पॉलिटॉक्स न्यूज़/पश्चिम बंगाल-दिल्ली. कोरोना लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि वह पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर चुप क्यों है? अमित शाह के पत्र पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया कि इस संकट की घड़ी में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने वाले केंद्रीय गृह मंत्री झूठ के पुलिंदा के साथ लोगों को गुमराह करने के लिए हफ्तों की चुप्पी के बाद बोल रहे हैं! विडंबना यह है कि लोगों को अपनी सरकार ने ही उनके हाल पर छोड़ दिया है. बनर्जी ने लिखा कि अमित शाह, अपने फर्जी आरोपों को साबित करें या माफी मांगें.
इसके बाद टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने पूछा, “पिछले कुछ हफ्तों से अभिषेक बनर्जी कहां हैं? इस संकट में, लोगों के पास भोजन, दवा नहीं है. प्रवासी बाहर फंस गए हैं. वह सिर्फ ट्वीट कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते. उन्हें लोगों के सामने आना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए. यह उनका कर्तव्य है क्योंकि वे यहां सत्ता में हैं. केवल केंद्र को दोष देने के बजाय प्रवासी संकट के बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.”
वहीं टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर पलटवार किया. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि आखिरकार गृह मंत्री नींद से जाग गए हैं. बीते 40 दिनों में आपने किसी एक प्रवासी मजदूर को मुट्ठी भर चावल भी दिया है. आपने प्रवासी मजदूरों से मुंह क्यों मोड़ लिया. यूपी में श्रम कानून क्यों बदला, पहले इसका जवाब दीजिए. टीएमसी सांसद ने कहा कि आपने गुजरात डॉक्टर्स भेजे जबकि बंगाल इंटर मिनिस्ट्रियल टीम भेजी. क्यों? आप बंगाल में समस्या क्यों खड़ी करना चाहते हैं. समस्या यह है कि जब नींद पत्र लिखते हैं तो सही तथ्य पेश नहीं कर पाते.
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बंगाल में फंसे हुए मजदूरों और प्रवासियों को लेकर एक पत्र लिखा. इस पत्र में गृह मंत्री ने कहा कि फंसे हुए प्रवासियों की वापसी को लेकर केंद्र को बंगाल सरकार से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है. अपने पत्र में अमित शाह ने बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि रेलवे द्वारा चलाए गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को ममता सरकार ने राज्य में चलने नहीं दिया और इससे देशभर में फंसे बंगाली प्रवासियों के लिए “अन्याय” होगा.
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अपने पत्र में अमित शाह ने पूछा है कि प्रवासी मजदूरों पर ममता बनर्जी चुप क्यों हैं? दूसरे राज्यों में फंसे बंगाल के मजदूरों की ट्रेन से वापसी क्यों नहीं हो रही है. ममता सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए कदम उठाएं, पश्चिम बंगाल में प्रवासी मजदूर परेशान हैं.
अमित शाह ने पत्र में लिखा है कि अभी तक ट्रेन के जरिये 2 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाया जा चुका है. बाकी राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिक भी अपने गृह राज्य में जाने के लिए व्याकुल हैं और उनके जाने की व्यवस्था भी केंद्र सरकार ने की है. लेकिन मुझे दुख है कि बंगाल सरकार से हमें इसमें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है.
गृहमन्त्री अमित शाह ने जोर देते हुए यह भी कहा कि केंद्र ने अब तक दो लाख फंसे प्रवासियों को कोरोनो वायरस लॉकडाउन के बीच घर लौटने में मदद की. उन्होंने इस संबंध में बंगाल सरकार को चेताया कि असहयोग से प्रवासियों के लिए और अधिक कठिनाई पैदा होगी. शाह ने पत्र में लिखा- “हमें पश्चिम बंगाल से उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार अपने यहां ट्रेनों को अनमुति नहीं दे रही है. यह बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है. इससे उनके लिए मुश्किलें बढ़ेंगी.”
बता दें, कोरोना संकट जैसे मुश्किल समय में केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच पहले भी विवाद सामने आ चुके हैं. हाल ही में केंद्र की ओर से पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में केंद्रीय टीम भेजी गई थी. जिसको लेकर भी दोनों आमने-सामने आ गए थे. कोलकाता पहुंची केंद्रीय टीम ने ममता बनर्जी सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप भी लगाया था.
कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि देश में सबसे तेज गति से कोरोना वायरस से मौतें पश्चिम बंगाल में हो रही हैं. कोरोना वायरस मृत्यु दर की बात की जाए तो पश्चिम बंगाल में यह अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना मृत्यु दर 13.2 फीसदी है. केंद्र ने साफ किया है कि एक ओर जहां कोरोना से होने वाली मौतों की रफ्तार तेज तो वहीं कोरोना जांच किए जाने के मामले में भी पश्चिम बंगाल पिछड़ता नजर आ रहा है.