बीते दो दिनों में 9 बच्चों की मौत के साथ आंकड़ा पहुंचा 100, रघु शर्मा ने वसुंधरा सरकार को बताया जिम्मेदार

रघु शर्मा ने आरोप लगाया कि पूर्व वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में अस्पताल प्रशासन ने कई बार 20 करोड़ रुपए की स्वीकृति संसाधन बढ़ाने के लिए मांगी, मगर भाजपा सरकार ने नहीं दी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है. अस्पताल में बीते दो दिनों में 9 और बच्चों की मौत हो गई, जिसके बाद पिछले एक महीने में बच्चों की मौत का यह आंकड़ा अब तक 100 हो गया है. हाल ही में 23-24 दिसंबर को 48 घंटे की अवधि के दौरान सरकारी अस्पताल में 10 बच्चों की मौत के बाद से राज्य की गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बच्चों की मौत के लिए पूर्व की वसुंधरा राजे सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सांसदों की एक समिति गठित की थी. बीजेपी सांसदों की समिति ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए अस्पताल की हालत के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी सांसदों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से मांग की है कि वे खुद कोटा पहुंचकर बच्चों की मौत के मामले में जरूरी कार्रवाई करें.

मंगलवार को लॉकेट चटर्जी, कांता कर्दम और दौसा सांसद जसकौर मीणा समेत बीजेपी सांसदों के एक संसदीय दल ने अस्पताल का दौरा कर उसकी हालत पर चिंता जतायी थी. दल ने बताया कि एक ही बेड पर दो-तीन बच्चे थे और अस्पताल में पर्याप्त नर्सें भी नहीं हैं. दौसा से बीजेपी की सांसद जसकौर मीणा ने कहा कि जेके लोन अस्पताल में सीलन और इंफेक्शन फैल रहा है. वहीं राज्यसभा सांसद कांता कर्दम ने कहा कि अस्पताल में स्टाफ और चिकित्सकों का व्यवहार बहुत गंदा है. इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया था. आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था, “अस्पताल परिसर के भीतर सुअर घूमते पाए गए.”

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वहीं दूसरी ओर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में बीजेपी की पूर्व वसुंधरा राजे सरकार पर हमला बोला. रघु शर्मा ने कहा कि अगर बीजेपी अपने कार्यकाल के दौरान इस अस्पताल में हुए बच्चों की मौत का आंकड़ा देख ले तो शायद आलोचना नहीं करे. हमने लगातार मौत के आंकड़ों को कम किया है और करते जा रहे हैं. शर्मा ने कहा कि डॉक्टर या मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही या संक्रमण के कारण बच्चों की मौत नहीं हुई है. राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी ने अपनी जांच में बच्चों की मृत्यु का कारण गंभीर रोग को माना.

रघु शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा की पूर्व राजे सरकार ने नहीं बढ़ाए बैड. शर्मा ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 2012-13 में बजट में जेकेलॉन अस्पताल में 60 शिशु व 60 महिला बैड की घोषणा की थी और इसकी स्वीकृति भी जुलाई 2012 को दे दी गई थी, लेकिन इसमें से केवल 45 बैड ही बढ़ाए गए. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2012-13 के दौरान कोटा के इस अस्पताल के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ₹60 करोड़ सैंक्शन किए थे जिसे बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद वित्तीय स्वीकृति होने के बावजूद नहीं दिए.

रघु शर्मा ने आरोप लगाया कि पूर्व वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में कोटा के अस्पताल प्रशासन ने कई बार 20 करोड़ रुपए की स्वीकृति संसाधन बढ़ाने के लिए मांगी, मगर भाजपा सरकार ने नहीं दी. अस्पताल प्रशासन हर साल पैसे की मांग करता था लेकिन बीजेपी सरकार पैसे नहीं देती थी. खुद इनके बीजेपी के उस वक्त के विधायक प्रहलाद गुंजल, ओम बिरला और भवानी सिंह राजावत इस अस्पताल को पैसे देने की मांग करते रहते थे मगर बीजेपी सरकार ने एक पैसा नहीं दिया, यह सारी बातें रिकॉर्ड पर है.

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स्वास्थ्य मंत्री रघुशर्मा ने कहा कि कोटा के जेके लोन अस्पताल के लिए जितनी रकम आवंटित हुई थी उसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने डायवर्ट कर अपने चुनाव क्षेत्र झालावाड़ के अस्पताल को दे दिया था. इसी वजह से वहां पर पाइपों से ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पाई और हम जल्दी पैसा आवंटित कर इसकी व्यवस्था करेंगे. शर्मा ने बताया कि पूर्व वसुंधरा सरकार के समय साल 2014 में अगस्त माह में एक दिन में 9, 7, 6, 8 बच्चों की मौत हुई. वहीं साल 2015 अगस्त माह में एक दिन में 10 बच्चों की मृत्यु हुई और पूरे महीने में 154 बच्चों की मौत हुई.

गौरतलब है कि बीते 23-24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था. हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि यहां 2018 में 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं. अस्पताल अधीक्षक के अनुसार अधिकतर शिशुओं की मौत जन्म के समय कम वजन की वजह से हुई.

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