राम जन्मभूमि (Ram Janambhumi) और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर मंगलवार को 35वें दिन की सुनवाई हुई. पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जैसे ही हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की, मुस्लिम पक्ष बार-बार टोकाटाकी करने लगा. उनकी इस हरकत पर CJI ने सभी मुस्लिम पक्ष के वकीलों को लताड़ लगाई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने कहा कि जब एक पक्ष दलील दे रहा है तो दूसरा उसमें बाधा न पैदा करें. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील के.परासरन ने दलील की शुरुआत करते हुए कहा कि ​उन्होंने कभी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की दलीलें नहीं दी लेकिन मुस्लिम पक्ष की दलीलें सांप्रदायिक थी. परासरन ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यायिक व्यक्ति है. अगर लोगों का विश्वास है कि किसी जगह दिव्य शक्ति है जो उसे न्यायिक व्यक्ति मान सकते हैं.

इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने टोकते हुए कहा कि इन्हें साबित करना होगा कि विवादित स्थल पर ​मंदिर था और वहां पूजा होती थी.

प्रश्न पूछते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि क्या वहां दो न्यायिक व्यक्ति हैं, जन्मभूमि और राम?

जवाब देते हुए परासरन ने कहा कि दो से अधिक हैं. मंदिर में एक प्रमुख देवता होता है. हम अनेक रूपों में उन्हें पूजते हैं. कोर्ट को न्याय का मंदिर कहते हैं. हमारे पास कई जज हैं लेकिन पूरी संस्था को अदालत कहते हैं.

धवन ने फिर टोकटे हुए कहा कि कोर्ट नई बहस की तहफ जा रही है. यह मंदिर के नामकरण के बारे में नहीं है. मैं इस मामले में लिखित नोट दूंगा. इस पर परासरन ने कहा कि मुझे दलील पूरी करने दें. आप मेरा समय खराब कर रहे हैं. धवन ने कहा कि जहां जरूरत होगी, टोकूंगा.

इसके बाद हिंदू पक्ष के अन्य वकील वैद्यनाथन ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष ने खुदाई में निकली लंबी दीवार को ईदगाह बताया लेकिन न तो किसी गवाह और न ही किसी अन्य ने इसे स्वीकार किया. मुस्लिम पक्षकारों ने एएसआई की छवि धूमिल करने की कोशिश की जबकि इस टीम ने इंडोनेशिया और कंबोडिया जाकर अच्छा काम किया. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने आपत्ति जताई.

हिंदू पक्ष ने आगे बढ़ते हुए कहा कि इनका दावा है कि बाबरी मस्जिद सपाट जमीन पर बनी और वहां कोई ईदगाह नहीं थी. इस पर फिर धवन बीच में खड़े हुए और बोले कि हमने 1961 में केस दायर किया था. हमें कैसे पता चलता?

वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें जारी रखते हुए कहा कि हिंदूओं ने 1989 में केस दायर किया था तब भी कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई है. तब किसी ने जवाब नहीं दिया और आज कह रहे हैं कि ईदगाह तोड़कर मस्जिद बनाई गई. ये नया कॉन्सेप्ट है. हाईकोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट में कुछ गलत नहीं पाया. खुदाई में मिली दीवार नंबर 18 एक कमरे का हिस्सा है.

इस पर मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने खड़े होकर कहा कि इस हिस्से की पूरी खुदाई नहीं हुई थी इसलिए खुदाई में मिली दीवार को कमरे का हिस्सा नहीं कहा जा सकता. बीच में सीजेआई ने टोकटे हुए कहा कि जब एक पक्ष दलील दे रहा हो तो दूसरा पक्ष बाधा न डाले. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने संविधान पीठ से माफी मांगी.

पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, ​मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 18 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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