लोकसभा चुनाव में मोदी की सुनामी में हुई बड़ी हार से कांग्रेस सकते में आ गई है. मंथन के साथ अब बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. हर कोई एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ने में लगा है. दिग्गज नेता टीम राहुल को कसूरवार ठहरा रही है तो दूसरी पंक्ति के नेता दिग्गजों यानी पार्टी की सबसे पावरफुल बॉडी में शामिल नेताओं को ही हार का जिम्मेदार बता रहे हैं. बेशर्मी देखिए कि इतनी करारी हार के बाद भी ये दिग्गज नेता गांधी खानदान के सदस्य को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर आमादा हैं.
इसी के चलते CWC में तमाम सदस्यों ने राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बरकरार रखने की एक स्वर में आवाज उठाई. बैठक हार के कारणों को लेकर बुलाई गई थी, लेकिन पूरी बैठक सिर्फ और सिर्फ इस बात पर फोकस रही कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दें, क्योंकि इनको डर था कि राहुल की जगह दूसरा अध्यक्ष बनेगा तो वो उन्हें दरकिनार करते हुए हाशिए पर ना धकेल दे. लेकिन राहुल आज भी अडिग है कि मैं नैतिकता के नाते इस्तीफा देकर रहूंगा. उन्होंने यह भी कहा है गैर गांधी परिवार के किसी नेता को अध्यक्ष चुन लिया जाए.
आखिर दिग्गज नेताओं का राहुल पर इतना क्यों बरस रहा है प्यार?
दरअसल, CWC में शामिल नेता कई दशकों से राजनीति में हैं. राज्यसभा सांसद और मंत्री बनने से लेकर हर मलाई वाली पोस्ट पर ये काबिज रहे हैं. यहां तक की अहमद पटेल जैसे नेताओं का तो रोल इतना रहा है कि अपने पसंद के नेता को देश में सीएम बना दिया या फिर टिकट दे दिया. वहीं, कई नेता तो ऐसे है जिन्होंने कई साल से चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन गांधी खानदान के आशीर्वाद से राज्यसभा में जा बैठते हैं. CWC में शामिल ज्यादातर नेता इस बार लोकसभा चुनाव हार गए हैं.
ऐसे में उन्हें डर है कि अगर नैतिकता के नाते राहुल इस्तीफा देते हैं तो फिर मजबूरी में उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ेगा. वहीं, राहुल गांधी इनसे इसलिए भी दुखी हैं कि उन्हें यह मलाल हो रहा था कि वो केवल नाममात्र के अध्यक्ष बनकर रह गए हैं, जबकि फैसले लेते है ये चंद वरिष्ठ नेता. लेकिन सच्चाई यह है कि इन नेताओं को बस अपना सिक्का चलने से मतलब है. दिल्ली में शानदार सरकारी बंगला मिल जाए और आगे-पीछे पार्टी नेता जिंदाबाद-जिंदाबाद के नारे लगाते रहें. अब यही नेता राहुल गांधी के इस्तीफा देने पर पार्टी बिखरने की दुहाई दे रहे हैं.
ये दिग्गज नेता दलील दे रहे हैं कि गैर गांधी परिवार के नेता को अध्यक्ष बनाने पर गुटबाजी बढ़ जाएगी. ऐसे में पहले से कमजोर पार्टी की मुश्किलें और ज्यादा हो जाएंगी. इसलिए इस मुश्किल हालात में गांधी परिवार के सदस्य की बेहद जरूरत है. बताया जा रहा है कि पी. चिदंबरम तो CWC बैठक में राहुल के इस्तीफा देने पर भावुक हो गए. वहीं, कुछ नेता कह रहे हैं कि पार्टी में फिलहाल ऐसा कोई नेता नहीं है जो अध्यक्ष पद के काबिल है.
एके एंटनी तो दो कदम आगे चल गए और कहा कि 52 सीटें आना कोई बड़ी त्रासदी नहीं है. दरअसल, मोदी के समर्थकों को अंधभक्त कहने वाले इन नेताओं को क्या इतना भी मालूम नहीं है कि जनता राहुल और वंशवाद को सिरे से खारिज कर चुकी है. दरअसल, जानकर अंजान बनने वाले इन नेताओं को कांग्रेस पार्टी मजबूत होने से ज्यादा अपनी दुकान बंद होने की चिंता है.
भले ही ये दिग्गज नेता चतुराई का परिचय दे रहे हों, लेकिन लगता है राहुल गांधी अब इनकी चालों में नहीं फंसने वाले. राहुल साफ जाहिर कर चुके हैं कि आज नहीं तो कल मेरा विकल्प ढूंढ लेना और वो भी गांधी परिवार से इतर. फिर भी अब अगर राहुल गांधी इस्तीफा नहीं देते हैं तो यह वीटो पॉवर लेकर रहेंगे कि दिग्गज नेता उनके कामकाज में कभी दखलंदाजी नहीं करेंगे.