तेजस्वी ने की वि.स. चुनाव स्थगन की मांग तो बोली बीजेपी- चुनाव से भाग रहे तेजस्वी

कोरोना संक्रमण और बिहार में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष की चुनाव आयोग से मांग, चिराग पासवान और पीके ने किया तेजस्वी का समर्थन, प्रशांत किशोर ने साधा सीएम नीतीश पर जोरदार निशाना

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PoliTalks.news/Bihar. राजद के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कोरोना काल और प्रदेश में संक्रमण से बिगड़ती स्थिति को देखते हुए बिहार विधानसभा चुनाव स्थगन की मांग रखी है. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि मैं लाशों पर चुनाव कराने वाला अंतिम व्यक्ति बनूंगा. तेजस्वी ने ये भी लॉजिक दिया है कि पिछले दो दिन में लगातार 700 से अधिक नए मरीज मिले हैं. संक्रमितों की संख्या 14 हजार के करीब पहुंच गई है. राजद, जदयू तथा भाजपा तीनों दल के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, गुलाम गौस और विनोद सिंह कोरोना से संक्रमित हुए हैं. अन्य नेता भी संक्रमित हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों के सामने यह चुनौती है कि वे जनता के बीच कैसे जाएंगे.

तेजस्वी ने ये भी कहा कि नीतीश कुमार यह स्वीकार करते हैं कि कोरोना अभी भी संकट है तो चुनाव को स्थगित किया जा सकता है. स्थिति ठीक होने पर चुनाव कराया जाए. अगर वह यह सोचते हैं कि कोरोना कोई समस्या नहीं है तो चुनाव निश्चित रूप से परंपरागत तरीकों से कराया जाना चाहिए. तेजस्वी ने कहा कि अगर चुनाव में परंपरागत प्रचार की इजाजत न मिली तो ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी चुनाव से दूर रहेगी.

तेजस्वी ने ये भी कहा कि अगर ​इसके बाद भी चुनाव कराए जाते हैं तो वे बिहार में फेक चुनाव नहीं होने देंगे. दूसरी ओर, बीजेपी और जदयू ने डिजिटल तरीकों से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है और चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं तेजस्वी के चुनाव स्थि​गित कराने की बात पर बीजेपी ने तंस करते हुए कहा कि राजद को टूट और हार से बचाने के लिए वे चुनाव लालू के लाल चुनाव से भाग रहे हैं.

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बिहार में बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने तेजस्वी के बयानों को कोरी बहानेबाजी बताते हुए कहा कि यह सिर्फ राजद को टूट से बचाने की पैंतरेबाजी है. यह किसी से छिपा नहीं है कि तेजस्वी के खिलाफ राजद में अंदरूनी खेमेबाजी चरम पर है. रंजन ने कहा कि पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के बाद तेजस्वी ने जिस तरह राहुल गांधी की राह पकड़ी है, उसी के कारण आज राजद का बंटाधार हो रहा है. लोकसभा चुनावों में राजद को मिली आज तक की सबसे करारी हार के बाद उनका गायब हो जाना या हर आपदा के समय पार्टी को बीच मंझधार में छोड़ गुप्त छुट्टियों में लुप्त हो जाने जैसी उनकी आदतों से यह साबित होता है कि वह राहुल गांधी की ही तरह चुनौतियों से घबराते हैं. यह भी तेजस्वी के चुनाव से भागने के पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है.

इधर, लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी तेजस्वी यादव की बात का समर्थन करते हुए कोरोना काल में विधानसभा चुनाव न कराने का सुझाव दिया है. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान ने कहा कि कोरोना संक्रमण की भयावहता को देखते हुए चुनाव आयोग को भी इस विषय पर सोच कर निर्णय लेना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि चुनाव के कारण एक बड़ी आबादी को खतरे में झोंक दिया जाए. पार्टी अध्यक्ष ने महामारी के बीच मतदान प्रतिशत नीचे रहने की भी संभावना जताई है.

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इधर, रणनीतिकार प्रशांत किेशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से स्थिति बिगड़ रही है और सरकार चुनाव की तैयारी कर रही है. पीके ने कहा कि ये चुनाव का नहीं बल्कि कोरोना से लड़ने का वक्त है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए. प्रशांत ने ट्वीट कर कोरोना से लड़ने के लिए बिहार सरकार के प्रयासों पर सवाल भी उठाए.

https://twitter.com/PrashantKishor/status/1281808135255027712?s=20

लालू के जेल से बाहर आने के बयान पर मोदी ने किया पलटवार

जिलाध्यक्षों और विधायकों-विधान पार्षदों को संबोधित तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे नेता लालू प्रसाद अक्टूबर तक जेल से बाहर होंगे, ऐसी पूरी उम्मीद है. वहीं राजद नेता भाई बिरेंद्र ने भी दावा किया है कि लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आते ही बिहार के राजनीति में तूफान आ जाएगा और आरजेडी को रोकना संभव नहीं होगा.

इस बयान पर पलटवार करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कियदि 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले लालू जमानत पर छूट जाते हैं तो एनडीए के लिए तीन चौथाई बहुमत पाकर 2010 का चुनाव परिणाम दोहराना आसान होगा.

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मोदी ने कहा, ‘उस समय लालू प्रसाद जेल से बाहर थे और उनकी पार्टी मात्र 22 सीटों पर सिमट गई थी. नेता प्रतिपक्ष का पद पाने की भी हैसियत राजद की नहीं थी.’ उन्होंने कहा कि पार्टी ऐसी बयानबाजी से एक तरफ न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहती है तो, दूसरी तरफ दल छोड़ने वालों की भगदड़ रोकना चाहती है. उनके ये दोनों मकसद पूरे नहीं होंगे.

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