी अचंभे में डाल दिया.

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बीजेपी को सबसे अधिक 31 सीटें मिली लेकिन बहुमत न मिलने के चलते सत्ता पाने से दूर रही. भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाकर राजनीति में पहुंची आप आदमी ने जब कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई तो दोनों के बीच कई मुद्दों को लेकर खटास हमेशा रही. फिर वही हुआ जो होना था, 48 दिनों तक सीएम की कुर्सी संभालने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गई. इस तरह दिल्ली के सबसे कम दिनों के लिए मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी केजरीवाल ने बना दिया.

फिर एक साल तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग लगने के बाद 2015 में दुबारा चुनाव हुए और इन चुनावों में दिल्ली के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए केजरीवाल की पार्टी ने 67 सीटों पर अपना कब्जा जमाया. पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही बीजेपी केवल तीन सीटों पर सिमट गई. अन्य पार्टियों का खाता तक नहीं खुल सका. केजरीवाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. अब कुछ दिनों में केजरीवाल सरकार के पांच साल पूरे होने वाले हैं.

अपने दूसरे कार्यकाल में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिका टिप्पणी करने में रहते थे लेकिन वक्त रहते उन्होंने ये सब छोड़ दिल्ली की आंतरिक परिस्थितियों और विकास पर ध्यान देना शुरु किया. उनका ये निर्णय विपक्षियों पर इतना सटीक गिरा कि आज दिल्ली की जनता आप सरकार से काफी खुश दिख रही है. केजरीवाल सरकार ने आम जनता को शिक्षा, बिजली, वाईफाई, महिलाओं के फ्री बस सेवा, जैसी कई सुविधाओं में जमकर छूट दी जिससे जनता सरकार के गुण गा रही है. एक सर्वे के अनुसार दिल्ली की जनता ने बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कार्यों को 100 में से 100 और 10 में से 10 नंबर दिए.

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सत्ताधारी पार्टी के ये नतीजे चुनाव में भागीदार बनने वाली बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. ये जरूर है कि आम आदमी पार्टी के करीब 20 विधायकों पर भ्रष्टचार सहित कई आरोप लगे हैं और कुछ विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इसके बावजूद सीएम अरविंद केजरीवाल और आप सरकार का जलवा कायम है. देखा जाए तो अभी भी केजरीवाल एंड टीम का राजनीतिक अनुभव केवल पांच साल या इससे थोड़ा ही अधिक है लेकिन उनकी ये टीम लंबे अनुभवी राजनीतिज्ञों को दिल्ली के जंगी मैदान में पछाड़ते हुए दिख रही है. अब देखना होगा कि बीजेपी और कांग्रेस या अन्य विपक्ष उनके मजबूत तिलिस्म को तोड़ पाएगा या फिर अरविंद केजरीवाल फिर से पूरी दिल्ली के विपक्ष पर झाडू फेरने में कामयाब होंगे.

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