मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच की खींचतान को लगा विराम! कांग्रेस को मिली राहत

कमलनाथ ने किया सिंधिया को खुश, सिंधिया को हराने वाले बीजेपी सांसद के खिलाफ दर्ज हुई FIR, टालमटोल करने वाले एसपी भी हुए एपीओ, अब सिंधिया को राज्यसभा सांसद बना प्रदेश की राजनीति से दूर करने में जुटे कमलनाथ

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र के आए चुनाव परिणामों से जहां एक तरफ हताश पड़ी कांग्रेस में एक नई जान आ गई है वहीं मध्यप्रदेश की राजनीति का भी शायद सुखद दौर शुरू हो गया है. हम यहां ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच लम्बी चली खींचतान पिछले लगभग दो महीने से नजर नहीं आ रही है. ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच अब ‘सुलह’ हो गई है. एक-दूसरे से तने-तने दिखने वाले ये नेता मध्य प्रदेश में इन दिनों ‘साथ’ नजर आ रहे हैं.

जानकारों की मानें तो हरियाणा व महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों के बाद जिस तरह से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा, उसको देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से बगावत करने का ख्याल शायद निकाल दिया है. बता दें, पहले मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने और बाद में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी नहीं दिए जाने से नाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ बीजेपी में जानें कि अटकलें तक बहुत तेज हो गई थी. यहां तक कि ज्योतिरादित्य ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से खुद के नाम के आगे से कांग्रेस का नाम भी हटा लिया था. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा चुनाव में हराने वाले गुना-शिवपुरी के बीजेपी सांसद पर 420 समेत कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज होने से भी सिंधिया के हरे घावों पर मरहम का काम किया है.

बता दें, 15 साल के वनवास के बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की है. इस वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का रोल बेहद और सबसे अहम रहा था और यही कारण था कि सिंधिया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के हस्तक्षेप से कुर्सी मिली थी कमलनाथ को. मुख्यमंत्री न बन पाने का मलाल सिंधिया के चेहरे पर पहले ही दिन से दिखाई देने लगा था. इसके बाद पिछले एक साल में कई मौकों पर नाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मौर्चा भी खोला.

बीते साल दिसम्बर में मध्यप्रदेश सरकार ने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इस मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के कामकाज और साल भर में 365 वादे निभाने, जैसा कि कमलनाथ सरकार ने दावा किया है कि हमने 365 दिन में 365 वचन पूरे कर दिये हैं, को लेकर कोई तारीफ नहीं की है, लेकिन दूसरी तरफ पिछले लगभग 2 महीने के दरमियान उन्होंने पहले जैसा सरकार के कामकाज की आलोचना वाला कोई बयान भी नहीं दिया है.

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बल्कि पिछले 2 महीने में दिलचस्प कोण यह बना है कि दोनों नेता कई अवसरों पर साथ नज़र आए. इतना ही नहीं पार्टी से जुड़े कुछ कार्यक्रमों में शिरक़त करने के लिए दोनों नेताओं ने एक ही जहाज से यात्राएं भी कीं. कमलनाथ द्वारा सिंधिया को ‘तवज्जो’ दिये जाने से दोनों ही ख़ेमों ने राहत की सांस जरूर ली है. यहां बता दें कि कांग्रेस के कुल 114 विधायकों में से तीन दर्जन के आसपास विधायक सिंधिया ख़ेमे से हैं.

मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के बीच सुलह के कुछ कारण निम्न बातों से समझा जा सकता है: –

सिंधिया को हराने वाले बीजेपी सांसद पर हुई FIR

सिंधिया को खुश करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने गुना-शिवपुरी सीट से सिंधिया को हराने वाले बीजेपी के सांसद केपी यादव और उनके बेटे के ख़िलाफ़ धारा 420 में एफआईआर दर्ज की है. पिछड़ा वर्ग कोटे से ग़लत तरीक़े से आरक्षण लेने के आरोप में पिता-पुत्र को अभियुक्त बनाया गया है. शिवपुरी एसडीएम ने पिछले माह ही केपी यादव का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था.

दरअसल, ओबीसी वर्ग में क्रीमीलेयर में आने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता लेकन केपी यादव ने अपनी आय 8 लाख सालाना से कम बताकर बेटे को अरक्षण का लाभ दिला रखा था. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के वक्त यादव ने आय संबंधी जो घोषणाएं कीं, उनके मुताबिक़ उनकी वार्षिक आय 39 लाख थी. इस पर सिंधिया ख़ेमे के विधायक बृजेन्द्र सिंह ने इसकी शिकायत एसडीएम शिवपुरी से की थी. जांच में शिकायत सही पाई गई और फिर कार्रवाई की गई. जांच में सामने आया कि यादव ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बेटे को आरक्षण दिलाया हुआ था, पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 120बी, 181 और 182 में प्रकरण दर्ज किया है।

केपी यादव के खिलाफ मामला दर्ज करने में टालमटोली करने वाले एसपी को भी सिंधिया की शिकायत पर हटाया गया

जानकारों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिकायत पर अशोक नगर एसपी को हटाया गया. दरअसल बीजेपी सांसद केपी यादव के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने में एसपी पंकज कुमावत कथित तौर पर टालमटोली कर रहे थे. इस पर सिंधिया ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से की और कमलनाथ ने कुछ ही घंटों में एसपी की छुट्टी कर दी. एसपी कुमावत को एपीओ करते पुलिस मुख्यालय में तैनात कर दिया गया है.

अप्रैल में ज्योतिरादित्य सिंधिया जाएंगे राज्यसभा!

जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की नाराजगी को दूर करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश से सांसद बना राज्यसभा भेजने का मन बना लिया है और इसमें सीएम कमलनाथ पूरा सपोर्ट सिंधिया के साथ है. मध्य प्रदेश में अप्रैल में रिक्त होने जा रही राज्यसभा की तीन सीटों में से एक सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजा जाएगा.

वैसे सिंधिया ख़ेमा अभी भी यही चाहता है कि ज्योतिरादित्य को मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके समर्थक इस पक्ष में कतई नहीं हैं क्योंकि अगर सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो मध्य प्रदेश में फिर से दो पावर सेंटर हो जाएंगे. एक मुख्यमंत्री कमलनाथ और दूसरा एमपी पीसीसी चीफ़ की बन जाने के बाद सिंधिया.

बहराल, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच हुई कथित ‘सुलह’ अगर आने वाले सालों में यूंही बनी रहे तो प्रदेश का विकास तो होगा ही साथ ही कांग्रेस का मनोबल भी बढ़ेगा जो 2023 के चुनावों में मध्यप्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने की सम्भावना भी प्रबल बनी रहेगी.

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