राजस्थान में पहली बार विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण यूट्यूब के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है. विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण दिखाया जाना कितना उचित है इसको लेकर नेताओं और विश्लेषकों के अपने-अपने मत सामने आ रहे हैं.

विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कई बार विधायकों की बहस में ऐसे शब्द बोल दिए जाते हैं जो अपशब्दों की श्रेणी में आते हैं. ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाता है. विधायकों को कार्यवाही का संपादित वीडियो दिया जाता है. लेकिन अब यूट्यूब पर सदन की कार्यवाही को सीधे देखा जा सकता है. यूट्यूब के लिंक के जरिए कार्यवाही टीवी चैनल पर प्रसारित की जा सकती है. इसे सेट टॉप बॉक्स के जरिए रिकॉर्ड भी किया जा सकता है.

कई नेताओं ने विधानसभा की कार्यवाही के यूट्यूब पर सीधे प्रसारण को लेकर सवाल उठाया है. उनकी चिंता यह है कि अब विधानसभा में बोले जाने वाले अपशब्द भी जनता सुनेगी, जबकि अपशब्दों को कार्यवाही से हटाने की परंपरा रही है. यूट्यूब पर सीधे प्रसारण के कारण यह परंपरा भंग हो रही है. हालांकि इससे फायदा भी है. कार्यवाही की सीधा प्रसारण होने से विधायकों को संभलकर बोलना पड़ेगा.

गौरतलब है कि एक बार पहले राजस्थान विधानसभा के प्रश्नकाल का दूरदर्शऩ पर सीधा प्रसारण करने की तैयारी हुई थी. उस समय भी यह व्यवस्था बनी थी कि अगर कोई असंसदीय शब्द सदन में आएगा तो उसे संपादित करके ही प्रसारित किया जाएगा. गोवा में विधानसभा की कार्यवाही का स्थानीय कैबल चैनल पर सीधा प्रसारण होता है. कर्नाटक में भी यह सिलसिला शुरू हुआ था, तब सदन में कुछ विधायक आपत्तिजनक फिल्म देखते हुए कैमरे में कैद हो गए थे.

आम तौर पर संसद और सभी विधानसभाओं में असंसदीय शब्द कार्यवाही से निकाल दिए जाते हैं. इसकी रिपोर्ट लोकसभा को भेजी जाती है. बताया जाता है कि असंसदीय शब्दों में 30-40 फीसदी हिस्सा राजस्थान का होता है. आम आदमी भी निर्धारित शुल्क का भुगतान कर विधानसभा की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग हासिल कर सकते हैं. अब आम आदमी यूट्यूब से भी कार्यवाही को डाउनलोड कर सकते हैं.

विधानसभा में कई बार तीखी बहस होती है, जिसमें सदस्य अपशब्द बोल जाते हैं. एक बार एक मंत्री ने साले कह दिया. बाद में उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने सालेह नाम पुकारा था. विधानसभा में चप्पल उछालने की घटनाएं भी हुई हैं. कई बार उत्तेजित विधायक अध्यक्ष के आसन तक पहुंच जाते हैं. एक बार विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को गुंडा-बदमाश कह दिया था. ऐसे शब्द कार्यवाही से अपने आप हट जाते हैं. यूट्यूब पर सीधा प्रसारण होने से विधानसभा में होने वाला हंगामा, नारेबाजी, आरोप-प्रत्यारोप आदि जनता सीधे देख सकेगी.

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा है कि विधायकों को सदन की कार्यवाही का संपादित वीडियो ही दिया जाता है, जो कि सीधा प्रसारण नहीं है. यूट्यूब पर सीधा प्रसारण होने के पांच-सात दिन बाद आम जनता सहित सभी संबंधित पक्षों से फीडबैक लिया जाएगा. इसके बाद आवश्यक हुआ तो व्यवस्था में सुधार करेंगे. फिलहाल सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जा रहा है. फीडबैक के आधार पर कमेटियों की कार्यवाही के सीधे प्रसारण के बारे में फैसला किया जाएगा.

विधानसभा की कार्यवाही के सीधे प्रसारण से विधायकों को भी जिम्मेदार बनना पड़ेगा. विधायक विधानसभा में उपस्थित है या नहीं, विधानसभा अध्यक्ष का अपमान तो नहीं किया जा रहा है, प्रश्न पूछने वाले विधायक सदन से गायब तो नहीं है, सीधे प्रसारण से ये सारी बातें उजागर हो जाएंगी.

राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने कहा कि संसद की कार्यवाही का उनके चैनल पर सीधा प्रसारण होता है. लेकिन विधानसभा की कार्यवाही का यूट्यूब पर प्रसारण विरोधाभासी होगा. विधानसभा की व्यवस्था है कि जो जनहित में नहीं है, वह नहीं दिखाया जाए. सीधा प्रसारण होने से यह व्यवस्था भंग होगी.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह का कहना है कि कई बार सदन की कार्यवाही के दौरान सदस्य ऐसे शब्द बोल देते हैं, जिनको कार्यवाही से निकालना पड़ता है. जहां तक सीधा प्रसारण का सवाल है, इस बारे में कोई नियम नहीं है.

पूर्व विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि एक बार विधानसभा की कार्यवाही को लेकर कमेटी बनी थी, जिसने सीधे प्रसारण की सिफारिश की थी. सीधे प्रसारण को लेकर जहां तक नियमों का सवाल है, विधानसभा अध्यक्ष का निर्देश ही नियम होता है.

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