‘आज देश का सिस्टम विफल होने के लिए पूरी तरह पीएम मोदी हैं जिम्मेदार’- राहुल गांधी का जोरदार वार

प्रधानमंत्री एक मशीनरी चला रहे हैं, जो उनको ब्रांड के रूप में स्थापित करने का काम कर रही है, यह एक ऐसी सरकार है जो सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है. जब मामले कम हुए, तब उन्होंने कोरोना पर जीत की घोषणा की और प्रधानमंत्री ने सारा श्रेय ले लिया, जैसा कि वह हमेशा करते हैं. अब जब स्थिति भयानक है, तो आप राज्यों को दोष क्यों दे रहे हैं? पार्टी जो चाहेगी मैं वो करूंगा, लेकिन फिलहाल हमारा ध्यान महामारी को नियंत्रित करने और लोगों जीवन बचाने पर है

बंगाल चुनाव परिणाम के बीच राहुल गांधी का पीएम मोदी पर बड़ा वार
बंगाल चुनाव परिणाम के बीच राहुल गांधी का पीएम मोदी पर बड़ा वार

Politalks.News/Delhi. देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर लगातार राहुल गांधी मुखर रहे हैं. पुरे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है, हालांकि बीते 24 घंटों में संक्रमितों की संख्या में बहुत मामूली सी कमी जरूर हुई है. वहीं देशभर में जारी ऑक्सीजन की कमी, दवाइयों की कमी और कोरोना प्रबंधन को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि 2020 में जब पहली बार यह महामारी आई थी तब भी मैंने सरकार कोभी चेताया था, लेकिन तब मेरा मजाक उड़ाया गया. न्यूज़ एजेंसी PTI को दिए अपने एक इंटरव्यू में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री एक मशीनरी चला रहे हैं, जो उनको ब्रांड के रूप में स्थापित करने का काम कर रही है.

न्यूज़ एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में राहुल गांधी ने कोरोना महामारी के कारण उपजे हालातों को लेकर केंद्र सरकार को जमकर घेरा. जब राहुल गांधी से पूछा गया कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने भारत को कड़ी टक्कर दी है, हम लोगों को चिकित्सा सहायता, दवाओं, ऑक्सीजन के लिए हांफते हुए देखते हैं. तो राहुल गांधी ने जवाब दिया कि, ‘यह हर दिन मेरे दिल को तोड़ देता है ताकि हम अपने आसपास की तबाही के लिए जाग सकें. यह कोई लहर नहीं है, यह एक सुनामी है जिसने सब कुछ नष्ट कर दिया है. हर जगह कभी न खत्म होने वाली कतारें हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त करने के लिए कतारें हैं, सिलेंडर को फिर से भरने के लिए कतारें, जीवनरक्षक दवाएँ लेने के लिए कतारें, अस्पताल में बिस्तर पाने के लिए कतारें, और अब तो श्मशान के बाहर भी कतारें हैं.’

आपको बता दें, कोरोना की पहली और बाद में दूसरी लहर की भयावहता को लेकर राहुल गांधी ने कई बार मोदी सरकार को चेतावनी दी थी. ऐसे में क्या यह केंद्र सरकार की विफलता है के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि, ‘पुरे देश में पिछले एक साल से महामारी अधिनियम लागु है. अधिनियम के तहत राज्यों पर केंद्र की पूर्ण शक्ति है. यह एक ऐसी सरकार है जो सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है. जब मामले कम हुए, तब उन्होंने कोरोना पर जीत की घोषणा की और प्रधानमंत्री ने सारा श्रेय ले लिया, जैसा कि वह हमेशा करते हैं. अब जब स्थिति भयानक है, तो आप राज्यों को दोष क्यों दे रहे हैं? मोदी सरकार ने बिना किसी जवाबदेही के, बिना किसी पारदर्शिता के, PM-CARES फंड के नाम पर करोड़ों का दान लिया. राज्य सरकारें ऑक्सीजन, रेमेडिसिवर और टोसिलिज़ुमब इंजेक्शन के कोटा के लिए मोदी सरकार पर निर्भर हैं. मोदी सरकार ने राज्यों के पीठ के पीछे से उन्हें शक्तिहीन कर दिया और अब उन्हें अपने स्वयं के मामलों को सुलझाने के लिए कहते हैं, ऐसे में जाहिर है, सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा.’

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राहुल गांधी ने आगे कहा कि, ‘इस महामारी से निपटने के लिए हमारे पास संसाधनों की कमी है. अस्पताल ऑक्सीजन के लिए उच्च न्यायालयों की याचिका दायर कर रहे हैं. हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्रमिकों को अपनी आंखों के सामने मरते हुए देख रहे हैं, वे लोगों को नहीं बचा सकते हैं. जो भी भारत में हो रहा है उससे पूरी दुनिया हिल गयी है. राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर कोरोना को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. राहुल गांधी ने कहा कि वैज्ञानिकों ने सरकार को इसके लिए पहले ही चेताया था लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया. लेकिन आज कि स्थिति को देखते हुए सरकार है कहां?

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार पूरी तरह गायब है. वे केवल प्रधानमंत्री की छवि को बचाने और दूसरों को दोष देने के लिए पागल हुए जा रहें है. इन दिनों एक नया शब्द चर्चा में है कि सिस्टम, कहते हैं कि सिस्टम विफल हो गया है. ‘यह व्यवस्था किसकी है ? सिस्टम कौन चलाता है?’ जिम्मेदारी स्वीकार करने से बचना सिर्फ एक चाल है.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि, जो भी आज देश में हो रहा है उसमे प्रधानमंत्री मोदी की ही गलती है. पीएम मोदी, सरकार नहीं एक मशीनरी चला रहें है जो सिर्फ और सिर्फ पीएम को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने का काम कर रही है. सरकार कल्पना के आधार पर काम कर रही है. महामारी को समझने में केंद्र सरकार नाकाम रही है. महामारी की शुरुआत में ही मैंने सरकार को चेताया लेकिन तब भी उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया. 2020 में फरवरी और मार्च में एयरपोर्ट के जरिये वायरस हमारे देश में आया लेकिन इसके बाद सरकार बिना किसी सलाह के सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. इससे प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया.

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राहुल गांधी से जब कांग्रेस की कमान फिर से संभालने को लेकर सवाल पूछा गया तो राहुल ने कहा कि मैंने हमेशा कांग्रेस के भीतर आंतरिक संगठनात्मक चुनावों का समर्थन किया है और ये तय समय पर आयोजित किए जाएंगे. पार्टी कार्यकर्ताओं को यह तय करना है कि पार्टी का नेतृत्व कौन करे. पार्टी जो चाहेगी मैं वो करूंगा. लेकिन फिलहाल हमारा ध्यान महामारी को नियंत्रित करने, जीवन बचाने और भारत के व्यापक दुख और दर्द को कम करने पर है.

राहुल गांधी ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को लगाई गई फटकार को लेकर राहुल ने कहा कि न्यायालय का अपना एक नजरिया है. कोर्ट क्या कहता है क्या करता है उस पर मैं कोई टिपण्णी नहीं करना चाहता. बीते 7 सालों में हमारे सभी संस्थानों को नष्ट कर दिया गया है और सुनियोजित तरीके से उन्हें हायर कर लिया गया है. प्रेस, न्यायपालिका, चुनाव आयोग, नौकरशाही – उनमें से किसी ने भी अभिभावक / प्रहरी की अपनी भूमिका नहीं निभाई है. कोरोना समस्या का सिर्फ एक हिस्सा है – असली समस्या यह है कि भारत में अब किसी भी बड़े संकट का जवाब देने की क्षमता नहीं है क्योंकि पिछले 6 वर्षों में कुछ नहीं किया गया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने पहले दिन से कह रही है कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस केन्द्र सरकार के साथ काम करने को तैयार है. लेकिन जब जब सरकार हमारी तरफ से कोई सुझाव दिया गया तो सरकार ने भी इन सुझावों को सार्थक रूप से स्वीकार नहीं किया है. मुझे अभूतपूर्व संकट के इस समय में सरकार के साथ मिलकर काम करने में कोई विरोधाभास नहीं दिख रहा. राहुल गांधी ने कहा कि समस्या तब पैदा होती है जब सरकार परामर्श में विश्वास नहीं करती है, सबको साथ लेकर चलने में, विशेषज्ञता का दोहन करने में. सरकार को यह लगता है कि मदद की जरूरत को स्वीकार करना कमजोरी का संकेत है. इस सरकार का घमंड और पालतूपन अविश्वसनीय है.

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