उद्धव सरकार के पहले मुस्लिम नेता का इस्तीफा, सावरकर मुद्दे पर पहले से परेशान शिवसेना की बढ़ी मुश्किलें

केबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज अब्दुल सत्तार ने दिया इस्तीफा, सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना में पहले से तेज हुई खींचतान, दोनों के बीच की दरार में घुसने की कोशिश में बीजेपी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में तीन पहियों पर चल रही उद्दव सरकार को बने अभी महीना भर ही पूरा हुआ है और अभी से ये गाड़ी डगमगाने लगी है. सावरकर को लेकर विपरीत विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस के साथ शिवसेना के बढ़ते मतभेदों से परेशान शिवसेना की मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रहीं हैं. हाल ही में हुए मंत्रीमंडल विस्तार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज कुछ नेताओं के बागी स्वरों के बीच हाल में राज्यमंत्री बने अब्दुल सत्तार ने मंत्री पद छोड़ने की घोषणा की है. बताया जा रहा है कि अब्दुल सत्तार केबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. हालांकि अभी उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा गया. इससे पहले कुछ शिवसेना नेताओं ने मुस्लिम समुदाय के नेता को मंत्री पद देने से भी नाराजगी जताई थी.

अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर शिवसेना से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब्दुल सत्तार को पहली बार में ही मंत्रिमंडल में मौका दिया गया. वे पहले से शिवसैनिक नहीं हैं. उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री और राजभवन नहीं भेजा गया है. भरोसा है कि सत्तार शिवबंधन नहीं छोड़ेंगे.’ राउत ने यह भी कहा कि कोई भी विभाग बड़ा या छोटा नहीं होता.

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दरअसल, कांग्रेस और एनसीपी की तरह शिवसेना ने भी महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय को अपने साथ साधे रखने के लिए अपने कोटे से अब्दुल सत्तार को राज्यमंत्री बनाया था. लेकिन अब्दुल सत्तार की मांग थी कि उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का रैंक दिया जाए. उनके इस्तीफे की खबर बाहर आते ही शिवसेना के आला नेता उन्हें मनाने की कोशिशों में जुट गए हैं. इससे पहले शिवसेना नेता रमेश सोलंकी और हाल में एक अन्य वरिष्ठ नेता ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. सिलोड़ से शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तार कांग्रेस के निष्काषित नेता हैं.

इसके अलावा कांग्रेस और शिवसेना के बीच वीर सावरकर के मुद्दे पर वितरित विचारधारा होने पर आए दिन विरोधाभास की खबरें आ रही हैं. हाल में गठबंधन के शिवसेना के सूत्रधार और पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वीर सावरकर की देशभक्ति पर सवाल उठाकर कांग्रेस ने दिखा दिया कि उसके दिमाग में गंदगी जमा है. दरअसल, मध्य प्रदेश में शुक्रवार को आयोजित शिविर में कांग्रेस सेवा दल ने ‘वीर सावरकर, कितने वीर?’ शीर्षक से एक किताब वितरित की जिसमें सावरकर पर ब्रिटिश सरकार की ओर से पेंशन जारी कराने के साथ महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और सावरकर के बीच समलैंगिक संबंध होने का आरोप लगाया गया.

दोनों के बीच चल रही इस दरार का फायदा महाराष्ट्र बीजेपी उठाने में पूरजोर कोशिश कर रही है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद फडणवीस लगातार कह रहे हैं कि वीर सावरकर का अपमान कब तक शिवसेना सहन करेगी. वे उद्दव ठाकरे और शिवसेना पर लगातार सवालों की बारिश करते हुए पूछ रहे हैं क्या सत्ता के लिए शिवसेना बार बार अपने देवता वीर सावरकर का अपमान सहन करती रहेगी. वहीं बीजेपी पर तंज कसते हुए संजय राउत ने कहा कि भाजपा अगले 5 साल विपक्ष में ही रहेगी.

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