अयोध्या मामले की 36वें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में बैठे सभी लोगों की हंसी तब छूट गयी जब एक पक्ष के वकील ने ये कहा कि केस की सुनवाई टी-20 मैच की तरह हो रही है. दरअसल उन्होंने ये बात इस संदर्भ में कही क्योंकि बीतते दिनों के साथ सुनवाई जल्दी जल्दी कराई जा रही है. इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. सभी को मौका दिया जा रहा है. इस तरह से कहना उचित नहीं है.

इससे पहले गुरुवार को हुई सुनवाई की शुरूआत हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने करते हुए कहा कि मस्जिद के नीचे ढांचे में कमल, परनाला और वृत्ताकार धर्मस्थल के साक्ष्य मिले हैं. ये सब उस विवादित जमीन के नीचे मंदिर होने का प्रमाण है. उन्होंने स्कंद पुराण का उदाहरण देते हुए कहा कि स्कंद पुराण में जन्मस्थान पर जाने भर से मोक्ष प्राप्ति का जिक्र है.

वकीलों और न्यायाधीशों के बीच जिरह के बची वैद्यनाथ ने कहा कि विवादित ढांचा पिलर पर बनाया गया था. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि पिलर था क्या वह एक ढांचा स्ट्रक्चर में ही था? इस पर जवाब देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि एक लेवल पर 46 पिलर थे और दूसरे लेवर पर चार पिलर थे. मुस्लिम पक्ष ने बाद में कहा कि वह ईदगाह था.

इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि ढांचा तोड़कर ​मस्जिद बनाने का कोई साक्ष्य नहीं है. इस पर वकील वैद्यनाथ ने कहा कि ढांचे में सदियों से हिंदू पूजा करते आ रहे हैं. इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.

जस्टिस चंद्रचूड ने फिर सवाल करते हुए पूछा कि ढांचे की निर्माण शैली बौद्ध है. कैसे साबित करेंगे ये मंदिर था? उन्होंने कहा कि आस्था-विश्वास अलग प्रकार की दलील है लेकिन यहां साक्ष्य चाहिए.

इस पर अधिवक्ता ने कहा कि आस्था को खारिज नहीं किया जा सकता. कुरान भी इसे मानता है. इस पर धवन ने कहा कि यहां कुरान को चुनौती वाली बात नहीं है. 1934 से पहले वहां लगातार पूजा साबित नहीं हो रही.

अगली सुनवाई शुक्रवार सुबह 10 बजे से शुरु होगी.

पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, ​मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 18 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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