बिल्डरों के दबाव में येदियुरप्पा सरकार ने रोके प्रवासी मज़दूरों के लिए चलाई ट्रेनों के पहिए!

कर्नाटक से मज़दूरों को घर भेजने के समर्थन में आगे आई यूथ कांग्रेस, खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाज़ा, सरकार के फैसले को बताया मानव अधिकारों का उल्लंघन

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा

पॉलिटॉक्स न्यूज. कर्नाटक में प्रवासी मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेनों को येदियुरप्पा सरकार की ओर से रद्द करने का फरमान सुनाया जा चुका है. सरकार के इस फैसले के विरोध और कर्नाटक से मज़दूरों को घर भेजने के समर्थन में भारतीय यूथ कांग्रेस ने आगे आकर सरकार के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. यूथ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार बिल्डरों के दबाव में मजदूरों को अपने घर जाने नहीं देना चाहती. संगठन ने सरकार के फैसले को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताया. वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) ने ट्वीट करते हुए मजदूरों को उनके गृह जनपद न जाने के लिए मंत्रियों को उन्हें मनाने के निर्देश दिए हैं.

इस संबंध में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने बताया कि कर्नाटक में प्रवासी मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेनों को येदुरप्पा सरकार की ओर से रद्द करने के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. घर वापसी मजदूरों का अधिकार है. सरकार का फैसला मानव अधिकारों का उल्लंघन है इसलिए हमने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए जानकारी साझा की है.

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बता दें, SWR ने राज्य सरकार के साथ मिलकर रविवार से आठ ट्रेनों का संचालन किया था और 9,583 श्रमिकों के जाने की व्यवस्था की गई थी. एसडब्ल्यूआर ने इन वर्कर्स को दानापुर (तीन ट्रेन), भुवनेश्वर, हटिया, लखनऊ, बरकाकाना और जयपुर भेजा. दूसरे राज्यों के कई लाख प्रवासी कामगार अभी भी यहां फंसे हुए हैं और अपने घर वापस जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं भेजने का फैसला लेने के बाद प्रदेश की राजधानी बेंगलुरु से प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रद्द कर दी गईं. यह ट्रेन मजदूरों को लेकर उनके गृह जनपद जाने वाली थीं.

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इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने व्यवसायों, निर्माण और अन्य औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने और श्रमिकों की अनावश्यक यात्रा को नियंत्रित करने को लेकर फैसला लिया था. साथ ही सीएम येदियुरप्पा ने मजदूरों को उनके गृह जनपद न जाने के लिए मनाएं के मंत्रियों को निर्देश दिए हैं.

सरकार के इस तुगलकी फरमान के बाद विरोध के सुर उठना शुरु हो गए. विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय को बिल्डर्स के दबाव में लिया जाने वाला फैसला बताया.

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