क्या हुआ जब राज्यसभा में आमने-सामने आए ‘राजा’ और ‘महाराजा’

कभी सहयोगी रहे दो नेता आज धुर विरोधी बनकर आए एक दूसरे के सामने, साथ में मौजूद रहे कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद जो मानों हाथों से कर रहे थे कुछ इशारा, 45 नवनिर्वाचित सदस्यों ने ग्रहण की सदन में सांसद पद की शपथ

Scindia And Digvijay Singh
Scindia And Digvijay Singh

PoliTalks.news. कभी लंबे समय तक एक दूसरे के सहयोगी रहे ‘राजा’ और ‘महाराजा’ आज एक दूसरे के विरोधी बनकर एक दूसरे के सामने खड़े थे. आंखों में एक दूसरे के लिए द्वेश लेकिन फिर भी सिर एक दूसरे के सम्मान में झुके हुए और हाथ नमस्कार की मुद्रा में जुडे हुए. कुछ ऐसा नजारा देखने को ​मिला आज राज्यसभा में, जहां ‘राजा’ यानि दिग्विजय सिंह और ‘महाराजा’ यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दूसरे के सामने अभिवादन की मुद्रा में खड़े थे. दोनों के पास कांग्रेस सांसद गुलाब नबी आजाद भी खड़े थे जो मानो दोनों के बीच पेंचअप कराने की कोशिश कर रहे हों.

दरअसल दिग्गी राजा और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज राज्यसभा में सांसद पद एवं गोपनियता की शपथ ग्रहण की. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शपथ ग्रहण की तो वे सभी सांसद के समक्ष अभिवादन करने पहुंचे. यहां दिग्गी राजा भी मौजूद थे. जब सिंधिया और दिग्विजय का सामना हुआ तो दोनों ने एक-दूसरे के सामने हाथ जोड़कर अभिवादन किया. दोनों ने मास्क पहना हुआ था. जब सिंधिया ने उनका अभिवादन किया तो ​दिग्विजय सिंह ने भी हाथ जोड़कर सिंधिया का अभिवादन किया. दोनों नेता जब एक दूसरे का अभिवादन स्वीकार रहे थे उस वक्त वहां राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे. गुलाम नबी आजाद भी हाथों से कुछ इशारा करते हुए दिखाई दिए.

यह भी पढ़ें: गाजियाबाद में गोली लगने से घायल पत्रकार विक्रम जोशी की मौत, परिवार ने शव लेने से किया मना, गर्माई सियासत

ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा था. बीजेपी में आते ही उन्हें पार्टी ने बतौर उपहार राज्यसभा की टिकट पकड़ा दी और उन्हें सदन में पहुंचने का रास्ता दे दिया. ये इस बात का भी गिफ्ट था कि वे खुद तो बीजेपी में गए ही, सरकार का तख्ता पलटकर एमपी में शिवराज सरकार भी बनवा दी. सिंधिया कांग्रेस के 22 विधायकों को तोड़ बीजेपी में ले आए और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आने से गिर गई. बस शिवराज सिंह को भी इसी बात का इंतजार था और सत्ता की बागड़ौर एक बार फिर प्रदेश के ‘मामा’ के हाथों में आ गई. सिरमौर बने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थन के 14 पूर्व विधायकों को मंत्रीमंडल में जगह भी मिल गई.

राज्यसभा में सिंधिया और दिग्विजय सिंह की यह तस्वीर इसलिए भी खास है क्योंकि दोनों नेता एक ही राज्य मध्य प्रदेश से आते हैं. इसी साल मार्च महीने में जब सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला तो दिग्विजय ने खुले तौर पर कमलनाथ का समर्थन किया. कांग्रेस से सिंधिया की बगावत के पीछे एक वजह राज्यसभा सीट भी थी, जिस पर चुनकर दिग्विजय सिंह आए हैं. दरअसल, सिंधिया चाहते थे कि राज्यसभा सीट पर उनका नाम प्राथमिकता पर रखा जाए लेकिन पार्टी ने उनकी जगह दिग्विजय सिंह को ही तरजीह दी जिससे इससे भी सिंधिया खफा थे.

यह भी पढ़ें: उमर अब्दुल्ला ने बहनोई सचिन पायलट प्रकरण में सीएम बघेल को दी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

खैर..जो भी हो, अब दोनों एक सदन में हैं, लेकिन यहां भी उनके बीच तीखी तकरार देखने को मिल सकती है. हालांकि वो उस हद तक नहीं होगी जितनी वो चाहते हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस से गद्दारी करने की भड़ास न तो दिग्गी राजा उन पर निकाल सकते हैं और न ही सिंधिया अपने आपको प्रदेश की राजनीति में तव्जो न दिए जाने का गुबार निकाल पाएंगे. हां, दोनों धुर विरोधी बनकर पक्ष और विपक्ष में जरूर आ बैठे हैं.

वहीं राज्यसभा में आज 45 नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ग्रहण की. इनमें 36 सांसद वो हैं जो पहली बार राज्यसभा पहुंचे हैं. हाल में हुए राज्यसभा चुनाव/उपचुनाव में 20 राज्यों से 61 सदस्य चुनकर आए हैं, जिनमें से 45 ने आज शपथ ली. इनमें शरद पवार, दिग्विजय सिंह और रामदास अठावले समेत ऐसे 12 सिटिंग सांसद हैं, जो आज शपथ ग्रहण का हिस्सा बने. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली.

Leave a Reply