राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत के एक संकल्प पर पक्ष-विपक्ष में हंगामा हुआ. इस संकल्प में मांग की गई कि राज्य में जन सहयोग से संचालित गौशालाओं के लिए किसी भी किस्म की जमीन का रजिस्ट्रेशन और रजिस्ट्री तहसील स्तर पर होनी चाहिए. रावत के इस गैर सरकारी संकल्प का विपक्ष ने भी समर्थन किया और इसे सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की. फिर भी यह संकल्प पारित नहीं हो सका.

विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने संकल्प पारित करवाने के लिए पीठासीन सभापति राजेन्द्र पारीक से मतदान करवाने की मांग की. इस पर पारीक ने इस पर बहस समाप्त कर दी और अन्य विधायी कार्य निबटाने लगे. इस पर विपक्षी सदस्य आसन के सामने पहुंचकर हंगामा करने लगे. सर्वसम्मति से संकल्प पारित नहीं होने से नाराज विपक्षी विधायक बाद में सदन से बाहर चले गए. इस दौरान उन्होंने गाय माता की जय हो के नारे भी लगाए. इसी हंगामे के दौरान सदन में तीन विधेयक पारित करवा लिए गए.

शकुंतला रावत ने गैर सरकारी संकल्प पेश करते हुए कहा कि मां-बाप और गौसेवा का महत्व आज की पीढ़ी भूल रही है. आज कुछ गौसेवक आगे आकर गौशालाएं खोलना चाहते हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन की नीति इतनी जटिल है कि उन्हें मायूस होना पड़ता है. सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि आज गोचर, ओरण और चरागाह की जमीनों पर अतिक्रमण हो रहे हैं. ऐसे में सरकार गौशालाओं को यह जमीन क्यों नहीं दे सकती. सरकार को राज्य की सभी चरागाह जमीनों का सीमांकन करवाकर कच्ची डोली बनानी चाहिए.

विधायक मदन प्रजापत ने पाबूजी और वीर तेजाजी का उदारहण देते हुए कहा कि उन्होंने गाय की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. सिर्फ संत ही गौशालाओं का भला नहीं कर सकते. आमजन के साथ हर विधायक को भी एक-एक गाय की जिम्मेदारी उठानी चाहिए. किरण माहेश्वरी ने कहा कि सरकार को शिविर लगाकर गौशालाओं का रजिस्ट्रेशन करना चाहिए.

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चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा कि गौशाला और नंदीशाला अलग-अलग होनी चाहिए. स्टांप ड्यूटी का 10 फीसदी सरकार को गौशालाओं पर खर्च करना चाहिए. गायों के लिए जिले में अस्पताल और आपरेशन थिएटर भी खोलने चाहिए. मेघाराम जैन ने कहा कि किसानों की कमजोर स्थिति को देखते हुए पंचायत स्तर पर पशु शालाएं खोलने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने खुद 11 लाख रुपए और विधायक निधि से 51 लाख रुपए देने की बात कही.

संयम लोढ़ा ने कहा कि अब समाज की मानसिकता में काफी अंतर आ गया है. गोकुल में आज गायों से ज्यादा भैंसें मिलेंगी. उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि 100 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर देखे. पिछले पांच साल में भाजपा सरकार ने गायों के लिए कुछ नहीं किया. अनुदान की राशि में एक पैसा नहीं बढ़ाया. मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायत स्तर पर गौशालाओं तो अनुदान दिया जा रहा है. रामप्रताप कासनिया और गोविंदराम ने भी अपने सुझाव दिए.

संकल्प पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक गिरराज सिंह मलिंगा और भाजपा विधायक मदन दिलावर में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई. मलिंगा जब अपनी बात कह रहे थे, तब दिलावर ने उन्हें टोका. इस पर मलिंगा ने कहा कि क्या तूने ही गाय और हिंदू धर्म को बचाने का ठेका ले रखा है. इस पर भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया.

मलिंगा ने कहा कि गौशालाएं खुलने के बाद गायों की तस्करी बढ़ी है. गाय के चारे पानी के बारे में सरकार को सोचना चाहिए. भाजपा सरकार ने पिछले पांच सालों में गाय और मंदिर को ही मुद्दा बनाया. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गायों की तस्करी हो रही है. संकल्प पेश करते हुए शकुंतला रावत ने भी पिछली भाजपा सरकार पर निशाना साधा और जयपुर की हिंगोनिया गौशाला में गायों की बड़े पैमाने पर हुई मौतों का मुद्दा उठाया.

शकुंतला रावत को टोकते हुए अर्जुन जीनगर ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल कह रहे थे, गाय को नहीं पूजना चाहिए. इस पर रावत ने कहा कि आप अपने दिमाग को काम में लें तो अच्छा होगा. आप गाय का कितना सम्मान करते हैं? या फिर बीच में टोकने का शौक है आपको? इस पर दिलावर खड़े हुए तो रावत ने कहा, गाय के नाम पर भाजपा नेता ऐसे खड़े हो जाते हैं, जैसे स्टांप ले रखा हो. थोड़े दिन में ये कहां मोहर लगाकर चलना शुरू नहीं कर दें. इस पर सदन में हंगामा मच गया.

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि बानसूर विधायक शकुंतला रावत ने गाय पर साध्वी की तरह जो प्रवचन दिए हैं, उससे लगता है कि अब गाय को पशु बताने वाली अवधारणा से बाहर निकलेंगे, जिससे संस्कृति अपमानित हुई है. संयम लोढ़ा और अन्य कांग्रेस विधायकों ने रावत को साध्वी कहने पर नाराजगी जाहिर की. हंगामा बढ़ने पर राठौड़ ने अपने शब्द वापस लिए.

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने गाय को पशु बताने वाली जो बात कही, वह वीर सावरकर के किताब के कथन से कही है. धारीवाल ने भी इस पर सहमति जताई. पीठासीन सभापति राजेन्द्र पारीक ने नाराज होते हुए कहा कि मुझे खेद है कि इतने गंभीर मुद्दे पर भी आप लोग शांति से चर्चा करना नहीं चाहते. सभी यहां आस्था से बराबर जुड़े हुए हैं. इसके बाद उन्होंने बहस पर विराम लगा दिया.

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